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औद्योगिक अनुप्रयोगों के लिए अनुसंधान एवं विकास का समर्थन करने और कोर औद्योगिक क्षेत्रों की जरूरतों को पूरा करने के अपने प्रयास में प्रभाग अनुसंधान / शैक्षणिक संस्थानों और उद्योगों में कई राष्ट्रीय सहयोगात्मक परियोजनाओं के लिए सहायता प्रदान करता है, पूरी की गई और चल रही परियोजनाओं के कुछ उदाहरण निम्नामनुसार हैं :

पावर इलेक्ट्रॉनिकी प्रौद्योगिकी पर राष्ट्रीय मिशन (एनएएमपीईटी) (www.nampet.in)

एनएएमपीईटी देश में स्वदेशी अनुसंधान एवं विकास विशेषज्ञता और बुनियादी सुविधाओं को बढ़ाकर अनुसंधान, विकास, नियोजन और पावर इलेक्ट्रॉनिकी प्रौद्योगिकी के व्यावसायीकरण की सुविधा के लिए पावर इलेक्ट्रॉनिकी के क्षेत्र में डीईआईटीवाई द्वारा पहली बड़ी पहल के रूप में नवंबर, 2004 में शुरू किया गया एक मिशन कार्यक्रम था। एनएएमपीईटी के पहले चरण के कार्यक्रम के हिस्से के रूप में, पावर इलेक्ट्रॉनिकी बुनियादी सुविधाओं की स्था पना सी-डैक, तिरुवनंतपुरम में की गई है और पावर इलेक्ट्रॉनिकी के विभिन्न क्षेत्रों में प्रयोगशालाओं का सृज़न 11 प्रमुख शैक्षणिक संस्थानों में किया गया है, जिनमें आईआईटी (मुंबई, कानपुर, खड़गपुर, दिल्ली), आईआईएससी बैंगलोर, अन्ना विश्वविद्यालय चेन्नई, बीईएसयू, कोलकाता, एनआईटी (त्रिची, राउरकेला, कोट्टायम) और बीआईटी रांची शामिल हैं। एनएएमपीईटी के तहत विकसित कुछ उन्नत पावर इलेक्ट्रॉनिकी प्रौद्योगिकियां इस प्रकार हैं:

  • पूर्ण स्पेक्ट्रम सिम्युलेटर, डिजाइनिंग, परिचालन और ऊर्जा प्रणालियों में इस्तेृमाल की जाने वाली जटिल प्रणालियों को समझने के लिए एक उपकरण।
  • मैट्रिक्स कनवर्टर एसी-एसी रूपांतरण के लिए एक "सभी सिलिकॉन" समाधान के रूप में है।
  • माइक्रो जेनरेटरों के पावर आउटपुट को एक विशेष आवृत्ति पर प्रयोग करने योग्य वोल्टेज में परिवर्तित करने के लिए सूक्ष्म जनरेटर हेतु यूनिवर्सल फ्रंट एंड कन्वर्टर्स ।
  • आईजीबीटी गेट चालक, जो 1700 और 1200 वोल्ट तक आईजीबीटी के लिए अत्यधिक बहुमुखी एकल चैनल / दोहरे चैनल वाले गेट ड्राइवर हैं, जिनमें इलेक्ट्रिकल या फाइबर ऑप्टिक्स इंटरफेस के साथ ए रेटिंग होती है ।
  • हॉल प्रभाव आधारित मौजूदा सेंसर हैं, जो औद्योगिक अनुप्रयोगों में डीसी / एसी करेंट मापन के लिए प्रमुख संघटक होते हैं ।

एनएएमपीईटी ने उद्योगों, अनुसंधान एवं विकास और शैक्षणिक संस्थानों से पावर इलेक्ट्रॉनिकी विशेषज्ञों को एक साथ लाने और संयुक्त विकाससत्म क गतिविधियों को अंजाम देने के लिए एक मंच के रूप में कार्य किया है। एनएएमपीईटी के तहत भाग लेने वाली सभी एजेंसियों की सहायता से अल्पकालिक पाठ्यक्रम, राष्ट्रीय वार्षिक कार्यशालाएं और सेमिनार की तरह के कई जागरूकता सृजन कार्यक्रमों का संचालन किया गया है, जिनका देश में पावर इलेक्ट्रॉनिकी पेशेवरों और छात्रों को आकर्षित करने में एक उल्लेखनीय प्रभाव देखने को मिला है। इन गतिविधियों से देश में पावर इलेक्ट्रॉनिकी प्रौद्योगिकी आधार और क्षमताओं को बढ़ाने में मदद मिली है।

भारतीय रेलवे और विद्युत मंत्रालय की तरह के उपयोगकर्ता मंत्रालयों ने एनएएमपीईटी में सहयोग और आईटी पार्क आदि में तटस्थ करेंट प्रतिपूर्ति के लिए वाहन नियंत्रण इकाई, ट्रेन संचार नेटवर्क, सहायक कनवर्टर, स्टैथटकॉम के विकास हेतु आंशिक वित्तपोषण के लिए हाथ बढ़ाया है ।

टेक्नो पार्क, त्रिवेंद्रम में कार्यान्वित संयुक्त रूप से वित्तपोषित 2 X 500 केवीए स्टै टकॉम परियोजना का एक विशिष्ट उदाहरण नीचे दिखाया गया है:

एनएएमपीईटी का पहला चरण अगस्त, 2010 में पूरा किया गया। अन्य मंत्रालयों द्वारा प्रायोजित परियोजनाओं, जो एनएएमपीईटी कार्यक्रम के अंत में शुरू की गई थी, को अगले चरण की गतिविधियों के भाग के रूप में आगे बढ़ाया गया।

पावर इलेक्ट्रॉनिकी प्रौद्योगिकी पर राष्ट्रीय मिशन द्वितीय चरण (एनएएमपीईटी II) (www.nampet.in)

पांच साल में लागू करने के लिए जनवरी 2012 में शुरू किए गए एनएएमपीईटी के द्वितीय चरण के कार्यक्रम का समग्र उद्देश्य प्रौद्योगिकी विकास परियोजनाओं, प्रशिक्षण गतिविधियों की तरह के बहु-परिमाण वाले कार्यकलापों का संचालन करना और सहयोगात्मक अनुसंधान परियोजनाओं के माध्यम से अनुसंधान एवं विकास और शैक्षिक संस्थानों के साथ उद्योगों की बातचीत को मजबूत बनाकर देश में पावर इलेक्ट्रॉनिकी आधार को मजबूत करना है । एनएएमपीईटी चरण- II के भाग के रूप में, परियोजनाओं की तीन श्रेणियों अर्थात (I) चरण-। की परियोजनाओं जहां प्रोटोटाइप विकसित किए गए और प्रयोगशाला स्थिति में उनका परीक्षण किया गया, की अनुवर्ती कार्रवाई के रूप में नियोजन, उन्नयन और उत्पाद विकास परियोजनाएं (ii) उच्च वोल्टेज अनुप्रयोग और माइक्रो / मिनी जल विद्युत उत्पादन के लिए स्मार्ट ग्रिड, अक्षय ऊर्जा माइक्रो ग्रिड और उनकी कनेक्टिविटी, स्मार्ट नियंत्रकों, पावर इलेक्ट्रॉनिकी प्रणालियों के पावर इलेक्ट्रॉ निकी जैसे उभरते हुए क्षेत्रों में उन्नत प्रौद्योगिकी विकास परियोजनाएं, और (iii) कार्यान्वयन के लिए शैक्षणिक संस्थानों में खोजपूर्ण शोध परियोजनाएं शुरू की गई हैं । जागरूकता कार्यक्रम के हिस्से के रूप में पावर इलेक्ट्रॉनिकी के विभिन्न क्षेत्रों में तीन लघु अवधि के पाठ्यक्रम पांच साल के लिए हर साल शैक्षणिक संस्थानों में आयोजित किया जाना प्रस्तावित है। विशिष्ट विषय के साथ पावर इलेक्ट्रॉनिकी पर एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन सहित वार्षिक कार्यशाला हर साल आयोजित किया जाना प्रस्तावित है। यह शैक्षणिक, अनुसंधान एवं विकास संस्थानों के बीच बातचीत के लिए इस क्षेत्र में काम करने के लिए एक मंच प्रदान करना है। निम्नसलिखित के लिए अतिरिक्त बुनियादी सुविधाओं का सृज़न नोडल केंद्र के रूप में सी-डैक (त्रिवेंद्रम) में किया गया है : (i) अक्षय ऊर्जा क्षेत्र / स्मार्ट ग्रिड संघटकों के विकास के लिए आवश्य क परीक्षा / प्रदर्शन सेट-अप, (ii) उत्पाद इंजीनियरिंग, प्रौद्योगिकी के हस्तांतरण और उद्योग के साथ बातचीत के लिए सुविधाएं। निम्नलिखित 22 उप परियोजनाओं को नोडल एजेंसी अर्थात सी-डैक (त्रिवेंद्रम) और अन्य भाग लेने वाले संस्थानों में एनएएमपीईटी द्वितीय चरण कार्यक्रम के उद्देश्यों को पूरा करने के लिए शुरू किया गया है:

पावर इलेक्ट्रॉनिकी / पावर सिस्टम में छात्रों परियोजना कार्य के लिए एक प्रोत्साहन के रूप में, निम्नलिखित पुरस्कारों का गठन किया गया है:

  1. नियोजन, उन्नयन और उत्पाद विकास
    1. पावर इलेक्ट्रॉनिकी और बिजली व्यवस्था के लिए सिमुलेशन केंद्र, जिसको आईआईटी, मुंबई द्वारा कार्यान्वित किया जा रहा है।
    2. शैक्षिक संस्थानों में एफएसएस लघु मॉडल का विकास और नियोजन, जिसको सी-डैक (त्रिवेंद्रम) और आईआईएससी, बंगलौर द्वारा कार्यान्वित किया जा रहा है।
    3. पूर्ण स्पेक्ट्रम सिम्युलेटर का उन्नयन, जिसको सी-डैक (त्रिवेंद्रम) और आईआईटी बॉम्बे द्वारा कार्यान्वित किया जा रहा है ।
    4. ग्रिड से संबद्ध सौर फोटोवोल्टिक ऊर्जा संयंत्रों (1 मेंगावाट) के लिए एक भावी स्वदेशी पावर कंवर्जन तकनीक का विकास, जिसको डब्ल्यूबीआरईडीए, कोलकाता से समर्थन के साथ सी-डैक (त्रिवेंद्रम) द्वारा कार्यान्वित किया जा रहा है ।
    5. दूरसंचार अनुप्रयोगों के लिए सौर प्रभारी नियंत्रक यूनिट का विकास ।
  2. उन्नत प्रौद्योगिकी विकास
    1. सॉलिड स्टेदट क्रोबार के साथ 10kV बिजली की आपूर्ति का विकास, जिसको सी-डैक (त्रिवेंद्रम) और आईआईएससी, बंगलौर द्वारा कार्यान्वित किया जा रहा है।
    2. प्रोग्रामयोग्यं चिप पर प्रणाली (एसओपीसी) आधारित पावर इलेक्ट्रॉनिक नियंत्रक, जिसको सी-डैक (त्रिवेंद्रम) द्वारा कार्यान्वित किया जा रहा है।
    3. पीएमयू का उपयोग वाइड एरिया निगरानी, जिसको सी-डैक (त्रिवेंद्रम) द्वारा कार्यान्वित किया जा रहा है।
    4. चयनात्मक प्राकृतिक हार्मोनिक्स उन्मूलन के साथ मध्यम वोल्टेज ड्राइव, जिसको सी-डैक (त्रिवेंद्रम) और आईआईटी-खडगपुर द्वारा कार्यान्वित किया जा रहा है ।
    5. गैर-परंपरागत स्रोतों और ऊर्जा प्रबंधन प्रणाली का उपयोग कर नेट शून्य ऊर्जा बिल्डिंग का क्रियान्वयन, जिसको सी-डैक (त्रिवेंद्रम) द्वारा कार्यान्वित किया जा रहा है ।
    6. भारतीय विद्युत नेटवर्क के लिए एकल चरण और तीन चरण वाले स्मार्ट ऊर्जा मीटर का डिजाइन और विकास, जिसको सी-डैक (त्रिवेंद्रम) द्वारा कार्यान्वित किया जा रहा है।
  3. खोजपूर्ण शोध
    1. 3 चरण वाली स्थायी चुंबकीय मशीनों और उनके कन्वर्टर्स का डिजाइन, विकास और परीक्षण, जिसको बीईएसयू, हावड़ा द्वारा कार्यान्वित किया जा रहा है।
    2. एसपीवी अनुप्रयोग के लिए डीसी - डीसी कनवर्टर और द्वि-दिशात्मक कनवर्टर का विकास, जो एनआईटी त्रिची द्वारा कार्यान्वित की जा रही है।
    3. प्रणोदन अनुप्रयोगों के लिए प्रेरण मोटर की मॉडलिंग डिजाइन और फेब्रीकेशन, जिसको आईआईटी, पटना द्वारा कार्यान्वित किया जा रहा है।
    4. SiC उपकरणों के गतिशील और स्टेटिक व्यवहार का अध्ययन और कनवर्टर टोपोलॉजी का विकास, जिसको सी-डैक (त्रिवेंद्रम), भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (मुम्बईई) और आईआईएससी, बंगलौर द्वारा कार्यान्वित किया जा रहा है।
    5. पावर इलेक्ट्रॉनिक स्विचिंग अनुप्रयोगों के लिए GaN उपकरण और उच्च आवृत्ति GaN कनवर्टर टोपोलॉजी के का डिजाइन और विकास, जिसको सी-डैक (त्रिवेंद्रम) और आईआईएससी द्वारा कार्यान्वित किया जा रहा है।
    6. ग्रिड से जुड़े अनुप्रयोगों के लिए मॉड्यूलर मल्टी लेवल कन्वर्टर्स, जिसको आईआईटी-बंबई द्वारा कार्यान्वित किया जा रहा है।
    7. लो वोल्टेज डायरेक्टे करेंट (एलवीडीसी) वास्तुकला का विकास, जिसको सी-डैक (त्रिवेंद्रम) द्वारा कार्यान्वित किया जा रहा है।
    8. प्रेरण मोटर ड्राइव अनुप्रयोगों के लिए SiC एमओएसएफईटी आधारित इन्वर्टर के लिए सक्रिय गेट चालक डिजाइन, जिसको आईआईटी-मद्रास द्वारा कार्यान्वित किया जा रहा है।
    9. मल्टी लेवल इन्वर्टर आधारित एकल चरण ग्रिड से जुड़ी सौर फोटोवोल्टिक प्रणाली, जिसको एनआईटी अगरतला द्वारा कार्यान्वित किया जा रहा है।
    10. पृथक और ग्रिड से जुड़े मोड में माइक्रो ग्रिड की सुरक्षा का आकलन, जिसको एनआईटी कालीकट द्वारा कार्यान्वित किया जा रहा है।
  4. अवसंरचना विकास
    1. नोडल केंद्र में बुनियादी सुविधाओं के संसाधनों को निम्नकलिखित के रूप में सी-डैक (त्रिवेंद्रम) द्वारा कार्यान्वित किया गया है

       

      ओ ग्रीन पावर प्रयोगशाला।
      ओ प्रौद्योगिकी केंद्र स्थानांतरण।

    2. पावर इलेक्ट्रॉनिकी और पावर सिस्टम के लिए एक राष्ट्रीय सिमुलेशन केंद्र स्थापित करने के लिए भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, बंबई में भी अवसंरचना की स्था्पना की गई है।
  5. अब तक आयोजित अल्पकालिक पाठ्यक्रम
    1. मिनी / माइक्रो जल विद्युत उत्पांदन में पावर इलेक्ट्रॉनिकी - आईआईटी रुड़की ।
    2. ग्रिड से जुड़े पावर कंवर्टर्स का डिजाइन और नियंत्रण - सीईटी त्रिवेंद्रम ।
    3. पावर कन्वर्टर्स और अनुप्रयोग - बीआईटी रांची।
    4. स्थायी चुंबकत्वर एसी मशीनों का नियंत्रण - आईआईटी मद्रास ।
    5. पावर इलेक्ट्रॉनिक प्रणालियां और अनुप्रयोग - एनआईटी राउरकेला।
    6. वितरित विद्युत उत्पायदन में पावर इलेक्ट्रॉनिकी - एनआईटीके सूरतकल ।
    7. कन्वर्टर्स और गेट ट्रिगर हार्डवेयर की पावर इलेक्ट्रॉनिकी संबंधी बुनियादी बातों - आईआईईएसटी शिबपुर ।
    8. अक्षय ऊर्जा रूपांतरण प्रौद्योगिकी - एनईएचयू, शिलांग।
    9. अक्षय ऊर्जा प्रणालियों और माइक्रोग्रिड में पावर इलेक्ट्रॉनिकी का अनुप्रयोग - एनआईटी तिरुचिरापल्ली ।
    10. डिजिटल सिग्नल प्रोसेसर नियंत्रित पावर इलेक्ट्रॉनिक कन्वर्टर्स और ड्राइव - एनआईटी वारंगल।
    11. ग्रिड से जुड़ी हुई अक्षय ऊर्जा प्रणालियों के लिए पावर इलेक्ट्रॉनिकी - एनआईटी कालीकट।
    12. पावर इलेक्ट्रॉनिकी और अनुप्रयोग - आईआईटी (बीएचयू) वाराणसी।
  6. पावर इलेक्ट्रॉनिकी प्रौद्योगिकी पर राष्ट्रीय कार्यशाला
    1. पावर इलेक्ट्रॉनिकी पर सबसे पहली राष्ट्रीय कार्यशाला (एनडब्यू्पीई - 2013) - सी-डैक (त्रिवेंद्रम) द्वारा ।
    2. "हरित ऊर्जा की दिशा में पावर इलेक्ट्रॉनिकी" के विषय पर पावर इलेक्ट्रॉनिकी पर दूसरी राष्ट्रीय कार्यशाला (एनडब्यू पीई - 2014) - बीआईटी, रांची द्वारा।
    3. "सतत ऊर्जा के लिए पावर इलेक्ट्रॉनिकी" के विषय पर पावर इलेक्ट्रॉनिकी पर तीसरी राष्ट्रीय कार्यशाला (एनडब्यूक पीई - 2015) - डीटीयू, दिल्ली द्वारा।
  7. छात्र पुरस्कार
    1. स्नालतकोत्त्र परियोजना पुरस्कार: दो पुरस्कार सर्वश्रेष्ठ स्नातकोत्तर एमई / एमटेक परियोजना थीसिस के लिए उपलब्ध हैं। प्रत्येक पुरस्कार में एक योग्यता प्रमाण पत्र और 50,000 / - रुपये का नकद पुरस्कार दिया जाएगा। ।
    2. स्नातक परियोजना के तहत पुरस्कार: दो पुरस्कार स्नातक स्तरर के तहत सबसे अच्छे बीई / बीटेक परियोजना थीसिस के लिए उपलब्ध हैं। प्रत्येक पुरस्कार में एक योग्यता प्रमाण पत्र और 25,000/- रुपये का नकद पुरस्कार दिया जाएगा।
    3. अनुसंधान पुरस्कार: प्रतिष्ठित पत्रिका प्रकाशन / पेटेंट के साथ सबसे अच्छे पीएचडी थीसिस के लिए एक पुरस्कार । पुरस्कार में एक योग्यता प्रमाण पत्र के साथ 75,000 / - रुपये का नकद पुरस्कार दिया जाएगा। ।

छात्र पुरस्कार के बारे में विवरण एनएएमपीईटी की वेबसाइट पर उपलब्ध हैं।

ग्रिड से जुड़े सौर फोटो वोल्टिक पावर प्लांट, पावर इलेक्ट्रॉनिकी और पावर सिस्टम के लिए पूर्ण स्पेक्ट्रम सिम्युलेटर (एफएसएस), पावर इलेक्ट्रॉनिकी और पावर सिस्टम्स के लिए एफएसएस के लघु मॉडल, हाई स्पीड रि-कंफिगरेबल पावर इलेक्ट्रॉनिकी नियंत्रक, एयर बोर्न अनुप्रयोगों के लिए 400 हर्ट्ज इन्वर्टर, एसपीवी अनुप्रयोगों के लिए डीसी-डीसी कनवर्टर, औद्योगिक और व्यावसायिक अनुप्रयोगों के लिए कम लागत के विद्युत गुणवत्ता विश्लेषक, इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव प्रौद्योगिकियों के लिए ट्रेन संचार नेटवर्क और वाहन नियंत्रण इकाई वाणिज्यिक दोहन के लिए इच्छुकक उद्योगों को प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के लिए उपलब्ध हैं।

ऑटोमेशन सिस्टम प्रौद्योगिकी केंद्र (एएसटीईसी)

ऑटोमेशन सिस्टम प्रौद्योगिकी केंद्र (एएसटीईसी) कार्यक्रम स्वचालन प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अनुसंधान और विकास के व्यापक विज़न के साथ अप्रैल 2007 को सूचना प्रौद्योगिकी विभाग के द्वारा शुरू किया गया था जिससे कि स्वचालन प्रणाली के विकास के लिए डिजाइन के क्षेत्र में नेतृत्व करने के लिए योगदान करते हुए हार्डवेयर विकास का पर विशेष जोर देने के साथ स्वचालन प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में तकनीकी कौशल को मजबूत बनाया जा सके। कार्यक्रम का कार्यान्व्यन प्रक्रिया स्वचालन के क्षेत्र में अभिनव विकास को बढ़ावा देने के लिए दृष्टिकोण के साथ एक नोडल एजेंसी के रूप में सी-डैक, तिरुवनंतपुरम के सहयोगात्मक प्रयासों के माध्यम से किया गया है और इसे 31.03.2013 को सफलतापूर्वक पर पूरा किया । इस कार्यक्रम के तहत स्वचालन अनुसंधान के चार स्तंभों अर्थात अवधारणा, नियंत्रण, अधिगम और प्रणालियों में प्रौद्योगिकी विकास अनुसंधान कार्यक्रम शुरू करने के लिए सी-डैक, तिरुवनंतपुरम में एक एम्बेडेड उत्कृष्टता केन्द्र की स्था्पना की गई हैं । इसके लिए आवश्यक बुनियादी ढांचे के विकास के लिए नोडल सेंटर में अधिकांश काम पूरा हो चुका है। कई बिल्डिंग ब्लॉक, प्रौद्योगिकियां / उत्पादों (एंबेडेड नियंत्रक, स्काडा सॉफ्टवेयर, सेंसर नेटवर्क, विशेषज्ञ प्रणाली संचालित बुद्धिमान निर्णय प्रणाली, कलमन फिल्टर आधारित प्रिडिक्टिव नियंत्रक, विकासवादी संगणना आधारित नरम सेंसर, फ्यूजी लॉजिक प्रक्रिया अनुकूलन प्रणाली, डाटा फ्यूजन प्रणाली, विशेष प्रकार के सेंसर और मॉडल प्रिडिक्टिव नियंत्रक) का स्वदेशी स्त र पर डिजाइन और विकास किया गया है और एएसटीईसी कार्यक्रम के तहत क्षेत्रीय परीक्षण किया गया है । इन प्रौद्योगिकियों का तूतीकोरिन थर्मल पावर स्टेशन (210 मेगावाट संयंत्र) और केरल जल प्राधिकरण, अलुवा के जल उपचार संयंत्र में प्रक्रिया स्वचालन, नियंत्रण और अनुकूलन के लिए प्रदर्शन किया गया है। ये देश में ही विकसित स्वचालन प्रौद्योगिकियां विभिन्न प्रकार के चीनी, सीमेंट, कागज, कपड़ा आदि जैसे प्रक्रिया उद्योगों में नियोजन के लिए उपयुक्त हैं ।

उद्योगों को प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के लिए उपलब्ध उत्पादों में से कुछ उत्पाीदों का संक्षिप्त विवरण नीचे दिया गया है:

  • मल्टी लूप कंट्रोलर (आईस्मार्ट) - औद्योगिक प्रणाली निगरानी स्वायत्त रिमोट टर्मिनल (आईस्मार्ट) एक स्टैंड अलोन शक्तिशाली नियंत्रक है, जो एनालॉग और डिजिटल आदानों (इनपुट) प्राप्त करने, उनका प्रसंस्करण करने और एक साथ 2/4 लूपों को नियंत्रित करने में सक्षम है । यह आईईईई 802.11 b (वाई-फाई), उच्च गति यूएसबी इंटरफेस और आईईईई 802.3.10 / 100 एमबीपीएस ईथरनेट इंटरफेस और विन्यास योग्यक आरएस 232 / आरएस 485 बंदरगाहों के रूप में संचार तंत्र से सुसज्जित है।
  • लो पावर कंट्रोलर (आईएलओसी) औद्योगिक लो पावर नियंत्रक (आईएलओसी) एक सौर ऊर्जा संचालित स्‍टैंड अलोन मॉड्यूल है, जिसे आईपी65 संलग्‍नक में लगाया जाता है। आईएलओसी किसी दूरस्थ साइट पर नजर रखने में समर्थ बनाता है, विशेष रूप से तब जब उस स्थान पर इलेक्ट्रिक पावर चलाना अव्यावहारिक या बहुत महंगा होता है। यह अनुरूप जानकारी, डिजिटल इनपुट / आउटपुट प्राप्त करने में सक्षम है और प्रोग्रामेबल स्कैन अंतराल भी इसमें होते हैं । बाह्य उपकरणों के लिए लो पावर मोड और अलग स्विचिंग नियामकों के साथ संयुक्त वास्तुकला विशेष रूप से बिना किसी बाधा के दूरदराज के अनुप्रयोगों के लिए बढ़े हुए बैटरी जीवनकाल को प्राप्त करने के लिए है। यह आईईईई 802.15.4 (जि़गबी), आईईईई 802.11 बी / जी (वाई-फाई, केवल पावरयुक्‍त स्थितियों के लिए) और विन्यास योग्‍य आरएस 232 / आरएस 485 पोर्ट के रूप में बेतार संचार इंटरफेस से लैस है। लो पावर नियंत्रक में टिनी ओएस लगा होता है, जो नेटवर्किंग क्षमताओं और संसाधनों विवश उपकरणों के साथ लो पावर संचालित उपकरणों के लिए डिज़ाइन किया गया है ।
  • सामान्‍य संचार गेटवे (आईगेट) - आईगेट एक औद्योगिक संचार गेटवे मॉड्यूल है, जो मोडबस, डीएनपी 3.0 आदि और सी-डैक का मालिकाना डीएसीएस प्रोटोकॉल जैसे विभिन्न खुले औद्योगिक प्रोटोकॉल को संभालने के लिए बनाया गया है। यह आरएस 232 / आरएस 422 / आरएस 485, ईथरनेट, यूएसबी, वाई-फाई और जि़गबी की तरह के हार्डवेयर इंटरफेस के माध्यम से बाहर की दुनिया के साथ संचार स्‍थापित करता है । इसका उद्देश्य वर्तमान औद्योगिक सेटअप में अंतरप्रचालनीयता के अभाव को दूर करना है। इसका डिज़ाइन एक मिडलवेयर नोड के रूप में कार्य करने के लिए बनाया गया है जो सभी अंति‍म नोड्स के बीच निर्बाध प्रोटोकॉल रूपांतरण के साथ ही प्रबंधन की अनुमति देगा, संचार के लिए विभिन्न भौतिक इंटरफेस और प्रोटोकॉल को नियोजित करेगा।
    iGate
  • वायरलेस सेंसर नोड (आईवाइस) - औद्योगिक वायरलेस सेंसर एक अल्ट्रा लो पावर वायरलेस सेंसर नोड है जो किसी भी औद्योगिक सेंसर से सिग्‍नल प्राप्त करने और उनका प्रसंस्करण करने में सक्षम है और निगरानी और नियंत्रण के लिए कि‍सी बेस स्टेशन यूनिट के लिए बेतार ढ़ंग से जानकारी पहुंचाता है । आईवाइस औद्योगिक वातावरण में सेंसरों से एनालॉग और डिजिटल संकेतों के रूप में क्षेत्रीय डेटा एकत्र करता है और ऑन बोर्ड 2,4 गीगा आईईईई 802.15.4 लो पावर आरएफ ट्रांसीवर के साथ बेस स्टेशन के लिए उसे रिले करता है, किसी औद्योगिक वायरलेस सेंसर का उद्देश्य अपेक्षाकृत कम वायरिंग, नियोजन की सहूलियत, बढ़े हुए लचीलेपन, बढ़ी हुई सुरक्षा और कम रखरखाव लागत के कारण औद्योगिक स्वचालन क्षेत्र में वायरलेस उपकरणों के लिए बढ़ती मांग को पूरा करना है। आईवाइस में आईपी65 का इंग्रेस संरक्षण का प्रावधान किया गया है, जो कठोर बाहरी वातावरण में आपरेशन की सुविधा प्रदान करता है । आईवाइस 40 से +85 डिग्री सेंटीग्रेड की ऑपरेटिंग तापमान रेंज के साथ औद्योगिक वातावरण में उत्कृष्ट आपरेशन की भी सुविधा प्रदान करता है ।
    iWiSe
  • वायरलेस बेस स्टेशन (आईवेस) - औद्योगिक वायरलेस बेस स्टेशन एक स्टैंडअलोन पैनल माउंटेबल उपकरण है, जो वायरलेस सेंसर नेटवर्क में सेंसर नोड से सेंसर मूल्यों को प्राप्त कर लेता है और उन्‍हें संसाधित करता है और सूचना को एक केंद्रीय निगरानी स्टेशन को रिले करता है । शक्तिशाली AT91SAM9XE512 ARM9 नियंत्रक के आसपास निर्मित आईवेस 2.4 गीगा आईईई 802.12.4 आरएफ ट्रांसीवर का उपयोग कर वायरलेस नोड्स से रेडियो पैकेट प्राप्त कर लेता है और ईथरनेट इंटरफेस का उपयोग कर एक स्काडा नेटवर्क या एक केंद्रीय निगरानी स्टेशन या जीएसएम/ जीपीआरएस इंटरफेस का उपयोग कर किसी दूरदराज के निगरानी स्टेशन को जानकारी रिले करता है । आईवेस में आईपी65 का इंग्रेस संरक्षण का प्रावधान किया गया है, जो कठोर बाहरी वातावरण में आपरेशन की सुविधा प्रदान करता है । आईवेस 40 से +85 डिग्री सेंटीग्रेड की ऑपरेटिंग तापमान रेंज के साथ औद्योगिक वातावरण में उत्कृष्ट आपरेशन की भी सुविधा प्रदान करता है ।
  • रंग सेंसिंग सिस्टम (आईकोस): ): औद्योगिक रंग सेंसिंग सिस्टम एक हैंडहैल्‍ड स्टैंडअलोन इकाई है, जो विभिन्न रंगों की पहचान करने और उनको मापने में सक्षम है । सेंसर प्रणाली का इस्तेमाल अलग-अलग सेंसर मॉड्यूल संलग्न कर चिंतनशील और अपवर्तक सामग्री के लिए किया जा सकता है । पारंपरिक के विपरीत रंग सेंसर उत्पादन स्थितियों को मैच / नो मैच करता है, यह प्रणाली परिष्कृत और स्थिर एल्गोरिदम के साथ डिज़ाइन की गई है जो आरजीबी और सीआईई-एल*ए*बी*मूल्यों के साथ आउटपुट देता है।
  • स्काडा / एचएमआई सॉफ्टवेयर (आईरोज़) - औद्योगिक रेंज ओपन स्काडा सॉफ्टवेयर स्केलेबल, लचीला और एक्स्टेंसिबल स्काडा सॉफ्टवेयर की जरूरतों को पूरा करता है । यह एक खुला और मानकों पर आधारित स्काडा है जो आसान विन्यास और स्थापना की क्षमताएं प्रदान करता है। आईरोज़ तीन पैकेज़ का एक स्‍यूट है:
    1. औद्योगिक लचीला स्वचालन नियंत्रण इंजन (आईफेस) - आईफेस आसानी से उपयोग किए जाने योग्‍य, पूर्ण विशेषताओं वाला वेब आधारित एचएमआई है, जो इंट्रानेट पर पूरा नियंत्रण और दृश्य क्षमताओं को सक्षम बनाता है । आईफेस किसी भी वेब ब्राउज़र पर चलाता है जो एडोब फ्लैश प्लेयर वर्ज़न.10 का समर्थन करता है ।
    2. औद्योगिक डेटा लॉगर (आईडीलॉग) - आईडीलॉग पूर्व निर्धारित अंतराल पर वास्तविक समय टैग मूल्यों को लॉग करता है।
    3. औद्योगिक दूरस्थ विन्यास (आईरॉक) – आईरॉक का इस्‍तेमाल आईस्‍मार्ट और आइकन, औद्योगिक नियंत्रकों, को कंफिगर करने के लिए किया जाता है, जो सी-डैक (त्रिवेंद्रम) द्वारा विकसित डीएसीएस (मालिकाना प्रोटोकॉल) का समर्थन करता है। तीसरे पक्ष के उपकरणों, जो मोडबस टीसीपी, डीएनपी3 टीसीपी, आईईसी60870-5-104 का समर्थन करते हैं, का भी विन्यास किया जा सकता है।
  • औद्योगिक सिमुलेशन प्लेटफार्म (आईसिम्‍प) - सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में विकास के साथ, शिक्षण के लिए एक पूरी तरह से नए दृष्टिकोण का विकास किया गया है, प्रक्रिया नियंत्रण के लिए उन्नत नियंत्रण एल्गोरिदम के साथ विकास और प्रयोग शुरू किए गए हैं । आज ऑब्जेक्ट ओरिएंटेड मॉडलिंग भाषाओं में विकसित प्रक्रिया मॉडल व्यापक रूप से प्रयोग वास्तविक प्रक्रियाओं और कड़ाई से डिजाइन और उचित नियंत्रण प्रणाली का परीक्षण करने के लिए इस्तेमाल किए जा रहे हैं । आज की आधुनिक संयंत्र स्वचालन और नियंत्रण प्रणाली में, सिमुलेशन प्लेटफार्म संपूर्ण प्रणाली का एक अभिन्न हिस्सा है । आईसिम्‍प लिंकोपिंग विश्वविद्यालय, स्वीडन की तकनीकी जानकारी के साथ इन आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए विकसित किया गया है । यह सुविधा संयंत्र के सामान्य ऑपरेशन के दौरान ऑन लाइन प्रक्रिया व्यवहार जानने के लिए और नियंत्रकों के प्रदर्शन में सुधार करने के लिए प्रदान की जाती है। एक सटीक सिमुलेशन मॉडल ऑपरेटरों को अपनी गलतियों के परिणामों के बारे में जाने बिना लाइव स्थितयों में प्रशिक्षित करने की अनुमति देता है।
  • रीयल टाइम विशेषज्ञ प्रणाली (आईरेस)- औद्योगिक रियल टाइम विशेषज्ञ प्रणाली शैल एक एकीकृत सॉफ्टवेयर उपकरण है जिसका प्रणाली डेवलपर्स और डोमेन विशेषज्ञों द्वारा ज्ञान आधारित प्रणाली विकसित करने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। यह उपकरण नियमों और फ्रेम के एक सेट के रूप में एन्कोडिंग और विशेषज्ञों के ज्ञान के द्वारा ज्ञान आधार के निर्माण के लिए अनुमति देता है और बिल्‍ट–इन बैकवार्ड या फॉरवर्ड चेनिंग इनफेरेंस इंजन का उपयोग करने की अनुमति प्रदान करता है । उपकरण प्लग में मॉड्यूल, जो ओपीसी जैसे मानकों का समर्थन करता है, के माध्यम से बाहरी स्काडा सिस्टम के साथ इंटरफेस करने के लिए बनाया गया है। यह स्पष्टीकरण सुविधाओं का भी समर्थन करता है। आईरेस के साथ विकसित अनुप्रयोगों का इस्‍तेमाल एक विशेष क्षेत्र में समस्या को हल करने और निर्णय लेने में किया जाता है।

ये एएसटीईसी प्रौद्योगिकियों वाणिज्यिक दोहन के लिए इच्‍छुक उद्योगों को प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के लिए उपलब्ध हैं। इन पांच प्रौद्योगिकियों में से कुछ अर्थात ओपन लचीली स्काडा प्रौद्योगिकी, फेज़र मापन यूनिट, मल्‍टीलूप नियंत्रक, भाप तापमान नियंत्रक प्रणाली और औद्योगिक प्रक्रिया नियंत्रक व्यावसायीकरण के लिए उद्योगों को स्थानांतरित कर दिया गया है।

भारतीय शहरों के लिए एक सहयोगी बुद्धिमान परिवहन प्रणाली (आईटीएस)

Collaborative Intelligent Transportation System

भारतीय शहरों के लिए आईटीएस प्रयास मेक इन इंडिया के लिए एक सहयोगात्मक अनुसंधान परियोजना के रूप में अक्टूबर 2009 में शुरू किया गया था, जो इलेक्ट्रॉनिकी और आईटी प्रौद्योगिकियों के क्षेत्र में एक प्रमुख परियोजना है, के लिए उन्नत यातायात प्रबंधन और नियंत्रण प्रणाली की आवश्यकता है । इस परियोजना के भाग के रूप में सी-डैक, तिरुवनंतपुरम में आईटीएस पर एक एम्बेडेड उत्कृष्टता केंद्र बनाया गया है, जो अब देश में एक राष्ट्रीय संसाधन केंद्र के रूप में कार्य करता है। इस उद्देश्य को पूरा करने की दिशा में, नोडल केंद्र में इस परियोजना के माध्यम से आवश्यक बुनियादी ढांचा बनाया गया है।

इस कार्यक्रम के हिस्से के रूप में आठ उप परियोजनाओं को भाग लेने वाली अन्य एजेंसियों के रूप में आईआईटी (चेन्नई और मुंबई) और आईआईएम, कोलकाता के साथ सी-डैक, तिरुवनंतपुरम (नोडल एजेंसी) में लागू करने के लिए शुरू किया गया है। निम्नलिखित आठ उप परियोजनाओं को अंति‍म उपयोगकर्ताओं के लिए क्षेत्र में आईटीएस प्रौद्योगिकियों के विकास और प्रदर्शन के बाद पूरा किया गया है:

  • सौर ऊर्जा आधारित बेतार यातायात नियंत्रण प्रणाली (वाईट्रेक)।
  • दूसरी पीढ़ी की क्षेत्रीय यातायात नियंत्रण प्रणाली (कोसीकोस्‍ट-2जी)।
  • वास्तविक समय यातायात गिनती और निगरानी प्रणाली।
  • बुद्धिमान पार्किंग स्थल प्रबंधन प्रणाली (ई-पार्क)।
  • भारतीय शहरों के लिए उन्नत ट्रैवलर सूचना प्रणाली।
  • इंटेलिजेंट ट्रांजिट ट्रिप प्लानर और रियल समय मार्ग सूचना
  • लाल बत्ती उल्लंघन जांच प्रणाली
  • आरएफआईडी का उपयोग कर बुद्धिमान यातायात भीड़ प्रबंधन प्रणाली
  • सी-डैक (त्रिवेंद्रम) द्वारा वाईट्रैक प्रौद्योगिकी का कार्यान्‍वयन बीआरटीएस इंदौर में किया गया है। ई-पार्क का कार्यान्‍वयन टेक्नो पार्क, तिरुवनंतपुरम में सी-डैक (त्रिवेंद्रम) के नए भवन में और पुणे नगर निगम द्वारा हरिभाऊ साने बहुस्तरीय पार्किंग नामक दो स्थलों पर किया गया है। उन्नत यात्री सूचना प्रणाली का कार्यान्‍वयन चेन्नई में आईटी कॉरिडोर में आईआईटी मद्रास द्वारा किया गया है। लाल बत्ती उल्लंघन जांच प्रणाली का तिरुवनंतपुरम में सी-डैक (त्रिवेंद्रम) द्वारा क्षेत्र में परीक्षण किया गया है। इंटेलिजेंट ट्रांजिट ट्रिप प्लानर और रियल टाइम मार्ग सूचना और वास्तविक समय यातायात गिनती और निगरानी प्रणाली विकसित की है और मुंबई में सी-डैक (त्रिवेंद्रम) के साथ आईआईटी बम्बई द्वारा इसका प्रदर्शन किया गया है।

     

  • ये आईटीएस प्रौद्योगिकियां वाणिज्यिक दोहन के लिए इच्‍छुक उद्योगों को प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के लिए उपलब्ध हैं। वायरलेस यातायात नियंत्रण प्रणाली (वाईट्रैक) प्राद्योगिकी को पहले से ही आठ उद्योगों को हस्तांतरित कर दिया गया है। रेड लाइट उल्लंघन जांच प्रणाली (आरएलवीडीएस) की प्रौद्योगिकी, वायरलेस यातायात नियंत्रण प्रणाली (कोसीकोस्‍ट-डब्ल्यू) और ट्रैफिक सिग्नल की निगरानी और प्रबंधन के लिए मिश्रित संकेत नियंत्रण रणनीति को भी व्यावसायीकरण के लिए उद्योगों को हस्‍तांतरित कर दिया गया है।

     

कृषि और पर्यावरण के लिए इलेक्ट्रॉनिकी का अनुप्रयोग (ई-एग्रीएन) (Eagrien.cdackolkata.in)

कृषि एवं पर्यावरण के लिए इलेक्ट्रॉनिकी (ई-एग्रीएन) परियोजना को निम्नलिखित उद्देश्यों के साथ सी-डैक, कोलकाता में शुरू किया गया था:

  • क) प्रौद्योगिकी प्रदर्शनकारियों और ख) भारतीय कृषि समुदाय के लिए स्वदेशी इलेक्ट्रॉनिकी और आईटी आधारित उत्पादों और सेवाओं के लिए कृषि इलेक्ट्रॉनिकी के बहु अनुशासनिक क्षेत्र में उन्नत अनुसंधान के लिए एक एकीकृत सुविधा की स्‍थापना करना, जिसके परिणामस्‍वरूप इस क्षेत्र में अग्रणी स्‍थान हासिल किया जा सके ।
  • केंद्र के तत्वावधान में विकसित विशेष समाधानों पर कृषि उद्यमियों, शोधकर्ताओं और अन्य हितधारकों के लिए आइटी आधारित और परामर्श सेवाएं प्रदान करना।
  • उन्नत कृषि तकनीकी विषयों पर विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करना।
  • कृषि इलेक्ट्रॉनिकी के क्षेत्र में राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नेटवर्किंग, सहयोग और गठबंधनों को बढ़ावा देना।

निम्नलिखित सहयोगात्मक प्रौद्योगिकी विकास संबंधी उप परियोजनाओं को पूरा कर लिया गया है:

  • सी-डैक, कोलकाता में ई-एग्रीएन अनुसंधान एवं विकास बुनियादी सुविधाओं की स्थापना।
  • नीरी, नागपुर के साथ लुगदी और कागज उद्योग से उत्पन्न औद्योगिक अप्रिय सुगंधित घटक की निगरानी के लिए इलेक्ट्रॉनिक नोज़ का विकास।
  • बिरसा कृषि विश्वविद्यालय, रांची के साथ वेब सक्षम कृषि सूचना पहुँच ।
  • पीआरएडीएएन, झारखंड के साथ टसर रेशम उत्पादन में डिजिटल इमेज प्रोसेसिंग प्रौद्योगिकी का अनुप्रयोग।
  • सेंसर हब कोलकाता के साथ हैंडहैल्‍ड ई-नोज़ का विकास।
  • चाय रिसर्च एसोसिएशन, जोरहाट के साथ एक वायरलेस सेंसर नेटवर्क (डब्लूएसएन) का प्रयोग करते हुए चाय उत्पादन प्रणाली के लिए एक निर्णय समर्थन प्रणाली ढांचे के लिए उपकरणों का विकास करना।
  • आईआईटी खड़गपुर के साथ खाद्य और कृषि उत्‍पादों की रैपिड स्वाद विशेषता के लिए मेम्‍ब्रेन इलेक्ट्रोड एर्रे आधारित आदर्श सेंसिंग प्रणाली का विकास ।
  • पीईएसआईटी, बैंगलोर के साथ जैव प्रौद्योगिकी अनुप्रयोगों के लिए इलेक्ट्रॉनिक ओल्फैक्शन।

पेबराइन-ओ-स्कोप और हैंडहैल्‍ड इलेक्ट्रॉनिक नोज़ (एचईएन) की प्रौद्योगिकी को व्यावसायीकरण के लिए उद्योगों को स्थानांतरित कर दिया गया है।

कृषि अनुसंधान में प्रयुक्‍त ग्रीनहाउस के लिए जलवायु नियंत्रण प्रणाली का डिजाइन और विकास

एक शोध में तापमान, आर्द्रता, प्रकाश, कार्बन डाइऑक्साइड आदि के जैसे जलवायु मापदंडों के व्‍यापक नियंत्रण के साथ साथ नियंत्रित सिंचाई और में फर्टिगेशन के लिए प्रौद्योगिकी - ग्रीन हाउस का विकास राष्ट्रीय कृषि खाद्य जैव प्रौद्योगिकी संस्थान के सहयोग से सी-डैक, मोहाली द्वारा किया गया है। इस प्रौद्योगिकी का इस्‍तेमाल विभिन्न किस्मों की फसलों पर जलवायु परिवर्तन के प्रभावों का अध्ययन करने में मदद मिली है। परियोजना को गेहूं के विकास का एक पूरे चक्र के विकास और क्षेत्रीय परीक्षण के पश्‍चात सफलतापूर्वक पूरा कर लिया गया है। इस परियोजना में प्रदर्शित उत्साहजनक परिणामों के आधार पर, आईएआरआई, दिल्ली ने आठ जलवायु नियंत्रित ग्रीन हाउस की डिजाइन और नियोजन के लिए सी-डैक, मोहाली के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं।

मानवीय चालक में सतर्कता के स्तर का ऑन बोर्ड आकलन के लिए एक एम्बेडेड प्रणाली का विकास

मानव चालकों में सतर्कता के स्तर के जहाज पर मूल्यांकन के लिए एक एम्बेडेड प्रणाली को आईआईटी खड़गपुर द्वारा विकसित किया गया है। क्षेत्रीय परीक्षण के पूरा होने के बाद परियोजना को सफलतापूर्वक पूरा कर लिया गया है। दो पेटेंट दायर किए गए हैं और कई शोध-पत्र प्रकाशित/प्रस्तुत किए गए हैं । प्रौद्योगिकी वाणिज्यिक दोहन के लिए इच्‍छुक उद्योगों को प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के लिए उपलब्ध है।

बिजली कम्पनियों के लिए स्वायत रीयल टाइम मल्‍टी-प्रोटोकॉल गेटवे

इस परियोजना के तहत 4 उप मॉड्यूलों के साथ आईईसी प्रोटोकॉल के मालिकाना प्रोटोकॉल के लिए कन्वर्टर्स के साथ गेटवे ढांचे की प्रौद्योगिकी का डिजाइन और विकास सी-डैक, बंगलौर द्वारा किया गया है और पावर ग्रिड कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड में इसका प्रदर्शन किया गया है । मल्टी प्रोटोकॉल गेटवे के चार मॉड्यूल प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के लिए तैयार हैं।

पुलिस नियंत्रण कक्ष, जयपुर में एक इलेक्ट्रॉनिक निजी सुरक्षा प्रणाली (ई-पीएसएस) विकास और की नियोजन

मौजूदा डायल 100 प्रणाली के साथ एकीकृत ई-पीएसएस के लिए बैक इंड प्रणाली के विकास और नियोजन का कार्य पूरा हो चुका है और जयपुर पुलिस नियंत्रण कक्ष में इसे स्थापित किया गया है । इस प्रणाली में पीसीआर वैन में स्थापित अपेक्षित सॉफ्टवेयर के साथ मोबाइल प्रदर्शन टर्मिनल को भी शामिल किया गया है। व्यापक क्षेत्रीय परीक्षण और इस प्रणाली के उपयोगकर्ताओं को प्रशिक्षण दिया गया है। जयपुर में ई-पीएसएस के सफल कार्यान्वयन के बाद इस मॉडल को अन्य हितधारकों द्वारा अपनाया जा रहा है।

इलेक्ट्रॉनिक व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण (ई-पीडीएस) का डिजाइन और विकास

एक पहनने योग्य / लेकर चलने योग्‍य डिवाइस के रूप में, छोटे सस्ती और उपयोगकर्ता के अनुकूल व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण का डिजाइन और विकास पूरा हो चुका है। जीपीएस के साथ और उसके बिना पहनने योग्य रूप में दो प्रोटोटाइप मॉडल विकसित किए गए हैं।

एक 28 डीओएफ ह्यूमेनॉयड रोबोट का डिजाइन, विकास और इंजीनियरिंग

ह्यूमेनॉयड रोबोट का एक प्रोटोटाइप बिट्स, पिलानी द्वारा फेब्रीकेट किया गया है, जिसमें स्थानीयकरण, वस्तुओं की पहचान, पथ आयोजना, व्यवहार मॉडलिंग, स्थिर वाकिंग और छवि प्रसंस्करण प्रौद्योगिकी का उपयोग कर वस्तुओं का पता लगाने की सुविधाएं हैं। प्रौद्योगिकी विकास पूरा हो चुका है।