1991-92 के आर्थिक सुधारों, बाह्य व्यापार के उदारीकरण, सूचना प्रौद्योगिकी उत्पादों के आयात पर शुल्क हटाए जाने, आंतरिक और बाह्य निवेश तथा विदेशी विनिमय दोनों पर नियंत्रण में छूट और भारत सरकार तथा अलग-अलग राज्य सरकारों द्वारा विशेष रूप से आईटी और आईटीईएस के लिए किए गए राजकोषीय उपायों के पश्चात भारत में इस क्षेत्र की तरक्की में इनका बड़ा योगदान रहा और भारत विश्व भर में ऑफशोर सेवाओं के क्षेत्र में अग्रणी स्थान प्राप्त करने में सफल रहा। भारत सरकार द्वारा प्रदान किए गए प्रमुख राजकोषीय प्रोत्साहन निर्यात उन्मुक्त युनिटों (ईओयू), साफ्टवेयर प्रौद्योगिकी पार्क (एसटीपी) और विशेष आर्थिक जोन (सेज) को दिए गए।
सॉफ्टवेयर प्रौद्योगिकी पार्क (एसटीपी)
भारत से सॉफ्टवेयर निर्यात के संवर्धन हेतु 1991 में इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी विभाग के अधीन एक स्वायत सोसाइटी के रूप में भारतीय सॉफ्टवेयर प्रौद्योगिकी पार्क की स्थापना की गई। सॉफ्टवेयर का निर्यात करने वाले समुदायों के लिए एसटीपीआई द्वारा प्रदान की गई सेवाओं में सांविधिक सेवाएं, डेटा संचार सर्वर, उदभवन सेवाएं, प्रशिक्षण और मूल्यवर्धित सेवाएं शामिल हैं। एसटीपीआई ने एसएमई और आरंभिक युनिटों पर विशेष रूप से जोर देते हुए सॉफ्टवेयर निर्यात के संवर्धन में महत्वपूर्ण विकासात्मक भूमिका अदा की है। एसटीपी योजना, जो कि एक 100% निर्यातोन्मुख योजना है, देश में सॉफ्टवेयर उद्योग के संवर्धन में सफल रही है। एसटीपी युनिटों द्वारा किया गया निर्यात वर्ष-दर-वर्ष बढ़ता गया है।
एसटीपी योजना सॉफ्टवेयर कंपनियों को सुविधाजनक और कम खर्चीले स्थान पर अपने प्रचालन स्थापित करने की अनुमति प्रदान करती है और इसके फल्स्वरूप वे अपनी व्यापारिक आवश्यकताओं के आधार पर निवेश और वृद्धि की योजना बना सकती हैं। एसटीपी येाजना के अंतर्गत 4000 से अधिक युनिटें पंजीकृत हैं।
एसटीपी योजना के अंतर्गत लाभ:
- आयात पर पूरी तरह से सीमा शुल्क छूट।
- स्वदेशी खरीद पर पूरी तरह से केंद्रीय उत्पाद शुल्क छूट।
- फॉर्म सी के विरूद्ध स्वदेशी खरीद पर केंद्रीय बिक्री कर की प्रतिपूर्ति।
- सेकेंड हैंड उपस्कर सहित सभी संगत उपस्कर/माल का आयात किया जा सकता है (प्रतिबंधित मदों को छोड़कर) ।
- उपस्करों का आयात लोन आधार पर/ पट्टे पर भी किया जा सकता है।
- स्वचालित मार्ग के जरिए 100% एफडीआई की अनुमति है।
- निर्यात के एफओबी मूल्य के 50% तक डीटीए को बिक्री की अनुमति है।
- कुछ शर्तों के अधीन प्रशिक्षण के लिए आयातित कंप्यूटरों के इस्तेमाल की अनुमति है।
- 5 वर्ष की अवधि में 100% तक बढ़ी हुई दरों से कंप्यूटरों पर मूल्य ह्रास की अनुमति है।
एसटीपीआई की वेवसाईट http://www.stpi.in/ (बाह्य वेबसाईट जो कि नई विंडो में खुलती है) देखने के लिए यहां क्लिक करें।
विशेष आर्थिक जोन (सेज) योजना
वर्ष 2005 में वाणिज्य विभाग, वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय, भारत सरकार ने विशेष आर्थिक जोन (सेज) अधिनियम अधिनियमित किया है। इस अधिनियम का उद्देश्य निर्यात के लिए अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धी और बाधा रहित वातावरण उपलब्ध कराना है। सेज को ''विशेष रूप से सीमांकित शुल्क रहित इंक्लेव’’ के रूप में परिभाषित किया गया है और व्यापार प्रचालन तथा शुल्क और टैरिफ के प्रयोजन से इसे विदेशी क्षेत्र (सीमा शुल्क के अधिकार क्षेत्र से परे) माना जाएगा। सेज नियमावली द्वारा समर्थित सेज अधिनियम, 2005, 10 फरवरी 2006 से लागू किया गया। इसमें प्रक्रियाओं के बड़े पैमाने पर सरलीकरण और केंद्र तथा राज्य सरकारों से संबंधित मामलों पर एकल खिड़की स्वीकृति नीति का प्रावधान किया गया है। यह योजना अपेक्षाकृत बड़े उद्योगों के लिए एक आदर्श येाजना है और भावी निर्यात तथा रोजगार पर इसका महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ा है।
सेज नीति का उद्देश्य प्रतिस्पर्धी, सुविधाजनक और एकीकृत जोनों का विकास करना है, जो विश्वस्तरीय अवसंरचना, सुविधाएं और वैश्विक स्तर को ध्यान में रखते हुए व्यापार के लिए सेवाएं उपलब्ध कराते हैं। सेज अधिनियम 2005 में निर्यात संवर्धन और संबंधित अवसरंचना के सृजन में राज्य सरकारों की महत्वपूर्ण भूमिका परिकल्पित की गई है। सेज योजना की प्रमुख विशेषताएं निम्नानुसार हैं:
- सेज युनिटों के विकास, प्रचालन और रख-रखाव के लिए माल का शुल्क रहित आयात/ घरेलू खरीद।
- सेज युनिटों को 5 वर्ष के लिए निर्यात से होने वाले लाभ पर आयकर में 100% की छूट, अगले पांच वर्ष के लिए 50% और उसके पश्चात पांच वर्ष के लिए अर्जित लाभ के 50% पर आयकर छूट।
- केंद्रीय बिक्री कर से छूट।
- सेवा कर से छूट।
- केंद्रीय और राज्य स्तर के अनुमोदनों के लिए एकल खिड़की स्वीकृति ।
इस योजना का भावी निर्यात और रोजगार पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ा है। वाणिज्य विभाग द्वारा लगभग 235 आईटी-आईटीईएस सेज अधिसूचित किए गए हैं।
वेबसाईट - http://www.sezindia.nic.in/ देखने के लिए यहां क्लिक करें।