Left Navigation

योजनाएं और नीतियां - इलेक्ट्रॉनिक हार्डवेयर

इलेक्‍ट्रॉनिकी हार्डवेयर क्षेत्र के लिए निर्यात उन्‍मुख यूनिटों की स्‍थापना हेतु विशेष योजनाएं उपलब्‍ध हैं। इन योजनाओं के अंतर्गत विभिन्‍न प्रकार के प्रोत्‍साहन और छूट उपलब्‍ध हैं। ईओयू, ईएचटीपी, एचटीपी और सेज योजनाओं की प्रमुख विशेषताएं तालिका के रूप में नीचे दी गई हैं:

योजनाएं और नीतियां - इलेक्ट्रॉनिक हार्डवेयर
लाभ ईएचटीपी/एसटीपी/ईओयू यूनिट सेज यूनिट
विदेशी इक्विटी की अनुमति स्‍वचालित मार्ग के जरिए 100% एफडीआई की अनुमति स्‍वचालित मार्ग के जरिए 100% एफडीआई की अनुमति
शुल्‍क रहत आयात/घरेलू खरीद की अनुमति पूंजीगत माल कच्‍चा माल, संघटक और अन्‍य इनपुट सामग्री विकास, प्रचालन और रखरखाव के लिए सभी माल
आयकर लाभ आयकर अधिनियम की धारा 10क/10ख के अंतर्गत निर्यात से होने वाले लाभ पर 100% कर छूट ( 31 मार्च, 2011 तक) आयकर अधिनियम की धारा 10कक के अंतर्गत निर्यात से होने वाले लाभ पर 100% कर छूट (5 वर्ष के लिए), अगले 5 वर्ष के लिए 50% और अगले 5 वर्ष के लिए प्राप्‍त निर्यात लाभ का 50%
निर्यात बाध्‍यता यूनिट सकारात्‍मक निवल विदेशी विनिमय (एनएफई) अर्जित करने वाली होगी । घरेलू टैरिफ क्षेत्र (डीटीए) में इन यूनिटों द्वारा विनिर्मित आईटीए-1 मदों की आपूर्ति निर्यात बाध्‍यता को पूरा करने की दिशा में जारी रहेगी यूनिट सकारात्‍मक निवल विदेशी विनिमय (एनएफई) अर्जित करने वाली होगी । घरेलू टैरिफ क्षेत्र(डीटीए) में इन यूनिटों द्वारा विनिर्मित आईटीए-1 मदों की आपूर्ति निर्यात बाध्‍यता को पूरा करने की दिशा में जारी रहेगी
डीटीए बिक्री छूट-युक्‍त शुल्‍कों (आधारभूत सीमा शुल्‍क का 50% और पूरा उत्‍पाद शुल्‍क) का भुगतान कर सकारात्‍मक एनएफई की बाध्‍यता को पूरा करने की शर्त के अध्‍ययधीन निर्यात के एफओबी मूल्‍य के 50% तक डीटीए बिक्री की अनुमति है। इस पात्रता से परे डीटीए की बिक्री की अनुमति पूर्ण शुल्‍क के भुगतान पर दी जाएगी बशर्ते कि यूनिट ने सकारात्‍मक एनएफई होने का लक्ष्‍य प्राप्‍त किया हो। डीटीए बिक्री की अनुमति पूर्ण शुल्‍क के भुगतान पर दी जाएगी। हालांकि यूनिट को अपने प्रचालन की तारीख से 5 वर्ष की अवधि में सकारात्‍मक निबल विदेशी विनिमय (एनएफई) अर्जित करने वाली यूनिट बनना होगा। डीटीए बिक्री की अनुमति पूर्ण शुल्‍क के भुगतान पर है। हालांकि युनिट को अपना प्रचालन शुरू करने की तारीख से पांच वर्ष की अवधि में सकारात्‍मक निबल विदेशी विनिमय (एनएफई) अर्जक होना आवश्‍यक है।
केन्‍द्रीय बिक्री कर रिफन्‍डेबल छूट
डीटीए से बिक्री मानद निर्यात भौतिक निर्यात

विशेष आर्थिक जोन (सेज) योजना

वाणिज्‍य विभाग द्वारा यथा अधिसूचति ‘विशेष आर्थिक जोन नियमावली, 2006’ के अनुसार यदि किसी सेज की स्‍थापना का प्रस्‍ताव विशेष रूप से इलेक्‍ट्रॉनिकी हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर, जिसमें सूचना प्रौद्योगिकी समर्थ सेवाएं शामिल हैं, के लिए किया जाता है तो ऐसे मामले में 1 लाख वर्ग मीटर के न्‍यूनतम निर्मित संसाधन क्षेत्र के साथ 10 हेक्‍टेयर अथवा अधिक क्षेत्रफल आवश्‍यक होगा।

इलेक्ट्रॉनिकी हार्डवेयर प्रौद्योगिकी पार्क (ईएचटीपी) योजना/निर्यात उन्मुरख यूनिट (ईओयू) योजना

ईओयू/ईएचटीपी योजनाओं के विवरण भारत की विदेश व्‍यापार नीति के अध्‍याय-6 और वाणिज्‍य विभाग, वाणिज्‍य और उद्योग मंत्रालय की वेबसाइट (https://commerce.gov.in/ ) पर दी गई प्रक्रियाओं में उपलब्‍ध हैं। सेज योजना से संबंधित विवरण भी इस वेबसाइट पर उपलब्‍ध हैं।

निर्यात पूंजीगत संवर्धन माल (ईपीसीजी) योजना

शून्‍य शुल्‍क ईपीसीजी योजना इलेक्‍ट्रॉनिक उत्‍पादों के निर्यातकों के लिए उपलब्‍ध हैं। इस योजना के अंतर्गत 0% सीमा शुल्‍क पर पूर्व उत्‍पादन, उत्‍पादन और उत्‍पादन पश्‍चात पूंजीगत माल (सीकेडी/एसकेडी के साथ-साथ कंप्‍यूटर साफ्टवेयर प्रणालियों सहित) के निर्यात की अनुमति है, बशर्ते कि ईपीसीजी योजना के अंतर्गत आयात किए गए पूंजीगत माल पर बचाए गए शुल्‍क के 6 गुणा के समतुल्‍य निर्यात बाध्‍यता को 6 वर्ष की अवधि में पूरा किया जाए। 6 वर्ष की अवधि की गणना प्राधिकार जारी किए जाने की तारीख से किया जाएगा।

इस योजना के अंतर्गत 3% सीमा शुल्‍क पर पूर्व उत्‍पादन, उत्‍पादन और उत्‍पादन पश्‍चात पूंजीगत माल (सीकेडी/एसकेडी के साथ-साथ कंप्‍यूटर साफ्टवेयर प्रणालियों सहित) के निर्यात की अनुमति है, बशर्ते कि ईपीसीजी योजना के अंतर्गत आयात किए गए पूंजीगत माल पर बचाए गए शुल्‍क के 8 गुणा के समतुल्‍य निर्यात बाध्‍यता को 8 वर्ष की अवधि में पूरा किया जाए। 8 वर्ष की अवधि की गणना प्राधिकार जारी किए जाने की तारीख से किया जाएगा।

पूंजीगत माल में कलपुर्जे(रिफरबिस/रिकंडीशन किए गए कलपुर्जों सहित), टूल, जिग, फिक्‍चर, डाई और मोल्‍ड शामिल हैं। ईपीसीजी योजना के अंतर्गत सेंकेंडहैंड पूंजीगत माल अवधि के किसी प्रतिबंध के बिना आयात किया जा सकता है। निर्यात बाध्‍यता को भी डीटीए की आईटीए-1 मदों की आपूर्ति द्वारा पूरा किया जा सकता है बशर्ते कि इसकी वसूली मुक्‍त  विदेशी विनिमय में की जाए।

ईपीसीजी योजना के विवरण भारत की विदेश व्‍यापार नीति के अध्‍याय-5 और वाणिज्‍य  विभाग, वाणिज्‍य और उद्योग मंत्रालय की वेबसाइट (https://commerce.gov.in/ ) पर दी गई प्रक्रियाओं में उपलब्‍ध हैं।

शुल्क छूट और प्रतिपूर्ति योजनाएं

शुल्क छूट योजनाएं निर्यात उत्पादन के लिए आवश्यतक इनपुट के शुल्क रहित आयात को समर्थ बनाती हैं। शुल्क छूट योजनाओं में निम्नलिखित योजनाएं शामिल हैं

  • अग्रिम अधिप्रमाणन योजना
  • शुल्‍क रहित आयात अधिप्रमाणन (डीएफआईए) योजना

शुल्‍क प्रतिपूर्ति योजना निर्यात उत्‍पाद में इस्‍तेमाल इनपुट पर शुल्‍क की निर्यात पश्‍चात प्रतिपूर्ति/भरपाई करती हैं। शुल्‍क प्रतिपूर्ति योजनाओं में निम्‍नलिखिति योजनाएं शामलि हैं:

  • शुल्‍क पात्रता पासबुक (डीईपीबी) योजना
  • ड्यूटी ड्रॉबैक (डीबीके) योजना

इन योजनाओं के विवरण भारत की विदेश व्‍यापार नीति के अध्‍याय-4 और वाणिज्‍य विभाग, वाणिज्‍य और उद्योग मंत्रालय की वेबसाइट (https://commerce.gov.in/ ) पर दी गई प्रक्रियाओं में उपलब्‍ध हैं।

मानद निर्यात

"मानद निर्यात" से आशय उन लेन-देनों से है जिनमें आपूर्ति किया गया माल देश से बाहर नहीं जाता और ऐसी आपूर्तियों के लिए भुगतान या तो भारतीय रूपयों में प्राप्‍त किया जाता है अथवा मुक्‍त विदेशी विनिमय के रूप में प्राप्‍त किया जाता है। विदेश व्‍यापार नीति के अंतर्गत मुख्‍य/ उप-संविदाकारों द्वारा माल की आपूर्ति की निम्‍नलिखित श्रेणियों केा ‘मानद निर्यात-‘ के रूप में पंजीकृत किया जाता है बशर्ते कि माल का विनिर्माण भारत में किया गया हो

(क) वार्षिक आवश्‍यकता/डीएफआईए के लिए अग्रिम अधिप्रमाणन के विरूद्ध माल की

(ख) निर्यात उन्‍मुख यूनिटों (ईओयू) / सॉफ्टवेयर प्रौद्योगिकी पार्क (एसटीपी) यूनिटों/इलेक्‍ट्रॉनिक हार्डवेयर प्रौद्योगिकी पार्क(ईएचटीपी) यूनिटों/जैव प्रौद्योगिकी पार्क (बीटीपी) यूनिटों को माल की आपूर्ति

(ग) निर्यात संवर्धन पूंजीगत माल (ईपीससीजी) अधिप्रमाण धारकों को पूंजीगत माल की आपूर्ति

(घ) आर्थिक कार्य विभाग, वित्‍त मंत्रालय द्वारा यथा अधिसूचित बहुपक्षीय अथवा द्विपक्षीय एजेंसियों/निधियों द्वारा उनकी प्रक्रियाओं के अनुसार अंतर्राष्‍ट्रीय प्रतिस्‍पर्धी बोली (आईसीबी) के अंतर्गत वित्‍त-पोषित परियोजनाओं को माल की आपूर्ति, जहां कानूनी करार में सीमा शुल्‍क को शामिल किए बिना निविदा मूल्‍यांकन का प्रावधान होता है।

(ड़़) फर्टिलाइजर प्‍लांटों को पूंजीगत माल की आपूर्ति, जिसमें असेंम्‍बल न की गई/डिसमेंटल स्थितियों के साथ-साथ प्‍लांट/मशीनरी/सहायक उपकरण/टूल/डाइ और ऐसा माल शामिल है जिसका इस्‍तेमाल स्‍थापना उददेश्‍यों से लेकर वाणिज्यिक उत्‍पादन चरण तक किया जाता है, और एफओआर मूल्‍य की 10% सीमा तक आने वाले कलपुर्जे शामिल हैं।

(च) किसी परियोजना अथवा ऐसे प्रयोजन के लिए माल की आपूर्ति, जिसके संदर्भ में वित्‍त-मंत्रालय ने अधिसूचना जारी कर शून्‍य सीमा शुल्‍क पर ऐसे माल के आयात की अनुमति प्रदान की हो।

(छ) विद्युत परियोजनाओं और रिफाइनरियों को माल की आपूर्ति उपर्युक्‍त (च) में शामिल नहीं है।

(ज) 100% ईओयू (घरेलू मालभाड़ा कंटेनर विनिर्माता) द्वारा मैरीन फ्रीट कंटेनरों की आपूर्ति, बशर्ते कि उपर्युक्‍त कंटेनरों का भारत से बाहर निर्यात 6 माह के भीतर अथवा सीमा शुल्‍क विभाग द्वारा दी गई अनुमति के अनुसार अगली अवधि के भीतर किया जाए।

(ज) 100% ईओयू (घरेलू मालभाड़ा कंटेनर विनिर्माता) द्वारा मैरीन फ्रीट कंटेनरों की आपूर्ति, बशर्ते कि उपर्युक्‍त कंटेनरों का भारत से बाहर निर्यात 6 माह के भीतर अथवा सीमा शुल्‍क विभाग द्वारा दी गई अनुमति के अनुसार अगली अवधि के भीतर किया जाए।

(ञ) आईसीबी के प्रतिकूल प्रतिस्‍पर्धी बोली प्रतिक्रिया के जरिए परमाणु विद्युत परियोजनाओं को माल की आपूर्ति ।

मानद निर्यात का लाभ पैराग्राफ (घ), (ड.), (च) और (छ) के अंतर्गत केवल तभी उपलब्‍ध होगा जब आपूर्ति आईसीबी की प्रक्रिया के अधीन की जाती है।

मानद निर्यात के लिए लाभ

मानद निर्यात के लिए वाणिज्‍य विभाग, वाणिज्‍य और उद्योग मंत्रालय की प्रक्रिया हैण्‍डबुक (वोल्‍यूम-1), 2009-14 के अध्‍याय-8 में दी गई निबंधन और शर्तों के अध्‍ययधीन मानद निर्यात के रूप में अर्हक माल की आपूर्ति और विनिर्माता के संदर्भ में कोई/सभी लाभ प्राप्‍त करने के लिए पात्र होगा:

(क) अग्रिम अधिप्रमाणन/आवश्‍यकता/डीएफआई के लिए अग्रिम अधिप्रमाणन

(ख) मानद निर्यात ड्रॉबैक

(ग) सीमान्‍त सीमा शुल्‍क की छूट जहां आपूर्तियां आईसीबी के विरूद्ध की जाती हैं। अन्‍य मामलों में सीमांत सीमा शुल्‍क रिफन्‍ड किया जाएगा।

मानद निर्यात योजना के विवरण भारत की विदेश व्‍यापार नीति के अध्‍याय-8 और वाणिज्‍य विभाग, वाणिज्‍य और उद्योग मंत्रालय की वेबसाइट (https://commerce.gov.in/ ) पर दी गई प्रक्रियाओं में उपलब्‍ध हैं।

नीतियां

  • औद्योगिक अनुमोदन नीति
  • विदेशी निवेश नीति
  • राजकोशीय नीति 
  • विदेश व्‍यापार नीति

औद्योगिक अनुमोदन नीति

औद्योगिक अनुमोदन नीति की प्रमुख विशेषताओं में नि‍म्‍नलिखित विशेषताएं शामिल हैं:

  • इलेक्‍ट्रॉनिक एयरोस्‍पेस और रक्षा उपकरणों के विनिर्माण को छोड़कर इलेक्‍ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र में औद्योगिक लाईसेंसिंग को आभासी तौर पर समाप्‍त कर दिया है।
  • इलेक्‍ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी उद्योग में सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों के लिए कोई आरक्षण का प्रावधान नहीं हैं और प्रत्‍येक क्षेत्र में सार्वजनिक क्षेत्र से निवेश का स्‍वागत है।
  • इलेक्‍ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी उद्योग देश भर में कहीं भी स्‍थापित किए जा सकते हैं, बशर्ते कि वे पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण, स्‍थानीय ज़ोनिंग और भूमि उपयोग विनियमों के लिए जिम्‍मेदार प्राधिकारियों से आवश्‍यक स्‍वीकृतियां प्राप्‍त कर लें।
  • बड़े उद्योग (जहां प्‍लांट और मशीनरी पर 10 करोड़ रुपए से अधिक का निवेश किया गया हो) और जिन्‍हें लाइसेंसिंग से छूट प्रदान की गई हो, को ही औद्योगिक सहायता सचिवालय (एसआईए), औद्योगिक नीति एवं संवर्धन विभाग, वाणिज्‍य और उद्योग मंत्रालय, भारत सरकार  को विहित उद्यमियों के ज्ञापन (आईईएम) में सूचना फाइल करना और इसकी पावती प्राप्‍त करना आवश्‍यक है । वाणिज्यिक उत्‍पादन के तत्‍काल बाद आईईएम के भाग-2 को भी फाइल करना आवश्‍यक है । इसके लिए आगामी अनुमोदन की आवश्‍यकता नहीं है । फॉर्म औद्योगिक नीति एवं संवर्धन विभाग, वाणिज्‍य और उद्योग मंत्रालय, भारत सरकार की वेबसाइट (http://dipp.gov.in) से प्राप्‍त किया जा सकता है ।

  • लघु उद्यांग (जहां प्‍लांट और मशीनरी पर 25 लाख रुपए से अधिक, परन्‍तु 5 करोड़ रुपए से कम का निवेश किया गया हो) और मध्‍यम उद्योग (जहां प्‍लांट और मशीनरी पर 5 करोड़ रुपए से अधिक, परन्‍तु 10 करोड़ रुपए से कम का निवेश किया गया हो), को जिला उद्योग केंद्र (डीआईसी) के साथ पंजीकृत होना आवश्‍यक है।

विदेशी निवेश नीति

भारत इलेक्‍ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र में निवेशकों का स्‍वागत करता है । भारत सरकार किसी भी निवेशक को अनुकूल और मित्रवत प्‍लेटफॉर्म उपलब्‍ध कराने के लिए अपनी नीतियों और प्रक्रियाओं में अधिक पारदर्शिता लाने के लिए प्रयासरत है।

कोई विदेशी कंपनी भारत में अपना प्रचालन शुरू कर सकती है । इसके लिए उसे भारतीय कंपनी अधिनियम, 1956 के अंतर्गत अपनी कंपनी का पंजीयन करवाना आवश्‍यक है । ऐसी भारतीय कंपनियों में विदेशी इक्विटी 100% तक हो सकती है । पंजीयन के समय परियोजना के विवरण, स्‍थानीय भागीदार (यदि कोई है), कंपनी का ढ़ांचा, इसके प्रबंधन ढ़ांचे और शेयरधारिता पैटर्न के विवरण उपलब्‍ध होने चाहिए ।  

संयुक्‍त उद्यम को स्‍थापित संविदाओं, वित्‍तीय सहायता और भारतीय भागीदारों के वितरण विपणन नेटवर्क का लाभ प्राप्‍त है। विदेशी निवेश का अनुमोदन या तो स्‍वचालित मार्ग से अथवा सरकारी अनुमोदन के जरिए उपलब्‍ध है ।

भारत सरकार घरेलू निवेश के पूरक के रूप में और उसे प्रतिस्‍थापित करने के लिए उनके प्राथमिक स्‍वामित्‍व वाले विदेशी निगमित निकायों (ओबीसी) सहित प्रत्‍यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) और अनिवासी भारतीयों (एनआरआई) को सुविधाएं मुहैय्या कराती है । एफडीआई और विदेशी प्रौद्यागिकी सहयोग करार दोनों के जरिए विदेशी प्रौद्यागिकी को लागू करने के लिए प्रोत्‍साहन दिया जाता है । प्रत्‍यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) और विदेशी प्रौद्योगिकी सहयोग करार का अनुमोदन भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) को प्रत्‍यायोजित शक्तियों के अंतर्गत स्‍वाचालित मार्ग से अथवा सरकार द्वारा अन्‍यथा अनुमोदित किया जा सकता है।

स्‍वचालित अनुमोदन

सेवा क्षेत्र सहित ज्‍यादातर क्षेत्रों में पूर्व अनुमोदन के बिना विदेशी/एनआरआई निवेशक से स्‍वचालित मार्ग से 100% तक प्रत्‍यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की अनुमति है। स्‍वचालित मार्ग के अंतर्गत क्षेत्रों/कार्यकलापों में प्रत्‍यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) के लिए भारत सरकार अथवा आरबीआई द्वारा पूर्व अनुमोदन अपेक्षित नहीं है (विवरण के लिए आरबीआई की वेबसाइट  http://www.rbi.org.in देखें)। प्रत्‍यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) व्‍यवस्‍था को और अधिक उदार बनाने के लिए सरकारी प्रतिबद्धता के अनुक्रम में निम्‍नलिखित को छोड़कर प्रत्‍यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई)/एनआरआई के लिए सभी मदों और कार्यकलापों को स्‍वचालित मार्ग के अंतर्गत रखा गया है:

सभी प्रस्‍ताव जिनके लिए एक औद्योगिक लाईसेंस आवश्‍यक है, में शामिल हैं:-

  • ऐसी मदें जिनके लिए उद्योग (विकास और विनियम) अधिनियम, 1951 के अंतर्गत एक औद्यागिक लाईसेंस आवश्‍यक होता है।
  • आइटमों का विनिर्माण करने वाली यूनिटों की इक्विटी पूंजी के 24% से अधिक विदेशी निवेश होने के नाते इन्‍हें लघु उद्योगों के रूप में आरक्षित किया जाता है ।
  • ऐसी सभी मदें, जिनके लिए नई औद्योगिक नीति, 1991 के अंतर्गत सरकार द्वारा अधिसूचित स्‍थनीकरण नीति के संदर्भ में औद्योगिक लाईसेंस आवश्‍यक होता है।
  • ऐसे सभी प्रस्‍ताव जिनमें विदेशी सहयोगी का भारत में पहले से कोई उद्यम/समझौता है।
  • ऐसे सभी प्रस्‍ताव जो किसी विदेशी/एनआरआई/ओसीबी निवेशक के पक्ष में किसी मौजूदा भारतीय कंपनी के शेयरों के अधिग्रहण से संबंधित हों।
  • ऐसे सभी प्रस्‍ताव जो अधिसूचित क्षेत्रीय नीति/केप के दायरे से बाहर हों अथवा ऐसे क्षेत्र के अधीन आते हों जिनमें एफडीआई की अनुमति नहीं होती है और/अथवा जब कभी कोई निवेशक एफआईपीबी को आवेदन करने और प्रामाणिक मार्ग का वि‍कल्‍प चुनता है।

सरकारी अनुमोदन – एफआईपीबी प्राप्‍त करने की प्रक्रिया

विदेशी निवेश के लिए ऐसे सभी प्रस्‍ताव जिनके लिए सरकारी अनुमोदन आवश्‍यक होता है, पर विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड द्वारा विचार किया जात है। एफआईपीबी विदेशी निवेश/विदेशी तकनीकी करार सहयोग से संबंधित समेकित अनुमोदन भी प्रदान करता है । एनआरआई निवेश और 100% निर्यात उन्‍मुख यूनिटों (ईओयू) से इतर एफडीआई के लिए अनुमोदन प्राप्‍त करने हेतु एफसी-आईएल फॉर्म में आवेदन आर्थिक कार्य विभाग (डीएई), वित्‍त मंत्रालय को प्रस्‍तुत किए जाते हैं।  विदेशी प्रत्‍यक्ष निवेश से संबंधित नीतिगत दिशानिर्देशों के लिए कृपया वेबसाइट- http://dipp.gov.in देखें ।

राजको‍षीय नीति

इलेक्‍ट्रॉनिकी हार्डवेयर क्षेत्र के लिए यथा लागू राजकोषीय नीति की प्रमुख विशेषताएं निम्‍नानुसार हैं :

  • सीमा शुल्‍क की अधिकतम दर 10% है। 217 सूचना प्रौद्योगिकी करार (आईटीए-1) मदों* पर सीमा शुल्‍क 0% है। करार में उत्‍पादों और संघटकों की प्रमुख श्रेणियों को शामिल किया गया है:  कंप्‍यूटर और सहायक उपकरण; दूरसंचार उपस्‍कर, सेमीकंडक्‍टर; सेमीकंडक्‍टर विनिर्माण उपस्‍कर  और वैज्ञानिक उपस्‍करों सहित इलेक्‍ट्रॉनिक संघटक।
  • आईटीए-1 मदों के विनिर्माण में आवश्‍यक सभी माल को सीमा शुल्‍क से वास्‍तविक प्रयोक्‍ता स्थिति के अध्‍यधीन छूट प्रदान की गई है।
  • इलेक्‍ट्रॉनिक संघटकों और ऑप्टिकल फाइबर तथा केबल के विनिर्माण हेतु प्रयुक्‍त विनिर्दिष्‍ट कच्‍चा माल/इनपुट सामग्री पर सीमा शुल्‍क 0% है।
  • इलेक्‍ट्रॉनिक माल के विनिर्माण हेतु प्रयुक्‍त विनिर्दिष्‍ट पूंजीगत माल पर सीमा शुल्‍क 0% है।
  • एलसीडी पैनल और सेटअप बॉक्‍स पर सीमा शुल्‍क 5% है।
  • सेल्‍यूलर फोन सहित मोबाइल हैंडसेट के कलपुर्जों, संघटकों और सहायक पुर्जों पर आधारभूत सीमा शुल्‍क और उत्‍पाद शुल्‍क/सीवीडी से छूट प्रदान की गई है।
  • मोबाइल फोन और सहायक पुर्जों के विनिर्माण हेतु कल-पुर्जों पर 4% की विशेष सीवीडी से पूरी छूट एक वर्ष के लिए अर्थात 6.7.2010 तक पुन: लागू की गई है।
  • उत्‍पाद शुल्‍क की औसत दर (सेनवेट) 8% है।
    माइक्रोप्रोसेसर, हार्ड डिस्‍क, हार्ड डिस्‍क ड्राइव, फ्लॉपी डिस्‍क ड्राइव, सीडी रोम ड्राइव, डीवीडी ड्राइव/डीवीडी राइटर, फ्लैश मेमोरी और कांबो ड्राइव पर उत्‍पाद शुल्‍क से छूट दी गई है।
  • आईटी मदों पर वैट 4% की दर से और गैर आईटी इलेक्‍ट्रॉनिक मदों पर 12.5% की दर से लागू है। सीएसटी 2% है।

विदेश व्‍यापार नीति

  • सामान्‍यत: सभी इलेक्‍ट्रॉनिक और आईटी उत्‍पादों का मुक्‍त रूप से आयात किया जा सकता है, इसमें रक्षा से संबंधित कुछ मदें शामिल नहीं हैं।  सामान्‍यत: सभी इलेक्‍ट्रॉनिक और आईटी उत्‍पादों का मुक्‍त रूप से निर्यात किया जा सकता है, इसमें एक लघु नकारात्‍मक सूची शामिल नहीं है, जिसमें हाई पावर माइक्रोवेव ट्यूब, हाई एंड सुपर कंप्‍यूटर तथा डेटा संसाधन सुरक्षा उपस्‍कर शामिल हैं।
  • सेकेंड हैंड पूंजीगत माल मुक्‍त रूप से आयात किया जा सकता है।
  • शून्‍य शुल्‍क निर्यात संवर्धन पूंजीगत माल योजना (ईपीसीजी), जिसके अंतर्गत 0% सीमा शुल्‍क पर पूंजीगत माल के आयात की अनुमति है, इलेक्‍ट्रॉनिक उत्‍पादों के निर्यातकों के लिए उपलब्‍ध हैं।   ईपीसीजी योजना के अंतर्गत निर्यात बाध्‍यता को सूचना प्रौद्योगिकी करार (आईटीए1) मदों की डीटीए को आपूर्ति कर भी पूरा किया जा सकता है बशर्ते कि बसूली मुक्‍त विदेशी विनिमय के रूप में की जाए।
  • निर्यात प्रयोजनों के लिए बाधा रहित विनिर्माण और व्‍यापार को सक्षम बनाने हेतु विशेष आर्थिक जोनों (सेज) की स्‍थापना की जा रही है। घरेलू टैरिफ क्षेत्र (डीटीए) से सेज को की जाने वाली बिक्री को भौतिक निर्यात के रूप में माना जा रहा है। इससे घरेलू आपूर्तिकर्ता ड्यूटी ड्रॉबैक/डीईपीबी लाभों, सीएसटी छूट और सेवा कर छूट के लिए पात्र हो जाते हैं।  
  • ईओयू/ईएचटीपी/एसटीपी/सेज युनिटों द्वारा घरेलू टैरिफ क्षेत्र (डीटीए) में सूचना प्रौद्योगिकी करार (आईटीए-1) मदों और अधिसूचित शून्‍य शुल्‍क वाले दूरसंचार/इलेक्‍ट्रॉनिक मदों की गणना सकारात्‍मक निबल विदेशी विनिमय अर्जन(एनएफई) की पूर्ति के प्रयोजन से की जाती है।
  • पर्सनल कंप्‍यूटर/लैपटॉप सहित सेकेंड हैंड कंप्‍यूटरों और रिफर्बिश/रिकंडीशन किए गए कल पुर्जों का आयात प्रतिबंधित है। तथापि प्रिंटर, प्‍लॉटर, स्‍कैनर, मॉनिटर, कीबोर्ड और स्‍टोरेज युनिटों सहित सेकेंड हैंड कंप्‍यूटर, लैपटॉप और कंप्‍यूटर के सहायक उपकरणों को निम्‍नलिखित श्रेणी के दानकर्ताओं द्वारा दान के रूप में मुक्‍त रूप से आयात किया जा सकता है, बशर्ते कि माल का इस्‍तेमाल किसी वाणिज्यिक प्रयोजन के लिए न किया जाए और ये अहस्‍तांतरणीय रहें।
    • केंद्र अथवा राज्‍य सरकार या किसी स्‍थानीय निकाय द्वारा संचालित स्‍कूल ।
    • किसी संगठन द्वारा गैर वाणिज्यिक आधार पर संचालित शैक्षणिक संस्‍थान।
    • पंजीकृत धर्मार्थ चिकित्‍सालय।
    • सार्वजनिक पुस्‍तकालय।
    • सार्वजनिक निधियों से संचालित अनुसंधान और विकास स्‍थापना।
    • केंद्र अथवा राज्‍य सरकार या किसी स्‍थानीय निकाय द्वारा संचालित सामुदायिक सूचना केंद्र।
    • केंद्र अथवा राज्‍य सरकार या किसी स्‍थानीय निकाय द्वारा संचालित प्रौढ़ शिक्षा केंद्र।
    • केंद्र अथवा राज्‍य सरकार या किसी संघ राज्‍य का संगठन।

भारत की विदेश व्‍यापार नीति  और प्रक्रियाएं वाणिज्‍य विभाग, वाणिज्‍य और उद्योग मंत्रालय की वेबसाइट (https://commerce.gov.in/ ) पर उपलब्‍ध हैं।