प्रस्तावना
सरकार ने देश भर में राज्यव्यापी क्षेत्र नेटवर्कों (स्वान) की स्थापना के लिए 3,334 करोड़ रूपए के कुल परिव्यय से मार्च 2005 में एक योजना अनुमोदित की थी, जिसका विस्तार 5 वर्ष की अवधि के लिए 2005 करोड़ रूपए की अनुदान सहायता के तहत विभाग द्वारा किए जाने का प्रस्ताव है। इस योजना के अंतर्गत 2एमबीपीएवस प्रतिलिंक की न्यूनतम बैंडविड्थ क्षमता के साथ उर्ध्वाधर क्रमिक संरचना में सभी राज्य/संघ राज्य मुख्यालयों को ग्राम स्तर से लेकर जिला/ उप प्रभाग मुख्यालयों को जोड़ने के लिए स्वान की स्थापना हेतु राज्यों/संघ राज्यों को तकनीकी और वित्तीय सहायता प्रदान की जा रही है। सदुपयोग के आधार पर प्रत्येक राज्य/संघ राज्य एसएचक्यू और डीएचक्यू के बीच 34 एमबीपीएस और डीएचक्यू और बीएचक्यू के बीच 8 एमबीपीएस तक बैंडविड्थ बढ़ा सकते हैं। राष्ट्रीय ज्ञान नेटवर्क (एनकेएन) का इस्तेमाल करते हुए सभी स्वानों को एकीकृत करने के लिए कदम उठाए गए हैं। चार राज्यों अर्थात गुजरात, तमिलनाडु, कर्नाटक और आंध्रप्रदेश को एनकेएन का इस्तेमाल करते हुए एकीकृत कर दिया गया है।
स्वान की परिकल्पना पूरे राज्य/संघ राज्य में डेटा, वॉइस और वीडियो संचार के लिए एक समाहारी बैकबोन नेटवर्क के रूप में की गई है, जिसकी विशेषताएं निम्नानुसार हैं:
- प्रत्येक राज्य/जिला/ब्लॉक मुख्यालय में एक पीओपी ।
- प्रत्येक पीओपी में उर्ध्वाधर और क्षैतिक संपर्क समर्थ बनाने के लिए संरूपण योग्य एकीकरण उपस्कर उपलब्ध हैं।
- अंतर्राज्य कनेक्टिवटी के लिए निकनेट (राष्ट्रीय बैकबोन) का गेटवे।
- राज्य/एनआईसी को बीएसएनएल बीडब्ल्यू लागत के लिए छूट प्राप्त मूल्य की सुविधा मिलेगी (समझौता ज्ञापन हस्ताक्षरित)।
कार्यान्वयन मॉडल
स्वान के कार्यान्वयन के लिए दो विकल्प हैं जो नीचे दर्शाए गए हैं:
विकल्प 1 – सार्वजनिक निजी भागीदारी (पीपीपी) मॉडल राज्य एक उपयुक्त पीपीपी मॉडल (बीओओ, बीओओटी आदि) की पहचान करता है और नेटवर्क की स्थापना प्रचालन तथा रख-रखाव के लिए आउटसोर्सिंग हेतु उपयुक्त प्रतिस्पर्धी बोली प्रक्रिया के जरिए एक उचित एजेंसी का चयन करता है।
विकल्प II – एनआईसी मॉडल राज्य नेटवर्क की स्थापना, प्रचालन और नेटवर्क के रख-रखाव के लिए स्वान हेतु एक प्रमुख कार्यान्वयन एजेंसी के रूप में एनआईसी (राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र) को पदनामित करता है।
वर्तमान स्थिति
स्वान 28 राज्यों/संघ शास्ति राज्यों जैसे आंध्र प्रदेश, चंडीगढ़, छत्तीसगढ़, दिल्ली, गुजरात, हरियाण, हिमालचल प्रदेश, झारखंड, केरल, कर्नाटक, लक्षद्वीप, महारराष्ट्र, उड़ीसा, पंजाब, पांडिचेरी, सिक्किम, तमिलनाडु, त्रिपुरा, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, असम, बिहार, मध्य प्रदेश, उत्तराखंड, मणिपुर, अरुणाचल प्रदेश, मेघालय और मिजोरम में प्रचालनरत है।
- नागालैंड राज्य में स्वान का कार्यान्वयन उन्नत चरण पर है। राजस्थान में नेटवर्क प्रचालक की पहचान कर ली गई है और कार्यान्वयन जारी है।
- जम्मू और कश्मीर में कार्यान्वयन के लिए नेटवर्क प्रचालक की पहचान हेतु बोली प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।
- दादर और नागर हवेली, दमन और दीव तथा अंडमान और निकोबार में आरएफपी/बीओएम अंतिम चरण पर हैं।
- यह उम्मीद है कि सभी राज्यों में सितंबर 2012 तक स्वान प्रचालित हो जाएंगे।
निम्नलिखित से देश भर में स्वान के कार्यान्वयन की वर्तमान स्थिति की झलक देखी जा सकती है :
तृतीय पक्षकार द्वारा लेखापरीक्षा
स्वान के निष्पादन की निगरानी हेतु, विभाग ने राज्यों/ संघ राज्यों द्वारा तृतीय पक्षकार लेखापरीक्षक (टीपीए) एजेंसियों की नियुक्ति अनिवरार्य कर दी है। आज की स्थिति के अनुसार 23 राज्यों जैसे हिमाचल प्रदेश, पंजाब, गुजरात, कर्नाटक, केरल, त्रिपुरा, उड़ीसा, महाराष्ट्र, अरूणाचल प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ, असम, तमिलनाडु, झारखंड, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, लक्षद्वीप, आंध्र प्रदेश, मेघालय, नागालैंड और मिजोरम में स्वान के निष्पादन की निगरानी के लिए टीपीए एजेंसियों का पैनल बना दिया गया है। शेष राज्य/संघ राज्य टीपीए का पैनल बनाने के लिए आवश्यक कार्रवाई कर रहे हैं।
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