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नवाचार संवर्धन

नवाचार और अनुसंधान एवं विकास के माध्यम से प्रौद्योगिकी का परिवर्तन उत्पादकता वृद्धि, आर्थिक विकास तथा सामाजिक परिवर्तन का मुख्य कारक है और हमारे जीवन के प्रत्येक क्षेत्र को पुनर्परिभाषित करने हेतु प्रौद्योगिकीय नेतृत्व आर्थिक रूप से वैश्विक नेतृत्व के लक्ष्य को प्राप्त करने के प्रमुख कारकों में से एक है।

सूचना, संचार प्रौद्योगिकी और इलेक्ट्रॉनिकी (आईसीटीई) विश्व का सबसे बड़ी और सबसे तेजी से प्रगति करने वाला उद्योग है और यह अर्थव्यवस्था के सभी क्षेत्रों में तीव्र अनुप्रयोगों की तलाश कर रहा है। विभिन्न उद्योगों की प्रतिस्पर्धा का निर्धारण उनकी व्यापार प्रक्रियाओं में आई.सी.टी.ई. के एकीकरण की क्षमता के आधार पर किया जा रहा है। इसलिए आई.सी.टी.ई. को विकास में प्रमुख शक्ति के रूप में चिन्हित किया गया है और विश्व स्तर पर इसे "मेटा– रिसोर्स" के तौर पर स्वीकार किया गया है।

डीईआईटीवाई ने अनुसंधान एवं विकास और नवाचार के प्रोत्साहन को इलेक्ट्रॉनिकी एवं आईसीटी परितंत्र का अभिन्न अंग माना है और इसने देश में बुनियादी घटकों से लेकर परिष्कृत उत्पादों के विकास तक के लिए पूरे अनुसंधान एवं विकास गतिविधियों की श्रृंखला का समर्थन किया है।

नवाचार प्रोत्साहन पर निर्मित अनुसंधान एवं विकास समूह समय– समय पर उद्योगों और शैक्षणिक संस्थानों के बीच सहयोगात्मक अनुसंधान एवं विकास को प्रोत्साहित करने के लिए अनेक कार्यक्रम और योजनाएं शुरु करता है और प्रारंभिक स्तर पर प्रौद्योगिकी उद्यमिता को भी बढ़ावा देता है।

आईसीटी क्षेत्र में नवाचार को प्रोत्साहित करने के लिए दो योजनाओं को समर्थित किया जा रहा हैः

1) प्रौद्योगिकी उष्मायन और उद्यमियों का विकास (टी.आई.डी.ई.)

इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी विभाग (डीईआईटीवाई) “प्रौद्योगिकी उष्मायन और उद्यमियों के विकास (टी.आई.डी.ई.)” नाम से एक योजना लागू करने जा रहा है। इस योजना को 2008 में प्रारंभ किया गया तथा इस योजना को संशोधित करके मार्च 2017 तक बढ़ा दिया गया है। योजना के प्रावधानों के अनुसार, भारत भर के शैक्षणिक संस्थानों में 27 केंद्रों को सहयोग प्रदान किया जाएगा।

इलेक्ट्रॉनिकी, आईसीटी और प्रबंधन के विभिन्न क्षेत्रों में टी.आई.डी.ई. का दृष्टिकोण बहुआयामी है। इसका उद्देश्य उच्च शिक्षा संस्थानों के प्रौद्योगिकी उष्मायन केंद्रों को मजबूत बनाना और युवा उद्यमियों को उनके द्वारा विकसित तकनीकों का वाणिज्यिक दोहन करने के लिए उन्हें प्रौद्योगिकी स्टार्टअप कंपनियां शुरु करने में सक्षम बनाना है।

टी.आई.डी.ई. उष्मायन केंद्र नए उद्यमियों को सेवाओं की विस्तृत श्रृंखला मुहैया कराता है और उनके अस्तित्व एवं विकास के लिए सौहार्दपूर्ण संबंधों की सुविधा भी प्रदान है। दूत निवेशकों और उद्यम पूँजीपतियों का केन्द्रिय नेटवर्क नए स्टार्टअप हेतु सलाह और वित्तीय सहायता प्रदान करता है, पट्टेदार कंपनियों को 2-3 साल की अवधि में पुर्ण रुप से स्थापित में सक्षम बनाता है और अंततः वास्तविक व्यवसाय को चलाने हेतु वाणिज्यिक स्थल उपलब्ध कराता है।

डीईआईटीवाई अपने वादे के मुताबिक प्रौद्योगिकी उष्मायन गतिविधियों को सुदृढ़ बनाने के लिए वित्तीय और नीतिगत समर्थन मुहैया करा रहा है, जिससे भविष्य में आई.सी.टी.ई. क्षेत्र में इस समर्थन की वजह से स्वदेशी उत्पादों और पैकेजों का विकास संभव हो सकेगा।

इस योजना के प्रमुख उद्देश्य हैं:

  • उच्च शिक्षण संस्थानों में प्रौद्योगिकी ऊष्मायन केंद्रों की स्थापना और उनको मजबूत करना,
  • उच्च शिक्षण संस्थानों द्वारा विकसित प्रौद्योगिकियों के वाणिज्यिक दोहन के लिए प्रौद्योगिकी उद्यमिता के विकास का पोषण,
  • उत्पाद उन्मुख अनुसंधान और विकास को प्रोत्साहन देना,
  • स्वदेशी उत्पादों और संकुल के विकास को प्रोत्साहित करना और अनुसंधान एवं विकास और व्यावसायीकरण के बीच के अंतर को कम करना।
  1. प्रौद्योगिकी उष्मायन और उद्यमियों का विकास (टी.आई.डी.ई.) योजना का विवरण[PDF]264.92 KB
  2. प्रौद्योगिकी ऊष्मायन और उद्यमियों का विकास (टी.आई.डी.ई.) केन्द्रों की सूची[PDF]111.25 KB
  3. प्रौद्योगिकी ऊष्मायन और उद्यमियों का विकास (टी.आई.डी.ई.) केन्द्रों की राज्यवार सूची[PDF]98.81 KB
  4. स्टार्टअप का विवरण[PDF]6.59 MB
  5. प्रौद्योगिकी उष्मायन और उद्यमियों का विकास (टी.आई.डी.ई.) योजना के तहत क्षमता निर्माण[PDF]122.88 KB
  6. प्रौद्योगिकी उष्मायन और उद्यमियों का विकास (टी.आई.डी.ई.) योजना का मुख्य परिणाम[PDF]204.83 KB

2) गुणक अनुदान योजना (एम.जी.एस.)

इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी विभाग (डीईआईटीवाई) गुणक अनुदान योजना (मल्टीप्लायर ग्रांट्स स्कीम) लागू करने जा रहा है। गुणक अनुदान योजना का उद्देश्य उद्योग और शैक्षिक/अनुसंधान एवं विकास संस्थानों के बीच उत्पादों एवं पैकेजों के विकास के लिए सहयोगात्मक अनुसंधान को बढ़ावा देना है। इस योजना के तहत, अगर उद्योग संस्थागत स्तर पर वाणिज्यिकृत किए जा सकने वाले उत्पादों के विकास के लिए अनुसंधान एवं विकास को सहयोग प्रदान करता है तो सरकार भी वित्तीय सहायता प्रदान करेगी, जो उद्योग द्वारा प्रदान की जाने वाली वित्तीय सहायता की दुगुनी होगी। इस योजना के तहत वित्तीय सहायता प्राप्त करने हेतु प्रस्ताव उद्योग और संस्थाओं द्वारा संयुक्त रूप से प्रस्तुत किया जाना है।

36 करोड़ रुपए की कुल लागत तथा डीईआईटीवाई के 24 करोड़ रुपए के योगदान के साथ योजना को 31 मार्च 2017 तक के लिए बढ़ा दिया गया है। प्रौद्योगिकी विकास परिषद (टीडीसी) के बजट का इस्तेमाल इस योजना के क्रियान्वयन के लिए किया जाएगा। इस पायलट कार्यान्वयन और प्रतिक्रिया के आधार पर कार्य समूह द्वारा इस योजना कि समीक्षा की जाएगी।

इस योजना के प्रमुख उद्देश्य हैं:

  • उद्योग और संस्थानों के बीच के संबंधों को स्थापित, विकसित और मजबूत बनाना;
  • संस्थानों में उद्योग उन्मुख अनुसंधान एवं विकास को बढ़ावा देना;
  • स्वदेशी उत्पादों और संकुल के विकास को प्रोत्साहित करना और इसमे तेजी लाना; तथा
  • आर एंड डी/साक्ष्य की अवधारणा और व्यावसायीकरण/वैश्वीकरण के बीच की खाई को कम करना।
  1. गुणक अनुदान योजना (एम.जी.एस.) का विवरण[PDF]211.68 KB
  2. गुणक अनुदान योजना (एम.जी.एस.) के तहत वर्तमान में जारी परियोजनाएं[PDF]226.85 KB
  3. परियोजना प्रस्तावों का निमंत्रण[PDF]147.62 KB
  4. अनुदान शासी नियम और शर्तें[PDF]67.88 KB
  5. गुणक अनुदान योजना के तहत उद्योग और शैक्षणिक / सरकारी अनुसंधान एवं विकास प्रयोगशालाओं द्वारा संयुक्त अनुसंधान एवं विकास परियोजना प्रस्ताव प्रस्तुत करने के लिए आवेदन पत्र[PDF]102.36 KB
  6. आईपीआर/रॉयल्टी अनुबंध[PDF]5.84 KB

अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें-

सुश्री गीता कठपालिया
वैज्ञानिक जी एंव विभागाध्यक्ष, नवाचार एवं आई.पी.आर. प्रभाग
इलेक्ट्रॉनिकी एवं सूचना प्रौद्योगिकी विभाग
संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय
इलेक्ट्रॉनिकी निकेतन, 6, सीजीओ काम्प्लेक्स, लोधी रोड
नई दिल्ली - 110003
टेलीफोनः +91-11-24363128 (कार्यालय)
ई– मेलः geetaATdeity.gov.in