करें-
- अनुशासनिक प्राधिकारी (डीए) को प्रासंगिक तथ्यों और पूछताछ/जांच की प्रारंभिक रिपोर्ट के आधार पर औपचारिक आरोप पत्र दाखिल करना चाहिए।
- सभी आवश्यक सबूत सुनिश्चित करें।
- जांच अधिकारी, एक पेश अधिकारी (पीओ) की नियुक्ति करनी चाहिए और एक ही आरोप पत्र का उल्लेख किया जाना चाहिए।
- मामले में अंतिम निष्कर्षों के आधार पर, अनुशासनिक प्राधिकारी और न्यायाधीश, कंपनी के सीडीए नियमों के अनुसार सजा के लिए खुद निर्णय लें।
- दंड अनुशासनिक प्राधिकारी द्वारा लगाये गए जुर्मानें और कदाचार की गंभीरता के अनुरूप सुनिश्चित करना चाहिए।
- जांच रिपोर्ट पर अंतिम निष्कर्ष करने से पहले, अनुशासनिक प्राधिकारी सीबीआई/सीवीसी/मुख्य सतर्कता अधिकारी से गोपनीय सलाह ले सकते हैं।
न करें-
- अनुशासनिक प्राधिकारी, जांच अधिकारी, पेश अधिकारी की नियुक्ति के बाद आरोप मुक्त करने के लिए अपने निहित शक्तियों का प्रयोग नहीं किया जाना चाहिए।
- किसी भी मामले में, अनुशासनिक प्राधिकारी या जांच अधिकारी या आरोपी अधिकारी को प्रारंभिक पूछताछ रिपोर्ट की प्रति सौंप देनी चाहिए।
- निर्णय देते हुए अनुशासनिक प्राधिकारी पक्षपाती नहीं होना चाहिए।
- किसी भी मामले में कंपनी के कोष में हेराफेरी करने के लिए कोई भी वित्तीय भुगतान नहीं करना चाहिए। किसी भी वित्तीय नुकसान से कंपनी के हितों की रक्षा करने के लिए कार्यवाही की जानी चाहिए।
- प्रतिनिधित्व जांच अधिकारी के खिलाफ पूर्वाग्रह का आरोप होनें पर आरोपी अधिकारी के मामले में 15 दिन से अधिक देरी नहीं की जानी चाहिए।