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सीएससी योजना

सामान्य सेवा केंद्र

सीएससी राष्ट्रीय ई- शासन योजना (एनईजीपी) की एक रणनीतिक आधारशिला है, जिसे सरकार द्वारा सितंबर, 2006 में अनुमोदित किया गया था, जिसका उद्देश्य इसकी प्रतिबद्धता के एक भाग के रूप में, बड़े पैमाने पर ई- शासन शुरू करने के लिए राष्ट्रीय न्यूनतम साझा कार्यक्रम में भारत के सभी 6 लाख ग्रामीण जनगणना गांवों को एक लाख सीएससी द्वारा 1:6 के अनुपात में समान रूप से व्याप्त करना है ।

सीएससी का प्राथमिक उद्देश्य भौतिक सेवा वितरण आईसीटी आधारभूत संरचना बनाकर नागरिकों की पहुंच के भीतर ही सरकार-से-नागरिक (जी2सी) ई-सेवाएं प्रदान करना है। यह पारदर्शी सेवा वितरण प्रणाली बनाने और नागरिकों के सरकारी कार्यालयों के चक्कर लगाने सम्बंधी प्रयासो का निपटान करने में मदद करता है।

सीएससी अच्छी गुणवत्ता और लागत प्रभावी इंटरनेट अभिगम और विभिन्न क्षेत्रों से संबंधित विभिन्न ई-सेवाएं प्रदान करेगा, जैसे जी2सी, शिक्षा, स्वास्थ्य, टेलीमेडिसिन, बैंकिंग और वित्त के साथ-साथ अन्य निजी सेवाएं। सीएससी का एक विशिष्टता यह है कि यह ग्रामीण क्षेत्रों में वेब-सक्षम ई-शासन सेवाएं प्रदान करेगा, जिसमें आवेदन पत्र, प्रमाण पत्र, और उपयोगिता भुगतान जैसे बिजली, टेलीफोन और पानी के बिल आदि शामिल हैं। जी2सी सेवाओं के समस्त विचाराधीन पहलूओं के अलावा, सीएससी दिशानिर्देशों में विभिन्न प्रकार की सूचना सामग्री और सेवाओं की परिकल्पना की गई है जिन्हें नीचे सूचीबद्ध करते हुए प्रस्तुत किया जा सकता है:

  • कृषि सेवाएं (कृषि, बागवानी, रेशम उत्पादन, पशुपालन, मत्स्य पालन, पशु चिकित्सा)
  • शिक्षा और प्रशिक्षण सेवाएं (स्कूल, कॉलेज, व्यावसायिक शिक्षा, रोजगार, आदि)
  • स्वास्थ्य सेवाएं (टेलीमेडिसिन, स्वास्थ्य जांच, दवाएं)
  • ग्रामीण बैंकिंग और बीमा सेवाएं (माइक्रो क्रेडिट, ऋण, बीमा)
  • मनोरंजन सेवाएँ (फ़िल्में, टेलीविज़न)
  • उपयोगिता सेवाएं (बिल भुगतान, ऑनलाइन बुकिंग)
  • वाणिज्यिक सेवाएं (डीटीपी, प्रिंटिंग, इंटरनेट ब्राउजिंग, ग्राम स्तरीय बीपीओ)

यह योजना निजी क्षेत्र और गैर सरकारी संगठनों के लिए सीएससी योजना के कार्यान्वयन में सक्रिय भूमिका निभाने हेतु एक अनुकूल वातावरण तैयार करती है, जिससे यह योजना ग्रामीण भारत के विकास में सरकार के भागीदार के रूप में कार्य करती है। सीएससी योजना के पीपीपी मॉडल में सीएससी ऑपरेटर (जिसे ग्राम स्तरीय उद्यमी यानी वीएलई कहा जाता है) से मिलकर एक 3-स्तरीय संरचना की परिकल्पना की गई है; सेवा केंद्र एजेंसी (एससीए), जो 500-1000 सीएससी के संवितरण के लिए जिम्मेदार होगी; और राज्य सरकार द्वारा पहचानी गई एक राज्य नामित एजेंसी (एसडीए) पूरे राज्य में कार्यान्वयन के प्रबंधन के लिए जिम्मेदार होगी ।