नियम एवं शर्तें उन संस्थानों पर लागू होती हैं जो अनुसंधान और विकास का कर्य लेते हैं और डीईआईटीवाई से सहायतार्थ अनुदान प्राप्त करते हैं।
II परिभाषा
इन अनुदेशों मेः
I "संस्थान“ का तात्पर्य है तकनीकी, वैज्ञानिक अथवा सैक्षणिक संगठन जहां डीईआईटीवाई के निधि के पोषण से अनुसंधान कार्य किया जा रहा है (इसमें अनसंघान एवं विकास प्रयोगशालाएं, स्वायत्त वैज्ञानिक सोसायटी आदि)
ii “आविष्कारक“ का तात्पर्य है डीईआईटीवाई द्वारा पोषित अनुसंधान एवं विकास परियोजना में काम करने वाले तकनीकी अनुसंधान अथवा वैज्ञानिक जिनका कार्य किसी संस्थान में कर्मचारी के रुप में कार्यकरना/अनुसंधानकर्ता
iii”मेधावी विशेषता अधिकार“ मे शामिल हैं एकस्व, व्यापारिक मार्का, पंजीकृत अभिकल्प, सर्वाधिकार, एकीकृ परिपथ का अभिकल्प नक्सा
III सामान्य शर्तें
1.निम्नलिखित शर्तों के अधिन डीर्ईआईटीवाईद्वारा यथामंजूर विशिष्ट परियोजना लेने के लिए अनुदान दिया जाता हैः
i.परियोजना कीविशिष्ट समय के अंदर अनुदान खर्च करना होगा।
ii.मंजूर कार्य के लिए जितनी रकम मंजूर की गई थी, उसमें से कुछ भी रकम खर्च नहीं किया गया हो, तो उस रकम को डीर्ईआईटीवाई को लौटाना होगा।
2.डीईआईटीवाई की किसी भी परियोजना पर कार्य किया जा रहा है और उसी परियोजना के लिए किसी अन्य संस्थान से वित्तीय सहायता के लिए गारंटी द्वारा आवेदन किया जाता है अथवा प्राप्त अनुदान/किसी अन्य एजेंसी/मंत्रालय/विभाग से उसी परियोजना के लिए ऋण के लिए आवेदन किया
3. गारंटी संस्थान को अनुमति नहीं है कि जिस परियोजना के लिए सहायतार्थ अनुदान दिया गया है, उसके कार्यान्वयन के लिए किसी अन्य संस्थान को सौप दे तथा बाद में डीर्ईआईटीवाई से प्राप्त सहायतार्थ अनुदान बाद के किसी संस्था को सुपुर्द कर दे।फिर भी पीआरएसजी की सिफारिश के अनुसार लाइसेंस शुल्क अदा करने पर आईपी कोर आदि प्राप्त किया जा सकता हे।
4. डीर्ईआईटीवाई की मंजूरी के बिना इस परियोजना को पूरा करने के लिए किसी विदेशी पार्टी से (व्यक्ति/शिक्षण संस्थान/उद्योग) अन्वेषक द्वारा सहयोग नहीं करना होगा।
5. गारंटी संस्थान द्वारा हर संभव प्रयास करना चाहिए कि अनुसंधान परियोजना द्वारा जो मेधावी विशेषता अधिकार तैयार किया जा रहा है, उसे सुरक्षित रखा जाए तथा डीर्ईआईटीवाई द्वारा निर्धारित “आपीआर के लिए दिशानिर्देश”के अनुच्छेदों का पालन किया जाए।
6. गारंटी संस्थान, जब प्रौद्योगिकी हस्तांतरण/वाणिज्यिक कार्यकलाप लेते हैं, अपनी संस्थान द्वारा निर्धारित प्रक्रिया का पालन करें। अगर गारंटी संस्थान में कोई अपनी प्रक्रिया/ढांची नहीं है, तो “प्रौद्योगिकी हस्तांतरण/वाणिज्यिकरण” के लिए मार्गदर्शन के अनुच्छेदों के आधार पर पारदर्शि कार्यकलाप के आधार का पालन करें।
7. अगर गारंटी संस्थान टेक्नोलॉजी के एकस्व/विकास प्राप्त करने पर 5 साल के अंदर टेक्नोलॉजी का एकस्व/वाणिज्यकरण का लाइसेंस नहीं देते हैं, तो गारंटी संस्थान एकस्व/टेक्नोलॉजी को भारतीय कंपनियों/एमएसएमई/आरंभिक इकाई/उद्यमियों/नागरिकों द्वारा इस्तेमाल के लिए आमजनता के अधिकार-क्षेत्र में डालना होगा।
8. गारंटी संस्थान को किसी भी आईपीआर के उल्लंघन से उत्पन्न/आईपीआर के लाइसेंस देने से /प्रौद्योगिकी हस्तांतरण/व्यावसायिककरण से किसी भी विधिक और/अथवा वित्तीय भार से डीईआईटीवाई को सुरक्षित करना होगा।
9. परियोजना के कार्यान्वयन से किसी भी प्रकार का मतभेद उत्पन्न होने पर, गारंटी संस्थान पर सचिव, डीईआईटीवाई का निर्णय अंतिम तथा वाध्यकर होगा।
10. भारत सरकार के निर्देशों को समय-समय पर लागू करते हुए डीईआईटीवाई को अधिकार है कि वह सहायतार्थ अनुदान की निबंधन एवं शर्तों में संसोधन करे।
IV परियोजना की समीक्षा एवं निगरानी
डीईआईटीवाई के प्रतिनिधियों तथा अन्य विशेषज्ञों को शामिल करके एक परियोजना समीक्षा एवं संचालन समूह डीईआईटीवाई नियुक्त करेगा जो कि समय-समय पर परियोजना की तकनीकी एवं वित्तीय स्थिति की समीक्षा एवं मॉनीटर करेगी। परियोजना समीक्षा एवं संचालन समूह परियोजना की तकनीकी एवं वित्तीय प्रगति सहित परियोजना का संपूर्ण मॉनीटर करेगा।
V परिसंपत्तियों का अधिग्रहण तथा प्रबंधन
1.गारंटी संस्थान द्वारा डीईआईटीवाई से प्राप्त ग्रांट से स्थायी, उप-स्थायी परिसंपत्ती प्राप्त की गई है,
निर्धारित प्रोफार्मा में एक रजिस्टर में संपरीक्षित रिकार्ड रखना होगा। परिसंपत्ती की अधिग्रहण के लिए प्राप्ति के सभी प्रक्रियाओं पालन करना होगा।
2.उपर्युक्त परिसंपत्ती डीईआईटीवाई की संपत्ति होगी और डीईआईटीवाई की पूर्व अनुमति से इसका निपटान किया जाएगा और न ही बाधा किया जाएगा/जिस कार्य के लिए ग्रांट मंजूर किया गया है उससे अलग कार्य के लिए इस्तेमाल नहीं किया जाएगा।
3.प्रत्येक वित्तीय वर्ष के अंत में तथा ग्रांट की अगली किस्त मांगने के समय उपर्युक्त परिसंपत्तियों की सूची डीईआईटीवाई को भेजना होगा।
4.किसी भी समय गारंटी संस्थान के बंद होने पर, परिसंपत्तियां आदि डीईआईटीवाई को लौटाना होगा।
5. परियोजना के पूर्ण होने पर/समाप्त होने पर सरकार की जो संपत्ति है, उन परिसंपत्तियों की बिक्री अथवानिपटान के लिएभारत सरकार स्वतंत्र होगा। इन परिसंपत्तियों की बिक्री में संस्थान द्वारा सभी सुविधाएं उपलब्ध करायी जाएगी।भारत सरकार का अपना निर्णय होगा कि वह इन परिसंपत्तियों को संबंधित संस्थान को हस्तांतर कर दे और अगर उचित रहने पर किसी अन्य को हस्तांतर कर दे।
VI.ग्रांट का उपयोग और लेखा-परीक्षा
1.गारंटी संस्थान परियोजना के लिए संपरीक्षित लेखा अलग रखना होगा। अगर उचित लगता है तो कुछ या संपूर्ण ग्रांट बैंक में जमा कर दे ताकि ब्याज मिल सके और इससे जो ब्याज अर्जित किया जाता है, उसकी जानकारी डीईआईटीवाई को दे। इस तरह से जो ब्याज अर्जित किया जाता है उसे आगे जारी किए जाने वाले अनुदान में समायोजित किया जाएगा।डीईआईटीवाई अथवा इसके नामित व्यक्ति गारंटी संस्थान के खातों व वहियों की जांच करने का अधिकार होगा और इसके लिए पहले सूचना दी जाएगी।
2.हर वर्ष गारंटी संस्थान डीईआईटीवाई को लेखों की संपरीक्षित विवरणी एवं उपयोग प्रमाणपत्र प्रस्तुत करना होगा। संबंधित वित्तीय वर्ष के अंत होने पर छः महीने अंदर वित्तीय वर्ष में दी गई ग्रांट के संचालन के बारे में लेखों की संपरीक्षित विवरणी तथा लेखापरीक्षकों की टिप्पणी डीईआईटीवाई को भेजना होगा।
3. महालेखाकार के निर्देशों को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार द्वारा जारी निर्देशों के अनुसार गारंटी संस्थान के लेखापरीक्षक द्वारा जिस कार्य के लिए ग्रांट दिया गया है उसके उपयोग के बारे में लेखापरीक्षक की रिपोर्ट में विशेष रूप से उल्लेख किया जाए।
4.अवधि के दौरान विभिन्न मंजूर मदों पर किए गए खर्च सहित सभी क्षेत्रों में जो प्रगति की गई है, गारंटी संस्थान द्वारा प्रगति-सह-उपलब्धि रिपोर्ट हर छः महीने में प्रस्तुत करना होगा।
5.संपूर्ण तैयार परियोजना शेष बचे हुए राशि को ब्याज सहित, अगर अर्जित किया गया है, गारंटी संस्थान द्वारा लोटाना होगा।
6.निर्धारित सीमा के अंदर निधि के उपयोग के बारे में जीएफआर 2005 के नियम 212(1) के तहत मंत्रालय/विभाग को उचित कार्रवाई करने के लिए स्वतंत्र है जहां गारंटी संस्थान से निर्धारित सीमा के अंदर उपयोग प्रमाणपत्र नहीं मिला है(सामान्य वित्तीय नियमावली 2005 संदर्भित)।
VII. आईपीआर के प्रबंधन के लिए दिशानिर्देश
1.प्रायोजित परियोजना से उत्पन्न आईपीआर गारंटी संस्थान के पास होगा। हालांकि एकस्व अण्वेषकों के नाम होगा, संस्थान सुनिश्चत करेगा कि आईपीआर संस्थान के नाम हो। अगर संयुक्त रूप से किसी अन्य संगठनों के नाम अनुसंधाकों की निधि/श्रोत है, तो आईपी को उचित रूप से आपस में शेयर करना होगा।
2.भारत सरकार/सरकारी निकायों (सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम,सरकारी स्वायत्त निकायों तथा धारा 25 की कंपनियां) को रोयाल्टी, गैर व्यवसायिक उद्देश्य के लिए उनका इस्तेमाल करने के लिए/मेधावी विशेषता के फैलाव केलिए मुफ्त लाइसेंस प्राप्त करने का अधिकार होगा। अगर आईपी का इस्तेमाल व्यवसायिक प्रयोग के लिए प्रस्ताव किया जाता है, तो जिस संस्थान के पास आईपीआर है, उसके साथ आपसी सहयोग से लाइसेंस की शर्तों को स्वीकार करना होगा।
3.गारंटी संस्थान को अनुसंधान एवं विकास के प्रस्ताव का भाग मानकर आईपीआर फाइल करने के लिए वित्तीय जरूरतों को प्रस्तुत करना होगा। आकस्मिक खर्च का प्रावधान आईपीआर खर्च की सीमा 15 लाख रुपये आरंभिक लागत होगी, पर यह वार्षिक व्यय से अलग होगी। अंतर्राष्ट्रीय एकस्व फाइल करने की अनुमति होगी। डीईआईटीवाई द्वारा संबंधित प्रोजेक्ट के लिए गठित पीएसआआरजी की सिफारिश पर रकम जारी की जाएगी। अगर किसी वजह से प्रोजेक्ट ग्रांट से खर्च पूरा नहीं होता है, जैसे कि प्रोजेक्ट की समाप्ति पर आईपीआर फाइल करने के लिए, तो डीईआईटीवाई को संस्थान द्वारा मंजूरी/आईपीआर फाइल करने के लिए खर्चों की प्रतिपूर्ति के लिए अलग से आवेदन देना होगा।
4.गारंटी संस्थान एकस्व दाखिल करने/प्राप्त करने की जानकारी डीईआईटीवाई को सूचित करेगा तथा प्रोजेक्ट के दौरान अनुसंधान तथा विकास परियोजना से उत्पन्न आईपीआर के बारे में वार्षिक आधार पर सूचित करेगा तथा बाद में परियोजना की समाप्ति पर आईपीआर की जानकारी देगा।
5. गारंटी संस्थान इस तरह के वाणिज्यिक कार्य से संबंधित कारोबार/बिक्री/हस्तांतरण/आईपीआर लाइसेंस के बारे में करार के समापन के 6 महीने के अंदरडीईआईटीवाई को सूचित करना होगा।
6.गारंटी संस्थान वाणिज्य विभाग, भारत सरकार के अंतर्गत विदेश व्यापर महानिदेशालय की विदेश व्यापार नीती लागू प्रावधानों के अनुसार ‘विशेष रसायनिक, जीव, सामग्री, उपस्कर तथा प्रौद्योगिकी'
7.चूंकि अनुसंधान एवं विकास का कार्य सरकारी निधि से पोषित है, इसलिएएकस्व का लाइसेंस देने/हस्तांतरण करने में अथवा प्रौद्योगिकी की वाणिज्यिकीकरण करने में गारंटी संस्थान को सुनिश्चित करना होगा भारत तथा उसके नागरिकों का हित सुरक्षित है।
8. संस्था को अनुसंधान/अनुसंधान संबंधी गतिविधियों को आगे बढ़ाने के लिए लाभ और आईपीआर से उत्पन्न होने वाली आय को बनाए रखने की अनुमति है।
9. यद्यपि, डीईआईटीवाई ने अनुदेयी संस्था को कोई मुआवजा दिए बिना, भारतीय संप्रभुता के हित में इस परियोजना से उत्पन्न बौद्धिक संपदा, के अधिकारों के स्वामित्व पर अपना अधिकार सुरक्षित रखा है।
VIII प्रौद्योगिकी हस्तांतरण/वाणिज्यीकरण के लिए दिशानिर्देशः
अपने स्वयं की संस्थान के भीतर कोई प्रक्रिया निर्धारित न होने के मामले में, अनुदेयी संस्था निम्नलिखित निर्देशों का उपयोग कर सकती हैः
1. प्रौद्योगिकी का हस्तांतरण सामान्य रूप से प्रौद्योगिकी/आईपी लाइसेंस के संबंध में कानूनी मुद्दों को हैंडल करने में सक्षम अनुदेयी संस्थानों के केंद्रीय कार्यालय द्वारा किया जा सकता है।
2. अनुदेयी संस्थान, टीओटी के आवेदन पत्रों का मूल्यांकन करने और टीओटी से अपेक्षित राजस्व उत्पन्न करने के लिए प्रौद्योगिकी हस्तांतरण (टीओटी) समिति का गठन करेगा।
3. प्रौद्योगिकी हस्तांतरण/वाणिज्यीकरण के लिए हित की अभिव्यक्ति की मांग करने से पहले, संस्थान एवं डीईआईटीवाई की वेबसाइटों पर, और प्रासंगिक अवधि के दौरान संबधित विषय पर आयोजित प्रदर्शनियों में विज्ञापनों, प्रकाशनों के माध्यम से परियोजना का तकनीकी विवरण, विशेषताओं और क्षमताओं का पर्याप्त प्रकटीकरण होना चाहिए। टीओटी प्रस्ताव को विषय से संबंधित पत्रिकाओं और विषय से संबंधित उद्योग संघों को पत्र लिखने के अलावा राष्ट्रीय दैनिक अखबार में व्यापक प्रचार दिया जा सकता है।
4. आम तौर पर, हित की अभिव्यक्ति से संबंधित अपने आवेदन पत्र दाखिल करने की इच्छुक पार्टियों के लिए 6 सप्ताह की अवधि दी जाएगी और आवेदन का प्रारूप अनुलग्नक - I में संलग्न है जिसे अनुदेयी संस्थानों द्वारा हस्तांतरित करने के लिए प्रस्तावित प्रौद्योगिकी/उत्पाद/सेवा/प्रोटोटाइप के आधार पर अनुकूलन की आवश्यकता हो सकती है।
5. टीओटी मूल्यांकन समिति दो चरणीय प्रक्रिया अपनाकर, प्राप्त प्रस्तावों के तकनीकी-वाणिज्यिक मूल्यांकन का कार्य करेगा।
6. अनुदेयी संस्थान द्वारा गठित टीओटी समिति निम्न आधारिक वास्तविकताओं को ध्यान में रखते हुए प्रकरण के आधार पर टीओटी की लागत को जानने के लिए कार्य करेगीः - i) परियोजना की विकास लागत ii) तकनीक/उत्पाद की बाजारी मांग iii) प्रौद्योगिकी के लिए उद्योग की भुगतान क्षमता iv) प्रोटोटाइपिंग से पैकेजिंग तक निहित कार्य। पूंजीगत उपकरणों की लागत से विकास की कुल लागत को कम किया जाएगा। इस तरह की अनुमानित लागत को चरण 2 में टीओटी शुल्क और रॉयल्टी का मूल्यांकन करने के लिए आंतरिक बेंच मार्क (आईबीएम) के रूप में इस्तेमाल किया जाएगा।
7. टीओटी समिति के यथोचित परिश्रम के बाद तकनीकी हस्तांतरण/लाइसेंस अनुबंध को हस्ताक्षरित किया जाएगा जिसमें मौजूदा कानूनी प्रक्रियाओं के माध्यम से आईपीआर के लाइसेंस को भी शामिल किया जाएगा।
8. यह वांछनीय है कि प्रौद्योगिकी को गैर विशिष्ट आधार पर स्थानांतरित किया जाता है। अनन्य लाइसेंसिंग टीओटी मूल्यांकन समिति के पर्याप्त औचित्य और संस्था/सक्षम प्राधिकारी के प्रमुख के अनुमोदन और डीईआईटीवाई के अनुमोदन के आधार पर दुर्लभ मामलों में होनी चाहिए।
9. संस्था को अनुसंधान/अनुसंधान संबंधी गतिविधियों को आगे बढ़ाने के लिए लाभ और आईपीआर से उत्पन्न होने वाली आय को बनाए रखने की अनुमति है।
IX. परिणामों के प्रकाशन के लिए दिशा-निर्देश
1. परियोजना के तहत किए गए अनुसंधान कार्य के आधार पर तकनीकी/वैज्ञानिक पत्रों को प्रकाशित करने के इच्छुक जांचकर्ताओं को इस विभाग से प्राप्त सहायता को स्वीकार करना चाहिए और सूचना/प्रकाशित पत्र की एक प्रति डीईआईटीवाई को भेजनी चाहिए।
2. यदि शोध परिणामों को कानूनी तौर पर बौद्धिक संपदा के लिए संरक्षित किया जाता है, तो इसके प्रकाशन को बौद्धिक संपदा अधिकारों के कानूनी संरक्षण की उचित सावधानी के बाद आरंभ किया जा सकता है।
नोट करें:
1. परियोजना प्रस्ताव को प्रस्तुत करते समय, नियम व शर्तों की स्वीकृति का प्रमाण पत्र और उपरोक्त जरूरतों जैसे विनिर्देशों का अनुसरण करने के उपक्रम को संस्थान के सक्षम प्राधिकारी द्वारा समर्थित मुख्य जांच से दिया जाएगा। नियम व शर्तों और दिशा निर्देशों से किसी भी विचलन के लिएए अनुदेयी संस्थान डीईआईटीवाई के सक्षम प्राधिकारी की अनुमति/अनुमोदन लेगा।
2. आईपीआर और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण/वाणिज्यीकरण के प्रबंधन के लिए दिशा निर्देशों को निम्न अपवादों के लिउ लागू नहीं किया जाएगा और आईपीआर और टीओटी के संबंध में विशिष्ट अनुमोदन लेना होगाः
(i) रणनीतिक आवेदनों की अनुसंधान एवं विकास परियोजनाएं
(ii) परियोजना को संयुक्त रूप से रक्षा, अंतरिक्ष और परमाणु अनुसंधान जैसे रणनीतिक विभागों के लिए/द्वारा वित्त पोषित किया गया है
अनुदेयी संस्थान द्वारा हित की अभिव्यक्ति के लिए निमंत्रण
(संदर्भ VII - अनुसंधान एंव प्रौद्योगिकी परियोजना के वित्तपोषण के लिए अनुदान सहायता शासित नियम एवं शर्तों के प्रौद्योगिकी हस्तांतरण/वाणिज्यीकरण पैरा - 3 के लिए दिशा निर्देश)
अनुदेयी संस्थान द्वारा बोलीकर्ताओं के लिए प्रदत्त निर्देश
आवेदन पत्रों को प्रासंगिक अनुभव के साथ संगठनों से प्रौद्योगिकी हस्तांतरण/वाणिज्यीकरण के प्रयोजन के लिए आमंत्रित किया गया है।
1. अनुलग्नक - I (जिसे प्रौद्योगिकी/उत्पाद/सेवा/प्रोटोटाइप के आधार पर अनुकूलन की आवश्यकता हो सकती है) में दी गई हित की अभिव्यक्ति के लिए प्रस्तुत जानकारी को हस्तांतरित किया जा रहा है। इच्छुक पार्टियां ईओआई दस्तावेज के पैरा 3.0 में वर्णित अनुसार विधिवत सभी प्रासंगिक समर्थित दस्तावेजों के साथ भरे गए अनुलग्नक - I के साथ ईओआई को प्रस्तुत किया जा सकता है।
2. सभी बोलीकर्ताओं की प्री-बिड बैठक को ........... को आयोजित किया जाएगा। इस बैठक का उद्देश्य अनुदेयी संस्था द्वारा परिकल्पित आवश्यकताओं को स्पष्ट करना और प्रश्नों को संबोधित करना होगा।
3. ईओआई द्वारा प्रस्तुत दस्तावजों को अच्छी तरह से सील किया जाना चाहिए और ‘‘प्रौद्योगिकीध्उत्पादध्सेवाध्प्रोटोटाइप के टीओटी के लिए ईओई’’ को चिह्नित किया जाना चाहिए ताकि .............. तक ...........(समय) पर या पहले निम्न पते तक पहुंचा जा सके।
संपर्क व्यक्ति का विवरण
_____________
____________
ईओआई बोलियों को ................. (तारीख) .................... पर ....................(समय) खोला जाएगा
संस्था अपने विवेक के आधार पर ईओआई के दस्तावेजों में संशोधन करके ईओआई को प्रस्तुत करने के लिए इस समय सीमा को बढ़ा सकता है, इस मामले में, समय सीमा के पूर्व अधीन संस्थान और बोलीकर्ताओं के अधिकार एवं दायित्व समय विस्तारण के अनुसार समयसीमा के अधीन होंगे।
4. परीक्षा, मूल्यांकन और ईओआई की तुलना में सहायता करने के लिए, संस्थान अपने विवेक के आधार पर बोलीतकर्ताओं को अपने ईओआई के स्पष्टीकरण के लिए पूछ सकता है। स्पष्टीकरण और प्रतिक्रिया के लिए अनुरोध लिखित रूप में किया जाएगा। हालांकि ईओई की देरी से प्रस्तुति, बोलीकर्ताओं की पहल पर स्पष्टीकरण को स्वीकार नहीं किया जाएगा। प्राधिकरण बोलीकर्ताओं की सुविधाओं का दौरा करने का अधिकार सुरक्षित रखता है।
5. बोलीकर्ता, यदि वे चुनते हैं, अपनी हित की अभिव्यक्ति को प्रस्तुत करने से पहले, पूर्व अपाइंटमेंट के साथ संस्थान की दौश्रा कर सकते हैं।
6. बोलीकर्ताओं को समिति के सम्मुख प्रस्तुति बनाने के लिए बुलाया जा सकता है।
7. अनुदेयी संस्थान मूल्यांकन के लिए बोलीकर्ताओं की सुविधा का दौरा कर सकता है।
8. अनुदेयी संस्थान वित्तीय बोलियां प्रस्तुत करने के लिए छांटी गए बोलीकर्ताओं के लिए निविदा दस्तावेज जारी करेगा।
9. ईओआई को प्रस्तुत करने से पहले किसी भी समय, अनुदेयी संस्थान इस ईओआई दस्तावेज और/या अनुसूची में संशोधन (ओं) कर सकता है। संशोधन को वेबसाइट (वेबसाइट के विवरण) पर उपलब्ध कराया जाएगा और उन पर बाइंडिंग की जाएगी। प्राधिकरण अपने विवेक के आधार पर प्रस्ताव प्रस्तुत करने के लिए समय सीमा को बढ़ा सकता है।
10 प्राधिकरण बिना कोई कारण दिए आवेदन को स्वीकार या अस्वीकार करने का अधिकार सुरक्षित रखता है।
11. किसी भी संबंध में अधूरी बोली या दस्तावेज़ में निर्दिष्ट जरूरतों से असंगत बोली या प्रारूपों का पालन न करने वाली बोली, को गैर उत्तरदायी मान जा सकता है और इसे अस्वीकृत किया जा सकता है और आगे कोई भी पत्राचार ऐसे बोलीकर्ताओं को स्वीकार नहीं करेगा।
12. किसी भी रूप में प्रचार आवेदक को अयोग्य घोषित करेगा।
13. हित की अभिव्यक्ति दस्तावेज पर किसी भी स्पष्टीकरण के लिए, निम्न से ई-मेल/फैक्स/पत्र के माध्यम से संपर्क किया जा सकता हैः
संपर्क व्यक्तियों का विवरण
____________
____________
सक्षम प्राधिकारी
अनुदेयी संस्थान
बोलीकर्ताओं के लिए अनुदान संस्थान द्वारा प्रदत्त विवरण
1.0 परिचय
(i) संस्था के बारे में संक्षिप्ति
(ii) हंस्तांतरित किए जाने वाले उत्पाद प्रौद्योगिकी प्रोटोटाइप के बारे में संक्षिप्त वर्णन।
(iii) उत्पाद प्रौद्योगिकी प्रोटोटाइप की वर्तमान स्थिति
2.0 काम का दायरा एवं सुविधाएं:
2.1 कार्य सीमा
हित की अभिव्यक्ति (ईओआई) सूचीबद्ध अनुसार कार्य क्षेत्र के साथ ........................ (उद्देश्य को परिभाषित किया जा सकता है) की भागीदारी के लिए हैः
2.2 दस्तावेजीकरणः
(i) संस्थान काम के दायरे के अनुसार सभी उप-प्रणालियों के लिए प्रलेखन प्रदान करेगा।
(ii) अभिज्ञात उद्योग को संस्थान के साथ परामर्श में विभिन्न उप प्रणालियों की सरंचना, विकास और परीक्षण के विस्तृत दस्तावेज़ बनाने की उम्मीद है, हालांकि अंतिम दस्तावेजीकरण पूर्णतः बोलीकर्ताओं की जिम्मेदारी होती है।
2.3 सरंचना/प्रोग्रामिंग/पैकेजिंग के लिए संस्थान में उपलब्ध सुविधाएं
3.0 हित की अभिव्यक्ति
3.1 संस्थान ने अनुलग्नक - I (जिसे हंस्तातरित की जाने वाली प्रौद्योगिकी/उत्पाद/सेवा/प्रोटोटाइप के आधार पर अनुकूलन की आवश्यकता हो सकती है) में दिए गए प्रारूप में “हित की अभिव्यक्ति”” को आमंत्रित किया है। उद्योगों को अनुलग्नक - I में दी गई सूचना के आधार पर चुना जाएगा और टीओटी समिति द्वारा मूल्यांकन किया जाएगा।
3.2 ईओआई को प्रस्तुत करने में उनके प्रस्ताव की प्रामाणिकता और उसमें किए गए किसी भी दावे को साबित करने के लिए निर्दिष्ट सभी दस्तावेजों को शामिल किया जाएगा। इस तरह के दावे को साबित करने का दायित्व बोलीदाता पर होगा।
3.3 ईओआई प्रस्तुत करने से संबंधित पूर्ण लागत और व्यय को बोलीकर्ता द्वारा ईओआई को प्रस्तुत करते समय वहन किया जाएगा और इस संबंध में किसी भी तरीके से, संस्थान का कोई दायित्व नहीं होगा, या यह बिना कोई कारण दिए छंटनी की प्रक्रिया को समाप्त करने का फैसला कर सकता है।
(संदर्भ VIII - अनुसंधान एंव प्रौद्योगिकी परियोजना के वित्तपोषण के लिए अनुदान सहायता शासित नियम एवं शर्तों के प्रौद्योगिकी हस्तांतरण/वाणिज्यीकरण पैरा - 4 के लिए दिशा निर्देश)
निम्नलिखित विवरण को ईओआई के साथ प्रस्तुत किया जाना चाहिए।
A. | कंपनी प्रोफाइल |
---|---|
1. | संगठन का नामः वेबसाइट |
2. | संपर्क व्यक्ति का नाम: नाम: पता टेलीफोन: फैक्स: ई-मेल: |
3. | निगमीकरण वर्ष |
4. | संगठन के प्रकार a. पब्लिक सेक्टर / लिमिटेड / प्राइवेट लिमिटेड/पार्टनरशिप/प्रोपराइटर/समाज/किसी अन्य b. चाहे 'विदेशी इक्विटी भागीदारी हो (कृपया तत्संबंधी विदेशी इक्विटी भागीदार का नाम और प्रतिशत दें) c. बोर्ड / प्रोपराइटर के निदेशकों के नाम d. एनआरआई (ओं) के नाम और पते, यदि कोई हो |
5. | फर्म की श्रेणीः बड़ी/मध्यम/लघु इकाई |
6. | पंजीकृत कार्यालय का पताः |
7. | पतों के साथ कार्यालयों की संख्या (पंजीकृत कार्यालय को छोड़कर): भारत विदेश |
8. | विनिर्माण इकाई के रूप में पंजीकरण प्रमाणपत्र |
9. | स्थायी खाता संख्या |
10. | सेल्स टैक्स नंबर/वैट |
11. | ISO9001/ISO13485 प्रमाणन की स्थिति |
B. | महत्वपूर्ण आवश्यकताएं |
---|---|
1. | संगठन भारत में कम से कम 2 वर्षों से निगमित प्रतिष्ठित फर्म/कंपनी/एसएमई/स्टार्टअप/आर एंड डी कंपनी होनी चाहिए। |
2. | कारोबार को खाते के वित्तीय विवरण/चार्टर्ड अकाउंटेंट द्वारा विधिवत प्रमाणित वार्षिक रिपोर्ट/पिछले 3 वर्षों की बैलेंस शीट/ पिछले 3 वर्षों के आयकर रिटर्न द्वारा समर्थित किया जाना चाहिए। |
3. | कंपनी का प्रोफाइल निगमन के प्रमाण सहित वर्तमान गतिविधियों और प्रबंधन/कार्मिक सरंचना का विवरण देता है। कंपनी को पंजीकृत किया जाना चाहिए और यह ISO 9001/ ISO13485 या समान रूप से प्रमाणित होनी चाहिए। |
4. | अतीत में उत्पादन स्तर पर प्रयुक्त उत्पाद/तकनीकी जानकारी के लिए प्रौद्योगिकी के अवशोषण का विवरण भी दिया जा सकता है। |
5. | विभिन्न स्तरों पर जनशक्ति (तकनीकीः मैकेनिकल, इलेक्ट्रिकल, इलेक्ट्रॉनिक्स, सॉफ्टवेयर और गैर-तकनीकी आदि) को प्रस्तुत किया जाना चाहिए। तकनीकीः a. बी.ई./बी.टेक/पीएचडी b. डिप्लोमा c. कुशल तकनीशियन d. अकुशल गैर-तकनीकीः |
6. | काम से संबंधित उपलब्ध मशीनी औजार/उपकरणों/सॉफ्टवेयर/सुविधाओं की सूची को पेश किया जाना चाहिए। |
7. | इन-हाउस तकनीकी विशेषज्ञ प्रस्तुति के लिए उपलब्ध होने चाहिए। |
8. | निरीक्षण और गुणवत्ता नियंत्रण के लिए उपलब्ध उपकरणों की सूची को प्रस्तुत किया जाना चाहिए। |
9. | उद्योग में इस काम को शुरू करने के लिए पर्याप्त जगह होनी चाहिए। उपलब्ध स्थान - प्रस्तुति के लिए आवरित एवं खुला होना चाहिए। |
10. | पिछले तीन वर्षों में नियमित गतिविधियों के रूप में प्रयुक्त उत्पादों/प्रौद्योगिकियों की सूची। सामान्य विशेषताओं और ग्राहकों के साथ उत्पादों/प्रौद्योगिकियों की सूची दें। |
11. | सम्पर्क विवरण (पता, टेलीफोन नं, संपर्क व्यक्ति) के साथ - पीएसयू/सरकारी ग्राहकों की सूची |
12. | बिक्री, विपणन और रखरखाव नेटवर्क का विवरण प्रस्तुत किया जाना चाहिए। |
13. | विभिन्न चालू उत्पादों के लिए तकनीकी सहयोगियों की सूची प्रस्तुत की जानी चाहिए। |
14. | बोलीकर्ता आंशिक कार्य के लिए नियुक्ति का प्रस्ताव रखने के मामले में उप-विक्रेताओं की जानकारी प्रदान करेंगे। |
C. | हित की अभिव्यक्तिः हितकृति की सीमा बताएं |
D. | टीओटी चरण दर चरण किया जाएगाः वरीय चरणों को सरंचित किया जा सकता है। |
E. | टीओटी शुल्क और रॉयल्टी, भुगतान अनुसूची |
मैं घोषणा करता हूं कि उपरोक्त जानकारी मेरे ज्ञान से सच और सही है।
नाम और सील के साथ हस्ताक्षरः
स्थानः
दिनांकः
-----------------------------------------------------------------------------------------------------------------
जेएस/एफए की सहमति और 8.10.2013 को सचिव, डीईआईटीवाई के अनुमोदन और तत्पश्चात् धारा 8 के खंड (9) ‘‘प्रौद्योगिकी हस्तांतरण/वाणिज्यीकरा’’ के साथ इन मुद्दों पर 24.12.2013 को जेएस/एफए की सहमति दी गई है और सचिव द्वारा अनुमादित किया गया है।
-----------------------------------------------------------------------------------------------------------------