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समक्ष अधिकारी

करें-

  • पहचान/ जिरह के दौरान किसी भी अनुचित व्यवहार से गवाह की रक्षा करें।
  • उद्देश्यपूर्ण नियमित सुनवाई के लिए चरणबद्ध योजना बनाएं।
  • जांच के दौरान जो पहले से पेश न किया गया हो ऐसे सभी गवाहों के बयान इकट्ठा करें।
  • किसी भी लेन-देन के संबंध में सबूत का बारीकी से अध्ययन करें, सभी आरोपी अधिकारीयों और उनके आचरण को प्रभावित करने वाले कदाचार का अध्ययन करें।
  • आरोपी अधिकारी के संभावित रक्षा और विधिवत पूर्ववृत्त के साथ गवाह को जिरह के लिए तैयार रखें।
  • यह सुनिश्चित करें की गवाह प्रश्न समझता है या नहीं। और वह जो उत्तर देता है उसका स्थानीय भाषा अंग्रेजी / हिंदी में ठीक से अनुवाद किया जा रहा है नहीं।
  • सच को बाहर निकालने के लिए गवाह से सवाल पुछते समय अपनी शक्तियों का प्रयोग विवेकपूर्ण तरीके से करें। जिससे जांच अधिकारी पूरे मामले पर निष्पक्ष और स्पष्ट निर्णय दे सके।

न करें-

  • भर्ती प्रक्रिया पर सवाल न करें।
  • पहचान के समय गवाह से प्रमुख सवालों को पुछनें की अनुमति न दें। गवाह से 'प्रमुख सवाल' जिरह के समय ही पुछा जाना चाहिए।
  • स्थगन करने की कोशिश मत करें। जांच में देरी, अर्ध-न्यायिक प्रक्रिया में बाधा डालने और स्थगन करने के लिए प्रयास न करें।
  • व्याख्यात्मक दस्तावेजों पर यांत्रिक या नियमित ढंग से सवाल पूछें उन्हें स्वीकृत या पर्याप्त रूप से सिद्ध तथ्य को दोहराने वाले सवाल मत करें।
  • जांच कार्यवाही औऱ जिरह के दौरान सभी महत्वपूर्ण बिंदुओं पर नोट लिखना याद रखे। यह जांच के अंत में निर्णय देनें में मदद करता है।

करें-

  • प्रारंभिक सुनवाई (पीएच) में गवाह और अन्य दस्तावेजों की प्रतियां आपूर्ति के लिए तैयार रखें। अगर यह पहले से किया गया है तो आरोपी अधिकारी जिरह कर सकता हैं।
  • नियमित सुनवाई (आरएच) के लिए आवश्यक सबूत और गवाहों को इकट्ठा करने के लिए तैयार रहें।
  • सभी गवाहों की विभागीय जांच के शीघ्र निपटान के लिए दिन के आधार सुनवाई के लिए उपस्थिति सुनिश्चित करें।
  • विभागीय जांच से पहले गवाहों की जांच करें, जांच के समय दर्ज किये गए उनके बयान उनकी स्मृति को ताज़ा करने के लिए वांछनीय होगें। क्योंकि मौखिक या दस्तावेजी सबूत को गलत साबित किया जा सकता है। अधिकारी भी स्वीकार करते हैं की ऐसी संभावना है। 

न करें-

  • गवाह के आचरण का निरीक्षण करें और इसके बारे में एक नोट बनाना न भुलें।
  • सुनवाई पर उपस्थित होना न भुलें। अन्यथा, मामले में डिफ़ॉल्ट रूप से हानि हो सकती है।
  • गवाह को दुबारा पहचान के लिए न बुलाये, जब तक की यह बिल्कुल आवश्यक और न्याय के हित में न हो ऐसा न करें।

करें-

  • अभियोजन पक्ष का गवाह अपना रुख बदलता है, तो उसे डिफ़ॉल्ट गवाह घोषित करें और गवाह से जिरह की अनुमति के लिए अनुरोध करें।
  • याद रखें पहचान-इन-चीफ अभियोजन पक्ष के गवाहों की जाँच करें, जब वह आरोपी अधिकारी द्वारा जिरह करने के लिए उपलब्ध हो।
  • गवाहों के मामले में आरोपी अधिकारी के सहायक द्वारा जांच की जानी चाहिए।

न करें-

  • अपने आप को आम तौर पर प्राकृतिक न्याय, सबूत द्वारा पूरी तरह से मजबुत करना मत भुलें। उसके बाद ही जो आप करने जा रहें है उन्हें पूरा कर सकते हैं।

स्रोत:
सतर्कता विभाग
सेमीकंडक्टर कॉम्पलेक्स लिमिटेड
(भारत सरकार का उपक्रम)

फेज -3 ,एस.ए.एस. नगर 160059.
पंजाब (भारत)