इस क्षेत्र में भारत की सामर्थ्य/निवेश करने के कारण
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- बड़ा ईएसडीएम बाजार – 2015 तक $94.2 बिलियन की संभावित मांग।
- सरकारी योजनाओं के कारण बेहतर मांग बढ़ी है- राष्ट्रीय ज्ञान नेटवर्क (एनकेएन), राष्ट्रीय ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क (एनओएफएन), शिक्षा क्षेत्र के लिए टैबलेट, डिजीटाइजेशन नीति, ब्रॉडबैंड के लिए योजनाएं आदि।
- इलेक्ट्रॉनिकी विनिर्माण सेवा (ईएसएम) उद्योग का पर्याप्त विकास- अर्थव्यवस्था विकास में महत्वपूर्ण योगदान करने वाला क्षेत्र।
- भारत के पास विश्व स्तर पर तीसरी सबसे बड़ी वैज्ञानिक और तकनीकी जनशक्ति उपलब्ध है; सेमीकंडक्टर डिजाइन और संबद्ध सॉफ्टवेयर के क्षेत्र में कम लागत पर प्रतिभा उपलब्ध है; ऑटो इलेक्ट्रॉनिकी और औद्योगिक इलेक्ट्रॉनिकी जैसी चुनिंदा उत्पाद लाइनों में सुदृढ़ डिजाइन और अनुसंधान एवं विकास क्षमता।
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क्षेत्र के आधारभूत तथ्य
(सांख्यिकी)
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- वर्ष 2012 में भारतीय ईएसडीएम उद्योग का अनुमानित राजस्व $68.31 बिलियन; जिसके वर्ष 2015 तक $94.2 बिलियन तक होने का अनुमान है; वर्ष 2011 और 2015 के बीच सीजीएआर का 9.68% है ।
- भारत में ईएसडीएम उद्योग में चार प्रमुख घटक शामिल हैं; इलेक्ट्रॉनिकी उत्पाद, इलेक्ट्रॉनिकी संघटक; सेमीकंडक्टर डिजाइन और इलेक्ट्रॉनिकी विनिर्माण सेवाएं (ईएमएस) ।
- 10 शीर्ष इलेक्ट्रॉनिक उत्पाद कुल राजस्व में लगभग 70% का योगदान देते हैं- मोबाइल फोन, फ्लैट पैनल टीवी; नोटबुक; डेस्कटॉप; डिजिटल कैमरा; इनवर्टर और यूपीएस; मेमोरी कार्ड और यूएसबी ड्राइवर्स; 4 डब्ल्यू ईएमएस; एलसीडी मॉनिटर और सर्वर
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वृद्धि चालक
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- महत्वपूर्ण स्थानीय मांग वैकल्पिक बाजारों में बढ़ी हुई विनिर्माण लागतें।
- इलेक्ट्रॉनिकी उत्पाद की वर्तमान मांग का 65 प्रतिशत आयात द्वारा पूरा किया जाना।
- सरकारी नीतियां – संशोधित विशेष प्रोत्साहन पैकेज योजना (एमसिप्स) (मार्च 2014 तक यूएस डॉलर 13.4 बिलियन) के निवेश प्रस्ताव, इलेक्ट्रॉनिकी विनिर्माण क्लस्टर योजना (ईएमसी), कौशल विकास योजना
- निर्यात संभावना- मध्य एशिया में खपत के लिए बड़ा बाजार; उत्तरी अफ्रीका और लैटिन अमरीका के उभरते हुए वृद्धि बाजार।
- ‘मेड इन इंडिया’ उत्पादों के विकास और स्थानीय आईटी तैयार करने के लिए मौजूदा अनुसंधान एवं विकास क्षमताओं को प्रोत्साहित किया जा सकता है।
- सूचना प्रौद्योगिकी निवेश क्षेत्र (आईटीआईआर) अधिसूचित किए गए।
- कर्नाटक (बेंगलूरू के पास 42.5 वर्ग किलोमीटर-; यूएस डॉलर 17.6 बिलियन का निवेश)
- आंध्र प्रदेश (हैदराबाद के पास 202 वर्ग किमी; यूएस डॉलर 36.4 बिलियन का निवेश)
- जीएमआर द्वारा देश भर में ग्रीनफिल्ड इलेक्ट्रॉनिकी विनिर्माण क्लस्टरों (ईएमसी) की स्थापना की जा रही है (बेंगलुरू के निकट); आंध्र प्रदेश सकरार (हैदराबाद के निकट 2); इलेक्ट्रॉनिकी उद्योग संघ (दिल्ली के निकट); मध्य प्रदेश राज्य इलेक्ट्रॉनिकी विकास निगम (भोपाल और जबलपुर); केरल उद्योग अवसंरचना विकास निगम (कोच्ची के निकट) ।
- 35 ब्राउनफिल्ड ईएमसी को एमसिप्स के लिए अधिसूचित ईएमसी के रूप में पुनर्नामित किया गया।
- उत्तर प्रदेश और गुजरात में सेमीकंडक्टर वेफर फैब्रीकेशन (फैब) सुविधाओं की स्थापना की जा रही है; कुल निवेश यूएस डॉलर 10.5 बिलियन ।
- इलेक्ट्रॉनिकी विकास निधि सहित इलेक्ट्रॉनिकी पर ध्यान केंद्रित करने के लिए उद्यम निधियां; वाल्डेन इंडिया फंड; किटवेन फंड; सिडबी फंड की योजना बनाई गई।
- ईएसडीएम क्षेत्र के लिए परिणाम उन्मुख कौशल विकास और प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए एक प्रभावी और कुशल पारिस्थितिकी तंत्र स्थापित करने के लिए इलेक्ट्रॉनिकी क्षेत्र कौशल परिषद और दूरसंचार क्षेत्र कौशल परिषद की स्थापना की गई; कौशल विकास योजना - इस योजना के तहत छह राज्यों / संघ शासित क्षेत्रों में 90,000 व्यक्तियों को 5 स्तर के पाठ्यक्रमों के लिए समर्थन दिया गया।
- इलेक्ट्रॉनिकी क्षेत्र में वर्ष 2017-18 तक प्रतिवर्ष 1500 पीएचडी धारक तैयार करने के लिए पीएचडी योजना ।
- इलेक्ट्रॉनिक माल का अनिवार्य पंजीयन : इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों के 15 सेटों के लिए सुरक्षा मानकों को पूरा करने की अनिवार्य आवश्यकता, इस सूची में और उत्पादों को जोड़ा जा रहा है।
- इलेक्ट्रॉनिकी के क्षेत्र में आरंभिक कंपनियों की स्थापना के लिए चार इंक्यूबेटर स्थापित किए गए।
- लार्ज एरिया इलेक्ट्रॉनिक्स के क्षेत्र में एक नया राष्ट्रीय उत्कृष्टता केंद्र, जो उद्योग और शिक्षा जगत की एक संयुक्त पहल है, इसकी स्थापना लचीली इलेक्ट्रॉनिकी, प्रिंट इलेक्ट्रॉनिकी, एलईडी आदि जैसे क्षेत्रों में उद्योग के समक्ष समस्याओं पर अनुसंधान और विकास करने के लिए की गई है।
- अंतर्राष्ट्रीय सहयोग : उद्योग और सरकार की भागीदारी से भारत और जापान के बीच एक संयुक्त कार्य समूह गठित किया गया है, जो दोनों देशों के बीच बेहतर सहयोग बढ़ाने के लिए कार्य करेगा। भारत और यूएस के बीच संयुक्त कार्य समूह के भाग के रूप में उच्च प्रौद्योगिकी क्षेत्र में विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए एक उप समूह गठित किया गया है। भारत और इजरायल के बीच संयुक्त कार्य समूह की स्थापना के प्रस्ताव पर चर्चा की जा रही है। इलेक्ट्रॉनिकी क्षेत्र के संवर्धन के लिए ताइवान के टीईईएमए और भारत के एसटीपीआई के बीच एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए हैं। ताइपेई कंप्यूटर संघ (पीसीए) ने भारत के बेंगलुरू में अपना पहला कार्यालय खोला है।
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निवेश के अवसर
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निवेश के अवसर: अनुसंधान एवं विकास से लेकर विनिर्माण तक ईएसडीएम के किसी भी क्षेत्र में निवेश के बड़े अवसर हैं जैसे
- उपभोकता
- दूरसंचार
- रक्षा
- सामरिक
- मोटर वाहन
- विद्युत
- चिकित्सा
- कम्प्यूटर हार्डवेयर
- सहायक बाह्य उपकरण
- एलईडी
- एलसीडी
- औद्योगिक
- नैनो इलेक्ट्रॉनिकी
- अन्य के साथ साथ एविओनिक्स;
- इलेक्ट्रॉनिकी संघटक ;
- सेमीकंडक्टर फैब,
- फैबलेस,
- सेमीकंडक्टर डिजाइन
- इलेक्ट्रॉनिकी विनिर्माण सेवाएं (ईएमएस)
- इलेक्ट्रॉनिकी विनिर्माण क्लस्टर की स्थापना
- इलेक्ट्रॉनिकी संघटक
प्रमुख क्षेत्रों में 2020 तक भारत का संभावित इलेक्ट्रॉनिकी बाजार; दूरसंचार उपकरण (यूएस डॉलर 34 बिलियन); लैपटॉप, डेस्कटॉप, गोलियां (यूएस डॉलर 34 बिलियन); एलईडी (यूएस डॉलर 35 बिलियन); उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिकी (यूएस डॉलर 29 बिलियन); सेट टॉप बॉक्स (10 यूएस डॉलर बिलियन); ऑटोमोटिव इलेक्ट्रॉनिकी (10 यूएस डॉलर बिलियन); मेडिकल इलेक्ट्रॉनिकी (यूएस डॉलर 8.5 बिलियन)
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एफडीआई नीति
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- सभी लागू विनियमों और कानूनों के अध्यधीन इलेक्ट्रॉनिकी प्रणाली डिजाइन और विनिर्माण क्षेत्र में स्वचालित मार्ग के तहत 100% तक एफडीआई की अनुमति दी गई।
- रक्षा क्षेत्र से जुड़े इलेक्ट्रॉनिकी उत्पादों के मामले में सरकारी अनुमोदन मार्ग के तहत 26% तक एफडीआई और 26% से अधिक एफडीआई की अनुमति ऊर्जा पर मंत्रिमंडल के अनुमोदन से दी जाती है। (यह मामला दर मामला आधार पर लागू है);निवेश से देश में सार्वजनिक और स्टेट ऑफ द आर्ट प्रौद्योगिकी का अभिगम सुनिश्चित होना चाहिए।
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क्षेत्रीय नीति
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- इलेक्ट्रॉनिकी पर राष्ट्रीय नीति (एनपीई): एनपीई का विजन '' देश की आवश्यकताओं को पूरा करने और अंतर्राष्ट्रीय बाजार में सेवाएं प्रदान करने के लिए वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी इलेक्ट्रॉनिकी डिजाइन और विनिर्माण उद्योग निर्मित करना’ है। एनपीई का उद्देश्य 2020 तक यूएस डॉलर 400 बिलियन की संभावित मांग के लिए लगभग यूएस डॉलर 100 बिलियन का निवेश आकर्षित करने और विभिन्न स्तरों पर लगभग 28 मिलियन लोगों के लिए रोजगार के अवसर सृजित करना है। इस नीति का अभिष्ट उद्देश्य इलेक्ट्रॉनिकी उद्योग के सभी तीन स्तंभों अर्थात अनुसंधान एवं विकास, विनिर्माण/फैब्रीकेशन तथा असेंबली/एटीएमपी में महत्वपूर्ण क्षमताओं का विकास कर भारतीय ईएसडीएम क्षेत्र को और मजबूत करना है।
- बहुत सी राज्य सरकारों ने भी इलेक्ट्रॉनिकी के क्षेत्र में नीतियां परिभाषित की हैं।
- अन्य महत्वपूर्ण नीतियों - राष्ट्रीय दूरसंचार नीति राष्ट्रीय विनिर्माण नीति
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वित्तीय सहायता
(प्रोत्साहन)
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संशोधित सिप्स :
- केपेक्स पर 10 साल के लिए 20 से 25% तक की पूंजी सब्सिडी ।
- गैर-सेज यूनिटों में पूंजी उपस्करों के लिए सीवीडी / उत्पाद शुल्क की प्रतिपूर्ति।
- फैब्स और एटीएमपी जैसे चुनिंदा उच्च तकनीक वाली यूनिटों में 10 साल के लिए केंद्रीय करों और शुल्कों की प्रतिपूर्ति।
- चिह्नित इलेक्ट्रॉनिकी उत्पादों के पूरे मूल्य श्रृंखला के लिए उपलब्ध हैं।
- प्रोत्साहन अनुमोदन की तारीख से 10 साल के लिए उपलब्ध हैं।
प्राथमिक बाजार अभिगम :
- सरकारी खरीद में घरेलू स्तर पर विनिर्मित इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों को प्राथमिकता।
- घरेलू विनिर्मित उत्पादों की सरकारी खरीद की सीमा कुल खरीद के 30% से कम नहीं होगी।
इलेक्ट्रॉनिकी विनिर्माण क्लस्टर:
- प्रति 100 एकड़ भूमि के लिए यूएस डॉलर 10 मिलियन तक 50-75% सब्सिडी ।
- ग्रीनफील्ड और ब्राउनफील्ड दोनों परियोजनाओं के लिए लागू।
निर्यात प्रोत्साहन :
- फोकस उत्पाद योजना- 2% ड्यूटी क्रेडिड स्क्रिप।
- विशेष उत्पाद योजना- 5% ड्यूटी क्रेडिड स्क्रिप।
क्षेत्र आधारित प्रोत्साहन :
- संगत अधिनियमों में विनिर्दिष्ट किए अनुसार एसईजेड/एनएमआईजेड में स्थापित यूनिटों के लिए प्रोत्साहन अथवा पूर्वोत्तर क्षेत्र, जम्मू और कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड जैसे विशेष क्षेत्रों में परियोजना स्थापित करना।
ईएसडीएम क्षेत्र में एमएसएमई की सहायता के लिए राष्ट्रीय योजना:
- इलेक्ट्रॉनिक्स वस्तुओं के लिए ''भारतीय मानकों" का अनुपालन
- निर्यात के लिए आवश्यक परीक्षण और प्रमाणीकरण
- एमएसएमई द्वारा इलेक्ट्रॉनिकी विनिर्माण क्लस्टर का विकास
राज्य प्रोत्साहन :
- उपर्युक्त के अलावा भारत में प्रत्येक राज्य औद्योगिक परियोजनाओं के लिए अतिरिक्त प्रोत्साहन प्रदान करता है। कुछ राज्यों ने इलेक्ट्रॉनिकी के लिए अपनी अलग नीतियां भी बनाई हैं।
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भारत में विदेशी निवेशक
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एलजी
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एरिक्सन
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डेल
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नोकिया-सीमेंस
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जाबिल
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सीमेंस
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लेनोवो
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फ्लेक्सट्रोनिक्स
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नोकिया
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सैमसंग
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फोक्सकोन
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बॉश
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पैनासोनिक
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फिलिप्स
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एबीबी
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अल्काटेल
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एचपी
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डेल्फाई
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विषय इंटरटेक्नोलॉजी
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मोलेक्स
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एंफिनॉल
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श्नाइडर
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महत्वपूर्ण एजेंसियां
(वेबसाइट के साथ मंत्रालय / सेक्टर कक्ष)
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इलेक्ट्रॉनिकी उद्योग संघ :
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