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ई-शासन परियोजनाओं का मूल्‍यांकन

इलेक्‍ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी विभाग (डीईआईटीवाई) इन परियोजनाओं के प्रभाव, उपयोगिता, स्‍थायित्‍व, मापनीयता और विश्‍वसनीयता को समझने के प्रयोजन से भारत भर में ई-शासन सेवाओं का कोई उपाय उपलब्‍ध कराने वाली विकासात्‍मक (आईसीटी 4डी) परियोजनाओं के लिए ई-शासन और आईसीटी के स्‍वतंत्रतृतीय पक्षकार द्वारा मूल्‍यांकन कराने, उनकी पहचान करने के लिए अपनी समग्र ई-मूल्‍यांकन रणनीति के भाग के रूप में उनकी सूची तैयार करने का प्रस्‍ताव करता है।

डीईआईटीवाई वर्ष 2007 से परियोजनाओं का स्‍वतंत्र तृतीय पक्षकार द्वारा मूल्‍यांकन करता आ रहा है।

मूल्‍यांकन ढांचा

परियोजनाओं का मूल्‍यांकन करने और परियोजनाओं के बीच निष्‍पादन की तुलना तथा विभिन्‍न स्‍थानों में कार्यान्‍वयन का मूल्‍यांकन करने के प्रयोजन से सभी परियाजनाओं का मूल्‍यांकन एक मूल्‍यांकन ढांचे के आधार पर किया जाता है जिसे प्रत्‍येक परियेाजना के लिए कस्‍टमाइज किया जाता है। मूल्‍यांकन के व्‍यापक मानदंड – आउटरीच के प्रभाव का मूल्‍यांकन सेवाओं के अभिगम की लागत, सेवाओं की गुणवत्‍ता और परियोजनाओं के बीच संपूर्ण शासन एक जैसा बना रहे।

वर्ष 2007-08 के लिए इस्‍तेमाल किए गए मूल्‍यांकन ढांचे का अभिगम  यहां किया जा सकता है।

वर्ष 2009-10 के लिए इस्‍तेमाल किए गए मूल्‍यांकन ढांचे का अभिगम यहां किया जा सकता है।

वर्ष 2007-10 के दौरान किए गए मूल्‍यांकन अध्‍ययनों के आधार पर निम्‍नलिखित तथ्‍य उभरकर सामने आए:

  • प्रभाव मूल्‍यांकन ढांचे में प्रभाव के कारण शामिल करने के लिए प्रभाव मूल्‍यांकन के कार्य क्षेत्र का विसतार करने की आवश्‍यकता है।

  • जी2सी सेवा प्रदायगी की मौजूदा स्थिति समझने के साथ-साथ उत्‍तरवर्ती तारीख में प्रभाव मूल्‍यांकन करने के लिए आधार सृजित करने हेतु आधारभूत अध्‍ययन संचालित करना।

  • प्रभाव में परिवर्तन के कारण समझने के साथ-साथ पुनरावृत्ति आदि के लिए उनकी सफलता, स्‍थायित्‍व, संभावना के कारण समझने के लिए बड़ी और/अथवा सफल परियोजनाओं का गंभीरता से मामला अध्‍ययन करना।

तदनुसार मूल्‍यांकन ढांचे में उपर्युक्‍त तथ्‍यों का शामिल करने के लिए इसे संशोधित किया गया।

संशोधित मूल्‍यांकन ढांचे का यहां अभिगम किया जा सकता है।

मूल्‍यांकन के प्रकार :

ई-शासन परियोजनाओं के लिए तीन प्रकार का मूलयांकन किया गया:

ई-शासन परियोजनाओं का प्रभाव मूल्‍यांकन

ऐसी परिपक्‍व परियोजनाओं का प्रभाव मूल्‍यांकन किया गया जो 1-2 वर्ष से नागरिकों को सेवाएं प्रदान कर रही हैं। मूल्‍यांकन के व्‍यापक मानदंड – आउटरीच के प्रभाव का मूल्‍यांकन सेवाओं के अभिगम की लागत, सेवाओं की गुणवत्‍ता और परियोजनाओं के बीच संपूर्ण शासन एक जैसा बना रहे।

ई-शासन परियोजना पर आधारभूत अध्‍ययन

ऐसी परियोजनाओं का आधारभूत अध्‍ययन किया जाता है, जो या तो संकल्‍पना चरण पर हैं अथवा कार्यान्‍वयन के आरंभिक चरण पर। आधारभूत अध्‍ययन के प्रभाव मूल्‍यांकन की तरह मूल्‍यांकन ढांचा लागू किया जाता है। कंप्‍यूटरीकृत सेवाओं का वास्‍तविक कार्यान्‍वयन शुरू करने से पहले फीडबैक के रूप में इस अध्‍ययन के आधार पर की गई सिफारिशों को एकीकृत किया जाता है। इसके अलावा कंप्‍यूटरीकृत सेवाओं के कार्यान्‍वयन से पहले नियंत्रक समूह (मैनुअल प्रयोक्‍ताओं) से एकत्र किया गया डेटा यह सुनिश्चित करता है कि मूल्‍यांकन अध्‍ययन में कुछ अंतराल पाए गए हैं। इस चीज की जानकारी तब होती है, जब ऐसे अध्‍ययन किए जाते हैं और यह पता चलता है कि डेटा की मांग के लिए अन्‍य साधनों पर निर्भरता कम हो जाती है। इसके परिणाम ऐसी वर्तमान समस्‍याओं के बारे में जानकारी प्रदान करते हैं, जिन्‍हें लक्षित लाभार्थियों के लिए स्‍पष्‍ट लक्ष्‍य निर्धारित करने में परियोजनाओं को समर्थ बनाने के साथ-साथ तत्‍काल दूर किया जाएगा।

ई-शासन परियोजना का विस्‍तृत मूल्‍यांकन

विस्‍तृत मूल्‍यांकन उन परियोजनाओं का किया जाता है, जिनका प्रभाव मूल्‍यांकन पहले ही किया जा चुका है। विस्‍तृत मूल्‍यांकन विभिन्‍न स्‍थानों पर प्रभाव और/अथवा विचलन के कारणों का पता लगाने और समझने के लिए किया जाता है। यह इस चीज की जानकारी एकत्र करने में सहायक होता है कि अलग-अलग स्‍थानों पर परियोजनाओं का प्रभाव भिन्‍न क्‍यों और कैसे हुआ जबकि उन परियोजनाओं के संपूर्ण उद्देश्‍य और कार्यान्‍वयन मॉडल एक जैसे हैं। ई-शासन के लिए राष्‍ट्रीय पुरस्‍कार विजेताओं का चयन भी इन परियोजनाओं की सर्वोत्‍तम पद्धतियों के अध्‍ययन के लिए पुरस्‍कारों की विभिन्‍न श्रेणियों को ध्‍यान में रखते हुए किया जाता है।

परियोजना का चयन

परियोजना का चयन निम्‍नलिखित मानदंडों पर आधारित है:

राज्‍यव्‍यापी परियोजनाओं के लिए :

  1. परियोजना को निश्चित जी2सी/जी2बी सेवाएं प्रदान करनी चाहिए।

  2. परियोजना का कार्यान्‍वयन 1 वर्ष से अधिक समय से किया जा रहा हो।

  3. परियोजना के अंतर्गत जनसंख्‍या के कम से कम 20 प्रतिशत भाग अथवा 4 जिलों को शामिल किया गया हो।

राष्‍ट्रव्‍यापी परियोजनाओं के लिए :

  1. परियोजना को निश्चित जी2सी/जी2बी सेवाएं प्रदान करनी चाहिए।

  2. परियोजना का कार्यान्‍वयन 1 वर्ष से अधिक समय से किया जा रहा हो।

  3. परियोजना में चिह्नित अंतिम प्रयोक्‍ताओं के कम से कम 25 प्रतिशत प्रयोक्‍ताओं को शामिल होना चाहिए और परियोजना बहुत से स्‍थानों से सेवाएं प्रदान करती हों।

आज की तारीख तक निम्‍नलिखित परियोजनाओं का मूल्‍यांकन किया गया है:

पूर्ण मूल्‍यांकन

वर्ष  2007-08, में तीन राष्‍ट्रीय स्‍तर की परियोजनाओं (एमसीए21, पासपोर्ट और आयकर) और तीन राज्‍यस्‍तरीय परियोजनाओं (भू अभिलेख( संपत्ति पंजीकरण और परिवहन) का मूल्‍यांकन किया गया। (विवरण के लिए यहां क्लिक करें)

वर्ष  2009-10 में ई-शासन परियोजनाओं के लिए दो प्रभाव मूल्‍यांकन अध्‍ययन (जेएनएनयूआरएम ई-शासन सुधार और वाणिज्यिक करों का कंप्‍यूटरीकरण ) और एक आधारभूत अध्‍ययन (ई जिला मिशन मोड परियोजना ) किया गया। (विवरण के लिए यहां क्लिक करें)

चालू मूल्‍यांकन

वर्तमान चरण में, ई-शासन परियोजनाओं के पांच मूल्‍यांकन अध्‍ययन किए जा रहे हैं। एजेंसी का चयन पूरा कर दिया गया है और परियोजना लीडर तथा संबंधित प्राधिकारियों के साथ आरंभिक बैठकें आयोजित की जा रही हैं ताकि परियोजना को समझा जा सके और परियेाजना के लिए पहल दस्‍तावेज तैयार किया जा सके। (विवरण के लिए यहां क्लिक करें)