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नवाचार प्रोत्साहन एवं आईपीआर के तहत प्रायोजित अनुसंधान एवं विकास परियोजनाएं

  • सीडैक, नोएडा में ट्रांजिट में पर्यावरण संवेदनशील वस्तुओं के लिए एक ऑब्जेक्ट ट्रैकिंग सिस्टम (वस्तु खोज प्रणाली) का डिजाइन और विकास

इस परियोजना का उद्देश्य पर्यावरण पैमानों (तापमान, आर्द्रता और कंपना) की निगरानी एवं संलेखन हेतु एक प्रणाली का डिजाइन बनाना और उसे विकसित करना है जो कि विभिन्न परिस्थितियों में उत्पाद/ वस्तु की गुणवत्ता और प्रदर्शन को सुनिश्चित करने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। इस परियोजना में, एक बहुत ही कम बिजली खपत करने वाले उपकरण का प्रस्ताव दिया गया है जिसमें सेंसर (तापमान), मेमोरी, बैट्री और बेतार संचार गुण (वायरलेस कम्युनिकेशन फीचर्स) लगे हैं। जो उपयोगकर्ता द्वारा निर्धारित अंतराल पर निगरानी और तापमान संलेखन का कार्य करेगा। इससे भंडारण या परिवहन चक्र के बाद प्रयोग के समय उत्पाद की गुणवत्ता सुनिश्चित की जा सकेगी।

  • दालबाग एजुकेशनल इंस्टीट्यूट, आगरा का चलने वाले उपकरण (वॉकिंग एप्परेटस) (अवधारणा सत्यापन, व्यवहार्यता, प्रोटोटाइपिंग और परीक्षण) का विकास

इस परियोजना का उद्देश्य एक ऐसे बहु– पैर वाले मोटरचालित उपकरण (वॉकिंग एप्परेटस) का नमूना (प्रोटोटाइप) विकसित करना है जो कि घर के भीतर इस्तेमाल करने के लिए पर्याप्त हो साथ ही इसमें रेत या घास जैसे मुलायम सतहों पर चलने की भी क्षमता हो।

  • भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, गुवाहाटी में छवियों और वीडियो की मजबूत वाटरमार्किंग का डिजाइन और विकास

इस परियोजना का उद्देश्य डिजिटल वाटरमार्किंग तकनीक के जरिए छवियों (फोटो) और वीडियो की रक्षा औऱ स्वामित्व पहचान का प्रबंधन करने हेतु एक प्रणाली का डिजाइन और विकास करना है।

  • स्रोत कोड साहित्यिक चोरी का पता लगाने के लिए अमृता विश्व विद्यापीठ्म में प्लैजरिज्म डिटेक्टिंग इंजन का विकास

इसका उद्देश्य DVIAT (अमृता विश्वविद्यालय में विकसित किया जाने वाला प्लैजरिज्म डिटेक्टिंग इंजन) का विस्तार करना। इससे सोर्स कोड प्लैजरिज्म का पता लगाया जा सकेगा। यह परियोजना हाल ही में शुरु की गई है और परियोजना की टीम बुनियादी ढांचा तैयार करने और मानवशक्ति के चयन की प्रक्रिया में है।

  • ई एंड आईटी क्षेत्र में आईपी जागरूकता कार्यक्रम

इस परियोजना के तीन हिस्से हैं– क) ई एंड आईटी के छात्रों, शिक्षकों, कार्यरत पेशेवरों, अनुसंधानकर्ताओं, आईपीआईर विशेषज्ञों औऱ न्यायपालिका के लिए आईपीआर जागरूकता कार्यशालाओं/ सेमिनारों का आयोजन, ख) ईएंडआईडी के छात्रों के लिए मल्टीमीडिया आधारित कोर्स तैयार करना जिसे आईआईटी, खड़गपुर कार्यान्वित करेगा और ग) WIPO के आईपी पैनोरमा फॉर इंडियन ईएंडआईटी एसएमई का अनुकूलन।

  1. ई एंड आईटी के छात्रों, शिक्षकों, कार्यरत पेशेवरों, अनुसंधानकर्ताओं, आईपीआर विशेषज्ञों और न्यायपालिका के लिए आईपीआर जागरूकता कार्यशालाओं/ सेमिनारों का आयोजन:

परियोजना के तहत, विभिन्न हितधारकों के लिए 60 राष्ट्रीय/ क्षेत्रीय कार्यशालों का आयोजन प्रस्तावित है। इसमें शैक्षणिक समुदायों के लिए 50 आईपीआर कार्यशालाएं और एसएमई एवं अनुसंधानकर्ताओं के लिए राष्ट्रीय स्तर की 10 कार्यशालाएं होंगी। अब तक भारत में ऐसी कुल 40 कार्यशालाओं को उत्साहजनक प्रतिक्रिया मिली है।

  1. ईएंडआईडी के छात्रों के लिए मल्टीमीडिया आधारित कोर्स तैयार करना जिसे आईआईटी, खड़गपुर कार्यान्वित करेगा

ईएंडआईटी छात्रों के लिए मल्टीमीडिया पोर्टल आधारित कोर्स को आईआईटी खड़गपुर के राजीव गांधी स्कूल ऑफ इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी लॉ (आरजीएसओआईपीएल) ने विकसित किया है। मल्टीमीडिया आधारित यह कोर्स ऑनलाइन उपलब्ध होगा और यह आईपीआर की बुनियादी समझ प्रदान करेगा। वीडियो व्याख्यान, प्रश्नोत्तरी खंड (क्विज सेक्शंस), मॉड्यूल के पूरा होने परे टेस्ट, इस कोर्स के कुछ मुख्य आकर्षण हैं। यह परियोजना पूरा होने वाली है।

  1. "WIPO के आईपी पैनोरमा फॉर इंडियन ईएंडआईटी एसएमई का अनुकूलन" का कार्यान्वयन सीडैक पुणे कर रहा है

उपयोगकर्ता के अनुकूल ई– लर्निंग मल्टीमीडिया उत्पाद 'भारतीय आईपी पैनरोमा' में बैद्धिक संपदा अधिकारों के विभिन्न पहलुओं को कवर किया गया है। यह उत्पाद अब बन कर तैयार है। भारतीय IP PANORAMA एकल खिड़की (सिंगल विंडो) इंटरफेस है लघु एवं मध्य उद्यम (एसएमई) क्षेत्र, शैक्षणिक समुदायों और अनुसंधानकर्ताओं के बीच प्रतिस्पर्धात्मक लाभ के लिए बौद्धिक संपदा की पहचान और इस्तेमाल हेतु आईपी जागरूकता को बढ़ाएगा। 11 मॉड्यूलों के अलावा इस मल्टीमीडिया उत्पाद में व्यापक अध्ययन के लिए प्रश्नोत्तरी, केस स्टडी, लर्निंग खंड आदि भी हैं।

  • सीडैक, पुणे द्वारा बौद्धिक संपदा अधिकार में उत्कृष्टता केंद्र की स्थापना

इस परियोजना का उद्देश्य पेटेंट आवेदन डाटाबेस के लिए मानक दिशानिर्देश बनाना, पैम पोर्टल जैसे http://ict-ipr.in/, उन्नत अनुसंधान विकल्पों का विकास और डीईआईटीवाई, नई दिल्ली एवं सीडैक, पुणे के पेटेंट खोज केंद्रों के रखरखाव सहित मौजूदा सेवाओं का विकास करना है।