भारत जैसे बहुभाषी देश में अधिक से अधिक लोगों को उनकी अपनी भाषा में सूचना और सेवाओं के लिए सार्वभौमिक पहुँच उपलब्ध कराना अंतर्निहित प्राथमिक चिंता और चुनौतीपूर्ण विषय है । चूंकि दुनिया भर में प्रौद्योगिकी क्रांति सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (आईसीटी) के आसपास केंद्रित है, अंत: मानव भाषा प्रौद्योगिकी (एचएलटी) के क्षेत्र में उन्नति से लोगों के लिए यह सुविधाजनक हो गया है कि वे मशीनों के साथ बातचीत कर सकते हैं। भारत में, बहुभाषी वेब सामग्री त्वरित विकास के लिए तैयार है और इसलिए, वहाँ उपयोगकर्ता के अनुकूल और लागत प्रभावी उपकरण, अनुप्रयोगों और ऐसी सूचना सामग्री प्रदान करना एक बड़ी चुनौती है, जो विभिन्न भारतीय भाषाओं में आईसीटी बुनियादी अवसंरचना के लिए पहुँच सक्षम बनाते हैं । भारतीय भाषा प्रौद्योगिकी में प्रगति में एक अशिक्षित भूमि जोतकर्ता से लेकर विभिन्न पृष्ठभूमि वाले लोगों की एक विस्तृत श्रृंखला को लाभान्वित करने की शक्ति है जो स्थानीय भाषा में अपनी छोटी भूमि के प्रासंगिक भूमि रिकॉर्ड जानना चाहते हैं और निरक्षर रोगी भी अपनी संबंधित भाषाओं में डॉक्टर से बातचीत कर सकते हैं।
इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी विभाग में एक महत्वाकांक्षी कार्यक्रम (भारतीय भाषाओं के लिए प्रौद्योगिकी विकास) चल रहा है, जिसका उद्देश्य भाषा बाधा के बिना मानव-मशीन संपर्क की सुविधा के लिए सूचना संसाधन उपकरण और प्रौद्योगिकी का विकास; बहुभाषी ज्ञान संसाधनों का सृजन और मूल्यांकन और अभिनव उपयोगकर्ता उत्पादों और सेवाओं को विकसित करने के लिए उन्हें एकीकृत करना है। प्राथमिक उद्देश्यों में सभी 22 आधिकारिक तौर पर मान्यता प्राप्त भारतीय भाषाओं के लिए सॉफ्टवेयर उपकरण और अनुप्रयोग विकसित करना, भविष्य की प्रौद्योगिकियों के सहयोगी विकास में योगदान करना जिसके परिणामस्वरूप अभिनव उत्पाद और सेवाएं उत्पन्न होंगी, भाषा प्रौद्योगिकी उत्पादों के प्रसार हेतु एक उत्प्रेरक के रूप में कार्य करना और सभी स्तरों पर समाधान और मानकीकरण सेवाएं उपलब्ध कराना है ।
राष्ट्रीय भाषा अनुवाद मिशनः भाषिणी
माननीय वित्त मंत्री द्वारा बजट 2021 में राष्ट्रीय भाषा अनुवाद मिशन (एनएलटीएम) की भी घोषणा की गई है, जिसे ‘भाषिणी’ के रूप में भी जाना जाता है और यह मार्च 2022 में तीन वर्षीय मिशन के रूप में शुरू किया गया है, जिसका उद्देश्य भाषा की बाधाओं को पार करने के उद्देश्य से योगदानकर्ताओं, साझेदार संस्थाओं और नागरिकों का एक विविध पारिस्थितिकी तंत्र बनाने के लिए प्राकृतिक भाषा प्रौद्योगिकियों का उपयोग करना है, जिससे आत्मनिर्भर भारत में डिजिटल समावेश और डिजिटल सशक्तिकरण सुनिश्चित किया जा सके। मिशन भाषिणी का उद्देश्य सभी भारतीयों को उनकी अपनी भाषाओं में इंटरनेट और डिजिटल सेवाओं तक आसान पहुंच प्रदान करना और भारतीय भाषाओं में सामग्री को बढ़ाना है।
इस उद्देश्य के लिए, मिशन का उद्देश्य आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) और नेचुरल लैंग्वेज प्रोसेसिंग (एनएलपी) का उपयोग करते हुए विभिन्न भारतीय भाषाओं और अंग्रेजी के बीच अनुवाद की सुविधा के लिए एक आसान और उत्तरदायी पारिस्थितिकी तंत्र को सक्षम बनाने के लिए एक सार्वजनिक डिजिटल प्लेटफॉर्म विकसित करना है। मशीन सहायता प्राप्त अनुवाद (एमएटी), आटोमेटिक स्पीच रिकग्निशन (एएसआर), टेक्स्ट टू स्पीच सिस्टम (टीटीएस), ऑप्टिकल कैरेक्टर रिकॉग्निशन (ओसीआर), स्पीच टू स्पीच ट्रांसलेशन (एस2एस) और भारतीय भाषाओं में आईटी टूल्स और समाधानों को अपनाने जैसी प्रमुख भाषा प्रौद्योगिकियों के निर्माण के लिए कुछ प्रमुख पहल की जा रही हैं।
उपर्युक्त उद्देश्य के अनुरूप, भारतीय भाषा प्रौद्योगिकियों पर उक्त सार्वजनिक डिजिटल प्लेटफॉर्म अर्थात भाषिणी को माननीय प्रधानमंत्री द्वारा हाल ही में दिनांक 4.7.2022 को 'डिजिटल इंडिया भाषिणी' के रूप में मिशन के शुभारंभ के बाद, https://bhashini.gov.in पर लाइव किया गया है।
फोटो 1: 4 जुलाई, 2022 को गुजरात के गांधीनगर में डिजिटल इंडिया सप्ताह के दौरान माननीय प्रधानमंत्री एवं माननीय मुख्यमंत्री, गुजरात और माननीय इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री द्वारा डिजिटल इंडिया भाषिणी मिशन का शुभारंभ
मिशन भाषिणी भारतीय भाषा प्रौद्योगिकियों के विकास की दिशा में सरकार, शिक्षाविदों और स्टार्टअप्स द्वारा किए जा रहे विभिन्न प्रयासों को एक साथ लाने और भारतीय भाषाओं के लिए एक एकीकृत भाषा इंटरफेस (यूएलआई) के रूप में विकसित करने के लिए एक भारतीय भाषा प्रौद्योगिकी पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करेगा।