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प्रोद्योगिकी विकास योजना

अभिसरण संचार एवं ब्राडबैन्‍ड प्राद्योगिकी(सीसीबीटी)का क्षेत्र तेजी से उभर रहा है जिसके परिणामस्‍वरूप व्‍यवसाय के विस्‍तृत अवसर पैदा हो रहे है । आईसीटी क्षेत्र में बहुदेशीय कम्‍पनियों(एमएनसी )ने भारी निवेश के साथ भारत में अपने अनुसंधान एवं विकास केन्‍द्र स्‍थापित किये हैं । ये केन्‍द्र भारत में उपलब्‍ध अनुसंधान एवं विकास क्षेत्र की  भारी नशक्‍ितों ी जनशक्‍ति का उपयोग कर  प्राद्योगिकी एवं उतपाद विकास  को अद्यतन करने में ध्‍यान केन्‍द्रितकर रही हैं । इस प्रतियोगात्‍मक परिदृश्‍य में स्‍वदेशी अनुसंधान एवं विकास, योग्‍य जनसमूह तैयार करना तथा मजबूत अबसंरचना  की  विकासशील संपीडित प्राद्योगिकी योजना तैयार करना सबसे अधिक महत्‍वपूर्ण है । अगले पॉंच वर्ष असंख्‍य सेवाओं एवं एपलीकेशन  वाली गहन ब्राडबैन्‍ड अबसंरचना के साक्षी होंगे । इसके कलपुर्जे सभी जगह विकसित होंगे जो ब्राडबैन्‍ड एक्‍सेसनेटवर्क,मोबाइल एवं वायरलेस नेटवर्क, ब्राडबैन्‍ड ट्रान्‍सपोर्ट नेटवर्क,सीपीई तथा टर्मिनल प्रबंधन तथा सेवाएं नेटवर्क मल्‍टीमीडिया एवं संतुष्‍ट एवं सुरक्षा के नाम से विकसित होंगे । इस तथ्‍य को ध्‍यान में रखते हुए  कि  70 प्रतिशत जनता गाँव एवं दूरदराज के इलाकों में रहती है प्राद्योगिकी एवं उत्‍पाद  के लक्ष्‍य मुख्‍यतया इन्‍हीं को प्राथमिकता देते हुए निर्धारित किये जाते हैं   कार्य समूह आधारभूत अनुसंधान एवं क्षमता/योग्‍यता तैयार करने वाले क्षेत्र के लिए 40प्रतिशत तथा  व्‍यवहारिक अनुसंधान (लघु एवं दीघॅ अवधि दोनों ) हेतु 60प्रतिशत अनुदान स्‍वरूप उद्योग की अहम भूमिका के लिए देने की सिफारिश कर चुके हैं । प्रोजेक्‍ट  के रूप में शामिल की गईं कुछ गतितविधियॉं निम्‍नवत हैं :

  • प्रोजेक्‍ट के विकास की अवधारणा के सबूत की संस्‍थापना के  उद्देश्‍य से । उद्योग द्वारा प्राद्योगिकी के  व्‍यवसायीकरण  किये  जाने   पर अनुसंधान ।
  • चिन्‍हित क्षेत्रों जैसे वायरलेस स्‍पकेट्रम, पावरलाइन पर ब्राडबैन्‍ड  आदि पर सरकार  द्वारा बनाई गई नीतियों की मदद हेतु अध्‍ययन प्रोजेक्‍ट
  • प्रोजेक्‍ट के विकास के उद्देश्‍य से सीमित व्‍यवहारिक जॉंच कर प्रतिमान तैयार करना
  • लघु प्रणाली का विकास जो बडी. प्रणाली के एक भाग को निश्‍चित   अथवा पूर्ण समाधान हो

सहयोगी अनुसंधान

सामूहिक निधि शक्‍ति के लाभ के कवच  के लिए पूर्व प्रतियोगात्‍म सहयोगी अनुसंधान के क्षेत्र जैसे सिस्‍टम व्‍यूय, आधारभूत प्राद्योगिकी    सेवा प्राद्योगिकी, उप प्रणालियॉं तथा व्‍यापक सुरक्षाआवश्‍यक हैं ।   दबाव वाले चिन्‍हित क्षेत्र में अनुसंधान एवं विकास का उद्देश्‍य निम्‍न खण्‍ड को  बढावा देना होगा ।

नेटवर्किंग डिजाइन एवं इसके घटक

अनुसंधान में संरचनात्‍मक ढॉंचा, संसाधन, निवेश एवं उच्‍च नेटवर्क  हेतु  कार्यनिष्‍पादन तकनीक,लचीलापन,एवं स्‍पेक्‍ट्रम का सर्वोत्‍तम प्रयोग, सेवाओं का तेज विकास का अधिकतम उपयोग शामिल किया जाना चाहिए ।  पॉंचवी पंचवर्षी योजना के दौरान एवं उसके आगे भी दरार रहित कार्यविधि तथा सर्वव्‍यापी वायरलेस सम्‍पर्क, 3 जी वायरलेस के आगे वातावरण तैयार करना तथा ब्राडबैन्‍ड हेतु नए प्रयास  मुख्‍य रूप से वह क्षेत्र हैं  जहॉं अधिक अनुसंधान पर जोर दिये जाने की आवश्‍यकता है  ।       ऐसी सेवाएं,  दक्षताओं के निर्माण एवं सीढीनुमा क्षमताओं के सम्‍दर्भ में आधारभूत पैकेट प्राद्योगिकी आकडों के आदान- प्रदान में उपयोग की जाएंगी । विभिन्‍न  स्‍तरों पर अन्‍तर प्रचालन से सम्‍बन्‍धित मद, सेवा की गुणवत्‍ता , लागत  प्रभावी भविष्‍य, नए नेटवर्क हेतु स्‍थानान्‍तरित व्‍यूह रचना युक्‍त , क्षमतायुक्‍त तथा इन्‍टीग्रेटेड  डिवाइज का आसान प्रचालन के लिए निरन्‍तर ध्‍यान केन्‍द्रित करने तथा सहयोगी प्रयास करने की आवश्‍यकता होगी । आने वाले वर्षों में विशाल जन क्षेत्र नेटवर्क से प्रथक , लचीली यान्‍त्रिकीय स्‍थान विज्ञान हेतु स्‍वयं समरूप अंत:स्‍थापित नेटवर्क की छोटी –छोटी डिवाइज चलन में होंगी । उपक्रम नेटवर्क  से व्‍यवसाय में व्रद्वि , एवं बहुउद्येशीय  बाजार के कारण उच्‍च विशिष्‍टताएं धारण करने की आशा की जाती है । इन एप्‍लीकेशनों का विकास स्‍वदेशी निर्माणकर्ताओं को व्‍यापक बाजार उपलब्‍ध करा सकता है  ।

डिवाइज तथा अन्‍य कलपुर्जे

इस खण्‍ड के अनुसंधान एवं विकास के कुछ चुनौतीपूर्ण क्षेत्र अत्‍यधिक कम कीमत के हैन्‍डसेट , ग्रामीण क्षेत्रों के कम कीमतिका संरचनात्‍मक ढॉंचा , स्‍मार्ट डिवाइजेस , आरएफआई डीएस, 4 जी वायरलेस तकनीक तथा सेन्‍सर नेटवर्क हैं । इसके अलावा आडियो तथा इमेज कोडिंग एप्‍लीकेशन, आटोमेटेड ट्रान्‍जेक्‍शन तथा डेटा माइनिंग टाइम एप्‍लीकेशन, आई पी पर वीडियो भी ध्‍यान खीचता है ।

स्‍मार्ट डिवाइज की भावी जेनेरेशन निम्‍नलिखित आश्‍यर्चजनक विशेषताओं के रूप में आने की संभावना है संज्ञान लेने की विशिष्‍ट  प्रासंगिकता समर्थ  शक्‍ति (आवाज की पहचान,छाया पहचान, भव – भंगिमा पहचान )मीडिया इन्‍डीपेन्‍डेट हैन्‍छओवर के साथ बहु नेटवर्क सम्‍पर्क , अंग्रेजी न बोलने का विकल्‍प / अनपढ उपयोगकर्ता , स्‍मार्ट उर्जा विकल्‍प के रूप में उपलब्‍ध कराने की आवश्‍यकता होगी । प्रकाशीय फाइबर क्षेत्रमें ,विशिष्‍ट एवं निष्‍क्रिय सभी प्रकाशीय नेटवर्क तत्‍व , उद्योग एवं शैक्षिक अनुसंधान संस्‍थान के मुक्ष्‍य घ्‍यानाकर्षण के केन्‍द्र होंगे ।                                                                                                                                         

एप्‍लीकेशन एवं सार

वर्तमान की मात्र डिवाइज या एप्‍लीकेशन केन्‍द्रित डिवाइज की तुलना में भविष्‍य की स्‍मार्ट डिवाइज अधिक डेटा सार एकत्रित करने वाली हो सकती है । रूचिकर बात यह है कि उपयोगकर्ता पुरूष /स्‍त्री सार में रूचि रखता है  न कि डिवाइज में । अत: यदि डिवाइज अनुमति देती है या बिना रूकावट मीडिया इन्‍डीपेन्‍डेंट हैन्‍डओवर करने के लिए  अन्‍तर सहयोग की अनुमति से सार सुलभ कराती है अथवा  स्‍पष्‍ट संयोजन से  सार सर्वर  उपलब्‍ध  होता है तो उपयोगकर्ता को अधिक स्‍वीकार होगा।

बिना संदेह के एक किलर एप्‍प की कीमत सोने की है एक किलर एप्‍लीकेशन एक गंभीर यूएसपी उपलब्‍ध कराता है । लेकिन  भविष्‍य की स्‍मार्ट डिवाइज के मामले में यह असामान्‍य होगा कि केवल एक मात्र किलर एप्‍लीकेशन, भविष्‍य की तरफ फेंक देने के बजाए, इसकी ठोस संभावना है कि एप्‍लीकेशन के लिए एक सहयोगात्‍मक प्रयास कर  इसको उँचाई तक ले जाया जाए । यह भविष्‍य की एपलीकेशन सहक्रियाशीलता से लाभान्‍वित होंगी तथा अधिक अनुरूप एवं सारयुक्‍त होंगी, जिससे या तो डिजाइन द्वारा अथवा सेवा खोज द्वारा  निष्‍कर्ष तक पहुँचेगे । वह प्रौद्योगिकी जो संरचनात्‍मक ढॉंचा  के लिए गैर परम्‍परागत ऊर्जा के उपयोग के प्रति बचनबद्व है, पर्यावरण सहयोगी संरचनात्‍मक ढॉंचा, डिवाइज एवं अन्‍य उपकरणों के ऊर्जा खर्च को कम करने, संसाधनों के लचीले उपयोग तथा प्रचालन आवश्‍यकताओं को कम कर रही हैं वह एक स्‍वस्‍थ, उपयोगकर्ता की यूजर फ्रेन्‍डली अभिसरण  प्रौद्योगिकी  की उन्‍नति  में वास्‍तविक सहायक होगी ।