क्र. सं. | परियोजना का नाम | कार्यान्वयन संगठन/संस्थान | उददेश्य/कार्यक्षेत्र |
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1 | वेब अनुप्रयोगों और मोबाइलों के लिए एक एंटी मालवेयर समाधान का डिजाइन और विकास | सी-डैक, हैदराबाद | संघटकों के साथ वेब अनुप्रयोगों और मोबाइलों के लिए एक एंटी मालवेयर समाधान का डिजाइन और विकास : (क) ड्राइव-वाई-डाउनलोड अटैक का समाधान करने के लिए आईई और फायर फॉक्स ब्राउजर के लिए सुरक्षा एड ऑन, (ख) विद्वेषमूलक लिपियों का पता लगाने के लिए स्थिर विश्लेषण, (ग) कोड इंजेक्शन के लिए मेमोरी विश्लेषण, (घ) आंतरिक स्थिति और कार्य प्रवाह परिवर्तनों की पहचान द्वारा वेब अनुप्रयोग (पीएचपी आधारित) सुरक्षा (ड़) मोबाइल उपकरणों पर वेब आधारित मालवेयर हमलों के लिए सुरक्षा एड-ऑन (च) मालवेयर का पता लगाने के लिए ह्यूरिस्टिक आधारित बाइनरी विश्लेषण (छ) रूट किट डिटेक्शन और (ज) अनुप्रयोग नियंत्रण |
2 | एक सुरक्षित डेटा एकीकरण प्रणाली और वायरलेस सेंसर नेटवर्क के लिए अनुदेश का पता लगाने के लिए प्रणाली | सरदार वल्लभभाई नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, सूरत | (क) होमोमॉर्फिक इंस्क्रिप्शन का इस्तेमाल करते हुए वायरलेस सेंसर नेटवर्क के लिए एक सुरक्षित डेटा एकीकरण प्रणाली का डिजाइन, विश्लेषण और कार्यान्वयन (ख) इंट्रूशन का पता लगाने के लिए एक आदिरूप प्रणाली (आईडीएस) का डिजाइन और कार्यान्वयन, जो कोड अधिप्रमाणन पर आधारित होगी। |
3 | उन्नत स्तर की सूचना सुरक्षा और कौशल विकास के लिए उन्नत आभासी वातावरण आधारित सहक्रियात्मक सूचना सुरक्षा प्रशिक्षण किट। | नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ इलेक्ट्रॉनिक्स एंड इंफार्मेशन टेक्नोलॉजी (नाइलिट), गोरखपुर। | लक्षित और वास्तविक समय आधारित हमलों के विरूद्ध संगठनात्मक स्तर पर उन्नत प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए एकीकृत आभासी प्रशिक्षण वातावरण के रूप में कार्य करने हेतु मौजूदा आभासी प्रशिक्षण वातावरण का विस्तार। |
4 | पीयर टू पीयर नेटवर्क में सुरक्षा और गोपनीयता संबंधी हमलों का स्वचालित ढंग से पता लगाना | बिट्स पिलानी, हैदराबाद कैंपस | नेटवर्क सुरक्षा पर पी2पी ट्रैफिक के नकारात्मक प्रभाव की जांच करना और इन प्रभावों को दूर करने के लिए निजी-सुरक्षा पी2पी डिटेक्टर का विकास करना। |
5 | मोबाइल उपकरण सुरक्षा समाधान का डिजाइन और विकास | सी-डैक हैदराबाद, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, (आईआईटी) मद्रास, चेन्नई | मोबाइल उपकरण सुरक्षा ढांचे के लिए संदर्भ आर्किटेक्चर तैयार करना और एंड्रायड तथा सिंडियन ऑपरेटिंग प्रणालियों के लिए कार्यान्वित करना। |
6 | स्थानीय विशेषताओं का विकास और आइरिस बायोमीट्रिक्स के लिए फीचर रिडक्शन स्कीम | राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईटी), राउरकेला | क) आइरिस टेक्सचर के लिए स्थानीय और रोबस्ट विशेषताओं का विकास और ख) पहले से परिभाषित विशेषताओं को कम करने के लिए क्लस्टर विकास योजनाएं ताकि वे इंडेक्सिंग और रिट्रिवल के लिए उपयोगी हो सकें। |
7 | स्पीच आधारित बहु स्तरीय अधिप्रमाणन प्रणाली का विकास | भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), गुवाहाटी राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईटी), सिलचर और एनईएचयू शिलांग | स्पीच आधारित बहु स्तरीय अधिप्रमाणन प्रणाली का विकास, जिसमें पाठ्य की दृष्टि से स्वतंत्र और वाक पासवर्ड वक्ता सत्यापन प्रणालियां तथा उनके न्यायिक सम्मिश्रण शामिल हैं। |
8 | महत्वपूर्ण इंटरनेट प्रोटोकॉल बीजीपी और डीएनएस का इस्तेमाल करते हुए साइबर सुरक्षा शीघ्र चेतावनी ढांचा | अमृता विश्व विद्यापीठम, केरल | शीघ्र चेतावनी ढांचे का सृजन और इंटरनेट आधारित साइबर सुरक्षा खतरों का पता लगाने के लिए प्रायोगिक परियोजना पैमाने पर इसका परिनियोजन। इस ढांचे में डोमेन नाम प्रणाली (डीएनएस) और बॉर्डर गेटवे प्रोटोकॉल (बीजीपी) डेटा एकत्र करने के लिए सेंसर का इस्तेमाल किया जाएगा, जिसका विश्लेषण इंटरनेट आधारित हमलों का पता लगाने और पूर्वानुमान लगाने के लिए किया जाएगा। |
9 | क्लाउड कंप्युटिंग के लिए अनुप्रयोग के साथ इंटीजर आधारित होमोमॉर्फिज्म इंस्क्रिप्शन तकनीकों का विकास | जेएनटीयू, हैदराबाद | (क) प्रभावी ढंग से इंस्क्रिप्टेड डेटा के निष्पादन प्रचालन हेतु उपयुक्त नई इंटीजर आधारित होमोमॉर्फिक इंस्क्रिप्शन तकनीकों के विकास के लिए एक्सप्लोर होमोमॉर्फिक इंस्क्रिप्शन स्कीम और (ख) क्लाउड कंप्यूटिंग वातावरण में विकसित तकनीकों का अनुप्रयोग और परीक्षण। |
10 | डब्ल्यूएसएन सुरक्षा और प्रशिक्षण में क्षमता निर्माण | नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ इलेक्ट्रॉनिक्स एंड इंफार्मेशन टेक्नोलॉजी (नाइलिट), श्रीनगर। |
(i)डब्ल्यूएसएन अनुप्रयोगों के लिए उन्नत अधिप्रमाणन प्रोटोकॉल का विकास (ii) डब्ल्यूएसएन सुरक्षा पर शिक्षण पाठ्यचर्या, प्रशिक्षण सामग्री का विकास (iii) तकनीकी संस्थानों के विद्यार्थियों, शोध छात्रों और अध्यापकों के लिए डब्ल्यूएसएन सुरक्षा में मॉड्यूलर फैशन में अल्पकालिक प्रशिक्षण कार्यक्रम संचालित करना। |
11 | रेंज इमेज पर आधारित 3डी फेस रिकोगनीशन तकनीकों का विकास | जाधवपुर विश्वविद्यालय, कोलकाता | (क) विभिन्न संसाधन पूर्व तकनीकों और 3डी फेस इमेज के लिए जांच एलगोरिदम का अध्ययन और अण्वेषण (ख) 3डी फेस इमेज के जरिए मानवीय चेहरों की पहचान के लिए विभिन्न मौजूदा वर्गीकरण तकनीकों की प्रयोजनियता की जांच (ग) 3डी फेजस इमेज की पहचान और इन अल्गोरिदम का इस्तेमाल करते हुए मानवीय चेहरों की पहचान के लिए एक आदिरूप प्रणाली का प्रदर्शन करने हेतु रेंज इमेज पर नए अलगोरिदम का विका। |
12 | डिजिटाइज्ड दस्तावेज धोखाधड़ी का पता लगाने के लिए प्रणाली का डिजाइन और विकास | इंद्रप्रस्थ इंस्टीट्टयूट फॉर इंफार्मेशन टेक्नोलॉजी ( आईआईआईटी), नई दिल्ली | न्यायिक जांच के संबंध में डिजिटाइज्ड दस्तावेज धोखाधड़ी का पता लगाने के लिए प्रणाली का डिजाइन और विकास करना। |
13 | पूर्वोत्तर राज्यों में उपयुक्त प्रशिक्षण और प्रचार तंत्र के जरिए स्कूली बच्चों , महाविद्यालयों के विद्यार्थियों और जनता के बीच बड़े पैमाने पर साइबर सुरक्षा जागरूकता पैदा करना | नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ इलेक्ट्रॉनिक्स एंड इंफार्मेशन टेक्नोलॉजी (नाइलिट), दिल्ली । | (i) जागरूकता बढ़ाने के लिए विद्यार्थियों को स्थानीय भाषा में बड़े पैमाने पर साइबर सुरक्षा प्रशिक्षण प्रदान करना। (ii) स्कूलों और महाविद्यालयों के जरिए संकाय प्रशिक्षण कार्यक्रम संचालित करना (iii) साइबर सुरक्षा बेव पोर्टल की स्थापना करना और पोर्टल के जरिए हेल्पलाइन का कार्यान्वयन (iv) साइबर सुरक्षा पर विचार-विमर्श/ टीवी तथा रेडियो के जरिए वार्ताएं आयोजित करनरा। (v) साइबर सुरक्षा पर ऑडियो और वीडियो सीडी तैयार और वितरित करना। |
14 | जटिलता कम करने के लिए एक सुरक्षित संचार प्रणाली का डिजाइन और कार्यान्वयन। | राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईटी), कालीकट | एक सुरक्षित संचार प्रणाली का डिजाइन और विकास जो प्रमुख एक्सचेंज की क्रिप्टोग्रैफिक सेवाएं, डेटा सत्यनिष्ठा सत्यापन और हार्डवेयर की कमतर जटिलता तथा कम बिजली खपत के साथ डेटा की विश्वसनीयता उपलब्ध करा सकती है। |
15 | पता लगाने के लिए नेटवर्क ट्रैफिक वर्गीकरण आधारित पहल का विकास | गुवाहाटी विश्वविद्यालय, गुवाहाटी |
बोटनेट का पता लगाने के लिए नेटवर्क ट्रैफिक वर्गीकरण आधारित पहल का विकास। इसमें (i) नेटवर्क ट्रैफिक का विश्लेषण और ऐसे नोड के सेटों की ग्राफ आधारित पहल के जरिए पहचान। (ii) ऐसे नोडों के सेटों का विकास जो माइनिंग आधारित नेटवर्क ट्रैफिक वर्गीकरण तकनीकों का इस्तेमाल करते हैं। |
16 | प्रयोक्ता द्वारा डाली गई सूचना सामग्री और साइबर अपराध रोकने के लिए बहुत से ऑनलाइन सोशल मीडिया पर प्रयोक्ताओं की विश्वसनीयता का विश्लेषण और उपाय | इंद्रप्रस्थ इंस्टीट्यूट ऑफ इंफार्मेशन टेक्नोलॉजी (आईआईआईटी), दिल्ली | (i) बहुत से ऑनलाइन सोशल मीडिया (ट्विटर, फेसबुक, गूगल और यूट्यूब) पर जेनरेट की गई सूचना सामग्री और प्रयोक्ता प्रोफाइल की विश्वसनीयता के विश्लेषण और मापन के लिए मशीन अधिगम प्रौद्योगिकियों का इस्तेमाल (ii) ट्विटर, फेसबुक, गूगल और यूट्यूब से डेटा एकत्र करने और महत्वपूर्ण घटनाओं पर अपराधों के विश्लेषण हेतु उनके सहसंबंधों और स्रोतों का पता लगाने के लिए उनके साथ डेटा मर्ज करने के लिए एक ढांचे का विकास। |
17 | बहु मॉडल ब्रॉडकास्ट विश्लेषण प्रणाली-सुरक्षा से संबंधित घटनाओं के पूर्वानुमान के लिए ढांचागत घटना परिकल्पना। | भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), गुवाहाटी | एकीकृत बहु मॉडल ब्रॉडकास्ट विश्लेषण प्रणाली का विकास जिसमें निम्नलिखित शामिल हैं (क) टेक्स्ट माइनिंग, वीडियो विश्लेषण और सुरक्षा संबंधी चिंताओं की घटनाओं से जुड़े उपलब्ध स्पीच/ऑडियो वीडियो क्षेत्रों द्वारा समाचार बेवसाइटों और टीवी समाचार चैनलों पर किए जा रहे प्रसारण का बहु मॉडल सूचना सामग्री विश्लेषण (ख) बहु मॉडल घटनाओं (टेक्स्ट/ऑडियो/वीडियो) की सूची तैयार करने के लिए घटना ज्ञान आधार के आंटोलॉजिकली मोडिवेटेड और ढांचागत प्रतिनिधित्व का डिजाइन और (ग) ढांचागत घटना पूर्वानुमान और चेतावनी के लिए ज्ञान आधारित इंटरफेसिंग प्रणाली का विकास। |
18 | नेटवर्क सुरक्षा के लिए क्वैंटम की वितरण प्रोटोकॉल का कार्यान्वयन और विश्लेषण | असम विश्वविद्यालय, सिलचर | क) मौजूदा क्यूकेडी प्रोटोकॉल (बीबीएम92 प्रोटोकॉल) के सिमुलेशन के जरिए कार्यान्वयन और विश्लेषण तथा व्यवहारिक वातावरण में इसके इस्तेमाल की व्यवहार्यता का अध्ययन ख) प्रोटोकॉल पर इवेसड्रॉपर हमले से जुड़ी व्यवहारिक सुरक्षा चिंताओं का अध्ययन। |
19 | तकनीकी शिक्षक प्रशिक्षण के लिए साइबर सुरक्षा और न्यायिक जांच प्रशिक्षण सुविधा की स्थापना | राष्ट्रीय तकनीकी शिक्षक प्रशिक्षण और अनुसंधान संस्थान(एनआईटीटीटीआर), चंडीगढ़ | (क) तकनीकी (पॉलिटेकनिक और इंजीनियरिंग) शिक्षकों के लिए प्रशिक्षण और जागरूकता कार्यक्रमों का आयोजन। (ख) पॉलिटेकनिक और इंजीनियरिंग महाविद्यालयों के तकनीकी स्टाफ के लिए व्यवहारिक कार्यशालाओं का आयोजन (ग) व्यवहारिक प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए साइबर न्यायिक जांच प्रशिक्षण सुविधा की स्थापना। |
20 | ई-शासन परियोजनाओं का कार्यान्वयन करनेवाले प्रयोक्ताओं के लिए कार्यान्वयन तथा मूल्यांकन सुविधाओं सहित सूचना, सुरक्षा आश्वासन ढांचा प्रदान करना। | प्रबंधन विकास संस्थान (एमबीआई), गुड़गांव | ई-शासन परियोजनाओं का कार्यान्वयन करनेवाले प्रयोक्ताओं के लिए कार्यान्वयन तथा मूल्यांकन सुविधाओं सहित सूचना, सुरक्षा आश्वासन ढांचा प्रदान करना। इसके कार्यक्षेत्र में विशेष रूप से निम्नलिखित कार्य शामिल होंगे : (क) परिसंपत्तियों के श्रेणीकरण हेतु मानदंड स्वचालित करना और उनका मानकीकरण करना, जिसमें ई-शासन की आवश्यकताओं के अनुरूप विभिन्न श्रेणी की सूचना प्रणालियों के लिए जोखिम स्तर और अनुशंसित सुरक्षा नियंत्रण तथा आश्वासन आवश्यकताओं के अनुसार सूचना और सूचना प्रणालियां शामिल होंगी। (ख) परिस्करण और सुधार के लिए 2-3 प्रायोगिक स्थलों पर इस ढांचे का परीक्षण (ग) पर्यवेक्षण, सतत अनुपालन और निगरानी सुनिश्चित करने के लिए व्यवस्था हेतु सुझाव। |
21 | बड़े डेटाबेस की वेंडिंग के लिए चेहरा पहचान प्रणाली का विकास और वीडियो विस्तार के लिए उन्नत प्रौद्योगिकियों का विकास। | सी-डैक, कोलकाता |
(क) वीडियो विस्तार के लिए उन्नत प्रौद्योगिकियों का विकास (ख) चेहरों वाले बड़े डेटाबेस के रखरखाव के लिए पहले से विकसित स्वचालित चेहरा पहचान प्रणाली की क्षमताओं का विस्तार |
22 | ऑनलाइन सूचना सुरक्षा मैट्रिक्स टूल का डिजाइन और विकास | जाधवपुर विश्वविद्यालय, कोलकाता |
(क) वास्तविक समय आधारित विश्लेषण और मापन तथा प्रचालनात्मक और अनुपालन संबंधी मुद्दों के लिए लगभग वास्तविक समय आधारित चेतावनी देने के लिए ऑनलाइन सूचना सुरक्षा मैट्रिक्स टूल का विकास और कार्यान्वयन (ख) डब्ल्यूआईएसएसडीओएम2 (‘’वेब सर्विस बेस इंफॉर्मेशन सिस्टम सिक्युरिटी डिजाइन एंड ऑपरेशनल मैनेजमेंट’’) टूल स्यूट (डब्ल्यूआईएसएसडीओएम2-ईगॉव और डब्ल्यूआईएसएसडीओएम2-दूरसंचार) का प्रयोक्ता फीडबैक और नए मानक अर्थात आईएसओ/आईईसी 27001:2013 और 27002:2013 को शामिल कर विस्तार करना। (ग) आईएसओ 27015 मानक और आईडीआरबीटी द्वारा प्रकाशित सूचना सुरक्षा ढांचे के आधार पर आईडीआरबीटी की आवश्यकता के अनुसार डब्ल्यूआईएसएसडीओएम2- बैंकिंग का डिजाइन पुन: तैयार करना। |
23 | इंटेलिजेंट एडेप्टिव वीडियो मॉनिटरिंग एंड रिकॉर्डिंग सिस्टम का विकास। | भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, (आईआईटी), मद्रास | (क) आदमियों की पहचान और ट्रैकिंग तथा भीड़-भाड़ वाले दृश्यों में हाई रिजोल्यूशन के साथ चेहरों की पहचान के लिए मौजूदा एल्गोरिदम का विस्तार और नए सिरे से विकास।/ (ख) उपयुक्त कंप्रेषण फॉर्मेट में इस प्रकार तैयार की गई इमेज और वीडियो के पारेषण और भंडारण के लिए उपयुक्त प्रोटोकॉल तथा सॉफ्टवेयर का विकास। |
24 | साइबर न्यायिक जांच टूल का डिजाइन, विकास और विस्तार | सी-डैक, तिरूवनंतपुरम | मौजूदा टूलों (साइबर जांच, मोबाइल जांच, उद्यम न्यायिक जांच प्रणाली, नेटवर्क सेशन एनालाइजर, साइबर इंवेस्टिगेटर, विनलिफ्ट, सीडीआर एनालाइजर, बहुभाषी खोज टूल इमेज फोरेंसिक्स टूल, मोबाइल एक्सट्रैक्टर का विस्तार और परिष्करण। इसके लिए उन्नत प्रौद्योगिकी और कानून प्रवर्तन एजेंसियों (एलईए) की आवश्यकताओं के अनुसार विशेषताएं शामिल करना। |
25 | वेब अनुप्रयोगों में एक्सएमएल आधारित इंजेक्शन सुभेद्यताओं का पता लगाने के लिए टूल का विकास। | राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईटी), सूरतखल | वेब अनुप्रयोगों में एक्सएमएल आधारित इंजेक्शन सुभेद्यताओं का पता लगाने के लिए टूल का विकास। आदिरूप टूल का प्रदर्शन एक वेब अनुप्रयोग की सहायता से किया जाएगा। |