Left Navigation

जनता की राय

ई-प्रमाण : ई-अधिप्रमाणन के लिए फ्रेमवर्क के मानक और विनिर्देश [PDF]1.11 MB

इस दस्‍तावेज में ई-प्रमाण:अधिप्रमाणन प्रणाली के विकास हेतु व्‍यापक स्‍तर पर विनिर्देशों की व्‍याख्‍या की गई है। यह पाठकों को इस परियेाजना के औचित्‍य, प्रयोग संबंधी पहलुओं और प्रक्रिया प्रवाह को समझने में समर्थ बनाएगा, जिनका इस्‍तेमाल विस्‍तृत डिजाइन के लिए किया जाएगा। इसमें उन मानकों का भी जिक्र किया गया है, जिनका इस्‍तेमाल संघटकों, एपीआई के साथ-साथ इस ढांचे के लिए प्रोटोकॉल के विकास में किया जाएगा। निकायों के बीच संचार प्रोटोकॉल के विवरण और कार्यान्‍वयन इस दस्‍तावेज का भाग नहीं है।

फीडबैक के लिए अंतिम तारीख: 13 अक्‍टूबर 2014.

फीडबैक egov[dot]standards[at]nic[dot]in पर भेजी जाये।


सीआरओ के अंतर्गत आइटमों की सूची में विस्‍तार के लिए मसौदा गजट अधिसूचना [PDF]324.18 KB

पणधारकों के साथ विभिन्‍न अंतरर्मंत्रालयी परामर्श के आधार पर यह प्रस्‍ताव किया जाता है कि '' इलेक्‍ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी माल (अनिवार्य पंजीयन की आवश्‍यकता) आदेश 2012’’ के अंतर्गत उत्‍पादों की सूची का विस्‍तार किया जाए। उपर्युकत आदेश की अनुसूची में जोड़े जाने वाले प्रस्‍तावित उत्‍पादों की सूची मसौदा गजट अधिसूचना के रूप में नीचे दी गई है। टिप्‍पणियां/इनपुट, यदि कोई हैं, तो कृपया 08/09/2014 तक asachdeva[at]deity[dot]gov[dot]in/anangia[at]deity[dot]gov[dot]in  पर भेज दें।


भारतीय भाषाओं में मोबाइल वेव अनुप्रयोगों के स्‍थानीयकरण के लिए सर्वोत्‍तम पद्धतियां[PDF]1.88 MB

इस दस्‍तावेज में मोबाइल फोनों पर अपने सॉफ्टवेयर उत्‍पादों और सेवाओं के स्‍थानीयकरण हेतु विकासकर्ताओं के लिए सहायक विभिन्‍न दिशानिर्देशों पर चर्चा की गई है। यह दस्‍तावेज विभिन्‍न पहलों और मानकों के साथ मौजूदा प्रौद्योगिकियों के इस्‍तेमाल में सॉफ्टवेयर विकासकर्ताओं को लाभ पहुंचाएगा, जो उन्‍हें विभिन्‍न लिपियों और प्‍लेटफार्मों में निहित जटिलताओं को समझने में सहायता करेंगे। इसका दूसरा लाभ यह है कि इससे उत्‍पादों का बेहतर एकीकरण और अंतरप्रचालनीयता सुनिश्चित होगी। यह दस्‍तावेज स्‍थानीयकरण उद्योग में वर्तमान में इस्‍तेमाल किए जाने वाले कुछ राष्‍ट्रीय के साथ-साथ अंतर्राष्‍ट्रीय मानकों पर भी प्रकाश डालता है।  इस दस्‍तावेज में बहुत से महत्‍वपूर्ण विषयों जैसे- इनपुटिंग, स्‍टोरेज और भारतीय भाषाओं में डेटा की रेंडरिंग, लिगेसी डेटा से युनिकोड में परिवर्तन, सामान्‍य लोकल डेटा रिपोजीटरी (सीएलडीआर) का इस्‍तेमाल, विभिन्‍न प्‍लेटफार्मों पर उचित प्रतिनिधित्‍व के लिए कैरेक्‍टर एनकोडिंग, युनिकोड, उर्दू जैसी दाईं से बाईं ओर लिखी जाने वाली लिपियों के दिशा संबंधी मुद्दों और भारतीय भाषाओं के संदर्भ में कैसकेडिंग स्‍टाइल शीट (सीएसएस) की समस्‍या पर  चर्चा की गई है।

भारतीय भाषाओं के संदर्भ में एक ओपन सोर्स पहल के रूप में टर्म कंसिस्‍टेंसी के लिए फ्रिक्‍वेंटली यूज्‍ड एंट्रीज फॉर लोकलाइजेशन (एफयूईएल) घोषित की गई है। दस्‍तावेज के अंत में विभिन्‍न आइएसओ 639 भाषाकोड दिए गए हैं। हालांकि कुछ दिशानिर्देश प्राकृतिक रूप से जेनरिक हैं और हो सकता है कि मोबाइल प्‍लेटफार्म के लिए वे लागू हों अथवा न हों।

फीडबैक के लिए अंतिम तारीख: 30 सितंबर 2014.

फीडबैक egov[dot]standards[at]nic[dot]in पर भेजी जाये।


मोबाइल उपकरणों के जरिए सार्वजनिक सेवाओं के प्रावधान हेतु प्रदायगी चैनलों के लिए  दिशानिर्देश[PDF]1.36 MB

इस दस्‍तावेज का उद्देश्‍य निम्‍नलिखित उपलब्‍ध कराना है:

  • मोबाइल गवर्नेंस का इस्‍तेमाल करते हुए प्रयोक्‍ताओं को 24 घंटे सार्वजनिक सेवाएं प्रदान करने के लिए दिशानिर्देश
  • मानक आधारित मोबाइल समाधान विकसित करने के लिए दिशानिर्देश
  • मोबाइल अनुप्रयोगों को सामान्‍य ई-शासन अवसंरचना के साथ एकीकृत करने के लिए दिशानिर्देश

फीडबैक के लिए अंतिम तारीख: 30 सितंबर 2014.

फीडबैक egov[dot]standards[at]nic[dot]in पर भेजी जाये।


‘र्इ-क्रांति’ पर मसौदा विस्‍तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर)[PDF]3.32 MB

देश भर में ई-शासन प्रयासों को अप स्‍केल और सुदृढ़ करने के प्रयोजन से डीईआईटीवाई द्वारा ‘ई-क्रांति’ शीर्षक के अंतर्गत राष्‍ट्रीय ई-शासन योजना 2.0 तैयार की गई है। इसके अंतर्गत शासन व्‍यवस्‍था में परिवर्तन के लिए ई-शासन का कायाकल्‍प करने पर जोर दिया गया है। ई-क्रांति तैयार करने का औचित्‍य निम्‍नानुसार है

  • शामिल न किए गए क्षेत्रों से नई एमएमपी जैसे सामाजिक क्षेत्र की योजनाएं, विधायिका, महिला एवं बाल विकास, वित्‍तीय समावेशन आदि जोड़कर मिशन मोड परियोजनाओं के मौजूदा पोर्टफोलियो का विस्‍तार करना;
  • उभरती हुई प्रौद्योगिकियों जैसे क्‍लाउड और मोबाइल का भरपूर इस्‍तेमाल;
  • एकीकृत सेवाएं प्रदान करना;
  • अनुप्रयोगों के बीच अंतर प्रचालनीयता सुनिश्चित करने के लिए ई-शासन मानकों को अपनाना और
  • विभिन्‍न महत्‍वपूर्ण आईसीटी अवसंरचना घटकों जैसे  स्‍वान, एनकेएन, एनओएफएम और मेघराज (जीआई क्‍लाउड) का अधिकतम, दक्ष और मांग पर अवसंरचना प्रावधान के साथ सामंजस्‍य स्‍थापित करना।

ई-क्रांति के मूलभूत बिल्डिंग ब्‍लॉक निम्‍नानुसार हैं:

  • महत्‍वपूर्ण सिद्धांत‘कायाकल्‍प न कि परिवर्तन, ‘एकीकृत सेवाएं न कि व्‍यक्तिगत सेवाएं’, ‘प्रत्‍येक एमएमपी में जीपीआर की अनिवार्यता’, ‘क्‍लाउड बाई डिफाल्‍ट’, ‘मोबाइल प्रथम’, ‘त्‍वरित अनुमोदन’, ‘मानक और प्रोटोकॉल अनिवार्य करना’।
  • संस्‍थान और उपकरण : ‘राष्‍ट्रीय ई-शासन अकादमी की स्‍थापना’, ‘ई-शासन ज्ञान पोर्टल का सृजन’, ‘ई-शासन प्रभाव सूचकांक’ का सृजन और ‘सोशल मीडिया का प्रभावी इस्‍तेमाल’ 
  • कार्यान्‍वयन और प्रदायगी मॉडल: ‘प्रदायगी चैनलों का कायाकल्‍प’, ‘जागरूकता और संचार’, ‘नए व्‍यापार मॉडलों का शुभारंभ’ और ‘ई-शासन समाधानों/अनुप्रयोगों के निर्यात और अंतर्राष्‍ट्रीय सहयोग पर जोर’।

ई-क्रांति की पहल और महत्‍वपूर्ण संघटको के विवरणों सहित एक मसौदा डीपीआर तैयार की गई है।

ई-क्रांति की उपर्युक्‍त डीपीआर पर टिप्‍पणियां और सुझाव अगले दो सप्‍ताह के भीतर अर्थात 15 अगस्‍त 2014 तक निम्‍नलिखित अधिकारी को भेजे जा सकते हैं:

श्री त्रिलोक चंद्र
निदेशक, डीईआईटीवाई

ई-मेल: trilok[dot]chandra[at]nic[dot]in

श्री विनय ठाकुर
निदेशक, राष्‍ट्रीय ई शासन प्रभाग
र्इ-मेल: vinay[at]gov[dot]in