परिचय
भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी/सूचना प्रौद्योगिकी समर्थित सेवाएं (आईटी/आईटीईएस) के क्षेत्र में पिछले दशक में जबरदस्त वृद्धि दर्ज की गई है। इसने पूरी दुनिया में प्रतिष्ठा हासिल की और विश्वसनीय एवं लागत– प्रभावी सेवाएं प्रदान करने में प्रसिद्धि पाई है। विश्व में आज भारत आउटसोर्सिंग गंतव्य के रूप में मान्यता प्राप्त कर चुका है। प्रमुख विकसित बाजार स्पष्ट लाभ हासिल करने और अपनी प्रतिस्पर्धात्मकता में सुधार लाने के लिए भारत से सूचना प्रौद्योगिकी/सूचना प्रौद्योगिकी समर्थित सेवाएं (आईटी/आईटीईएस) आउटसोर्स कर रहे हैं।
भारतीय आईटी कंपनियों ने विश्व् भर में 600 से अधिक वितरण केंद्रों की स्थापना की है और 78 देशों के 200 से अधिक शहरों में उपस्थिति के साथ सेवाएं प्रदान करने में लगी हुईं हैं। राष्ट्रीय सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के अनुपात के रूप में, इस क्षेत्र का राजस्व वित्त वर्ष 1997–98 के 1.2 फीसदी के मुकाबले वित्त वर्ष 2013-14 में बढ़कर करीब 8.1 फीसदी हो गया है। साल 2012 के 52 फीसदी की तुलना में साल 2013 में करीब 55 फीसदी हिस्सेदारी के साथ भारत वैश्विक सोर्सिंग बाजार की अगुवाई करना जारी रखे हुए है।
भारतीय आईटी– आईटीईएस उद्योग भारत के आर्थिक विकास के सबसे गतिशील क्षेत्रों में से एक के तौर पर उभरकर सामने आया है और विश्व में भारत को 'नरमशक्ति' (सॉफ्ट पावर) के रूप में मान्यता दिलवाने के लिए जिम्मेदार है। भारतीय अर्थव्यवस्था में तेजी लाने के अलावा, आईटी– आईटीईएस उद्योग ने विभिन्न सामाजिक– आर्थिक पैमानों जैसे रोजगार, रहन–सहन के मानक और विविधता, में अपने लोगों के जीवन को सक्रिए, प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष योगदान के जरिए प्रभावित किया है।
इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी विभाग आईटी एवं आईटी– सक्षम सेवाओं में भारत की अगुवाई की स्थिति के लिए रणनीतिक गतिविधियों में समन्वय, कौशल विकास कार्यक्रमों को प्रोत्साहित करने, संरचनात्मक क्षमताओं को बढ़ाने और अनुसंधान एवं विकास में समर्थन कर रहा है।