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सीएससी 2.0: वे फॉरवर्ड

सीएससी राष्ट्रीय ई- शासन योजना (एनईजीपी) की एक रणनीतिक आधारशिला है, जिसे सरकार द्वारा सितंबर, 2006 में अनुमोदित किया गया था, जिसका उद्देश्य सभी 6 लाख जनगणना किए गए गांवों को एक लाख सीएससी द्वारा 1:6 के अनुपात में समान रूप से ग्रामीण भारत में बड़े पैमाने पर ई-शासन शुरू करने के लिए राष्ट्रीय न्यूनतम साझा कार्यक्रम में अपनी प्रतिबद्धता के हिस्से के रूप में विस्तार करना है । कार्यान्वयन का यह चरण मार्च, 2017 में बंद कर दिया गया है।

पूर्ववर्ती सीएससी योजना के आकलन के आधार पर, भारत सरकार ने औपचारिक रूप से अगस्त, 2015 में डिजिटल इंडिया-स्तंभ 3 - "सार्वजनिक इंटरनेट अभिगम कार्यक्रम - राष्ट्रीय ग्रामीण इंटरनेट मिशन और विभिन्न नागरिक केंद्रित सेवाएं प्रदान करने" के तहत सीएससी 2.0 परियोजना शुरू की है। देश भर में सभी ग्राम पंचायतों (जीपी) के लिए सीएससी की पहुंच का विस्तार करना । इसका लक्ष्य देश भर में 2.50 लाख ग्राम पंचायतों (जीपी) में कम से कम एक सीएससी स्थापित करना है । यह परियोजना संबंधित राज्य सरकारों और संघ राज्य क्षेत्रों (यूटी) प्रशासनों के मार्गदर्शन में सीएससी ई-शासन सर्विसेज इंडिया लिमिटेड (सीएससी-स्पेशल परपज व्हीकल, सीएससी-एसपीवी) द्वारा कार्यान्वित की जा रही है।

सीएससी-2.0 मॉडल को लेनदेन आधारित और सेवा वितरण आधारित मॉडल के रूप में परिकल्पित किया गया है, जो एकल प्रदायगी प्लेटफॉर्म के माध्यम से ई-सेवाओं का एक बड़ा संग्रह उपलब्ध करता है, जो पूरे देश में सीएससी की स्थिरता को बढ़ाएगा। इस परियोजना के तहत, सेवा उपलब्धता के मानकीकरण को सुनिश्चित करके और इसमें शामिल सभी हितधारकों के क्षमता निर्माण को सुनिश्चित करके सीएससी नेटवर्क को सुडृढ करने का प्रस्ताव है। इस योजना में एसडीए के साथ-साथ डीईजीएस को भी जनशक्ति संसाधन उपलब्ध कराने की परिकल्पना की गई है, ताकि वे ई-शासन सेवाओं की प्रदायगी, निगरानी और मूल्यांकन तक परियोजना के निष्पादन के लिए सहायता, समन्वय जैसे वांछित भूमिका संबंधी कार्य करने में सक्षम हो सकें । सीएससी एसपीवी द्वारा हेल्प डेस्क सहायता भी प्रदान की जाएगी।

सीएससी-2.0 के उद्देश्य ( कार्यान्वयन का वर्तमान चरण ) :

  • सीएससी को पूर्ण सेवा वितरण केंद्र बनाते हुए ग्रामीण नागरिकों को ई-सेवाओं तक गैर-भेदभावपूर्ण अभिगम, अन्य एमएमपी के संदर्भ में पहले से बनाए गए बैकएंड बुनियादी ढांचे का उपयोग करना ।
  • ग्राम पंचायत स्तर तक आत्मनिर्भर सीएससी नेटवर्क का विस्तार-2.50 लाख सीएससी यानी प्रति ग्राम पंचायत कम से कम एक सीएससी ।
  • कार्यान्वयन के लिए जिला प्रशासन के तहत जिला ई-शासन सोसाइटी (डीजीएस) को सशक्त बनाना ।
  • रोलआउट और परियोजना प्रबंधन के लिए संस्थागत ढांचे को बनाना और सुदृढ़ करना, जिसके द्वारा राज्य और जिला प्रशासनिक मशीनरी को समर्थन देना और स्थानीय भाषा सहायता डेस्क समर्थन के माध्यम से वीएलई को संभालना ।
  • एक प्रौद्योगिकी मंच के तहत ऑनलाइन सेवाओं को सक्षम और समेकित करना, इसलिए, सभी हितधारकों के बीच प्रौद्योगिकी-संचालित संबंधों के साथ सीएससी आउटलेट्स पर सेवा वितरण को जवाबदेह, पारदर्शी, कुशल और पता लगाने योग्य बनाना ।
  • ई-सेवाओं के वितरण के माध्यम से अर्जित अधिकतम कमीशन को साझा करके और वीएलई के रूप में महिलाओं को प्रोत्साहित करके वीएलई की स्थिरता बढ़ाना ।