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औद्योगिक और इलेक्‍ट्रॉनिकी अनुप्रयोग विभाग की परियोजनाएं

औद्योगिक अनुप्रयोगों के लिए अनुसंधान और विकास तथा औद्योगिक क्षेत्र की महत्‍वपूर्ण आवश्‍यकताओं को पूरा करने के लिए अपने प्रयास के तहत यह प्रभाग अनुसंधान/अकादमिक संस्‍थानों और उद्योगों में राष्‍ट्रीय स्‍तर की बहुत सी सहयोगात्‍मक परियोजनाओं के लिए सहायता प्रदान करता है। जारी और पूरी की गई कुछ परियोजनाओं के विवरण निम्‍नानुसार हैं:

एनएएमपीईटी

सी-डैक, तिरूवनंतपुरम में विद्युत इलेक्‍ट्रॉनिकी प्रौद्योगिकी पर राष्‍ट्रीय मिशन (एनएएमपीईटी)

(www.nampet.in)

एक मिशन कार्यक्रम के रूप में एनएएमपीईटी की शुरूआत नवंबर 2004 में की गई। यह डीईआईटीवाई द्वारा विद्युत इलेक्‍ट्रॉनिकी के क्षेत्र में शुरू किया गया पहला बड़ा प्रयास था। इसकी शुरूआत देश में स्‍वदेशी अनुसंधान एवं विकास विशेषज्ञता और अवसंरचना के विस्‍तार द्वारा विद्युत इलेक्‍ट्रॉनिकी प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अनुसंधान, विकास, परिनियोजन और इसके वाणिज्यिकरण के लिए की गई। एनएएमपीईटी चरण-I  कार्यक्रम के भाग के रूप में सी-डैक तिरूवनंतपुरम में विद्युत इलेक्‍ट्रॉनिकी अवसरंचना सुविधाओं की स्‍थापना एक नोडल केंद्र के रूप में की गई और विद्युत इलेक्‍ट्रॉनिकी के विभिन्‍न क्षेत्रों से संबंधित प्रयोगशालाएं 11 अग्रणी शैक्षणिक संस्‍थानों  में स्‍थापित की गईं। इनमें आईआईटी (बांबे, कानपुर, खड़गपुर, दिल्‍ली), आईआईएससी, बैंगलोर, अन्‍ना विश्‍वविद्यालय, चेन्‍नई, बीईएसयू कोलकाता, एनआईटी (तिरूचि, राउरकेला, कोट्टायम) और डीआईटी, रांची शामिल हैं। एनएएमपीईटी के अंतर्गत विकसित की गई उन्‍नत विद्युत इलेक्‍ट्रॉनिकी प्रौद्योगिकियां नीचे सूचीबद्ध की गई हैं

•  फुल स्‍पेक्‍ट्रम सिमुलेटर, विद्युत प्रणालियों में इस्‍तेमाल की जाने वाली जटिल प्रणालियों की डिजाइनिंग, प्रचालन और उन्‍हें समझने के लिए टूल।

•  मैट्रिक्‍स कंवर्टर- यह एसी-एसी कंवर्जन के लिए एक ''आल सिलिकॉन’’ समाधान है। 

• माइक्रो जेनरेटर के लिए युनिवर्सल फ्रंट इंड – माइक्रो जेनरेटर के साथ पावर आउटपुट को इस्‍तेमाल योग्‍य वोल्‍टेज और आवृत्ति में परिवर्तित करने के लिए

• आईजीबीटी गेट ड्राइवर्स – इलेक्ट्रिकल अथवा फाइबर ऑप्टिक इंटरफेस के साथ 1700 वोल्‍ट और 1200ए रेटिंग तक आईजीबीटी के लिए अत्‍यधिक वर्सेटाइल एकल चैनल/ड्युअल चैनल गेट ड्राइवर  

• हाल इफेक्‍ट आधारित करेंट सेंसर – औद्योगिक अनुप्रयोगों में डीसी/एसी करेंट मापन के लिए प्रयुक्‍त संघटक

 एनएएमपीईटी ने उद्योगों, अनुसंधान और विकास तथा शैक्षणिक संस्‍थानों के विद्युत इलेक्‍ट्रॉनिकी विशेषज्ञों के लिए संयुक्‍त रूप से विकासात्‍मक कार्यकलाप संचालित करने के लिए मिलकर आगे आने हेतु एक प्‍लेटफार्म के रूप में कार्य किया है। एनएएमपीईटी के अंतर्गत बहुत से जागरूकता पैदा करने वाले कार्यक्रम जैसे अल्‍पकालिक पाठ्यक्रम, राष्‍ट्रीय वार्षिक कार्यशालाएं और सेमिनार, सभी प्रतिभागी एजेंसियों के सहयोग से आयोजित किए गए हैं, जिसका देश में विद्युत इलेक्‍ट्रॉनिकी से जुड़े पेशेवरों और विद्यार्थियों को आकर्षित करने हेतु उल्‍लेखनीय प्रभाव पड़ा है।  इन कार्यकलापों से देश में विद्युत इलेक्‍ट्रॉनिकी प्रौद्योगिकी आधार और क्षमताओं के विस्‍तार में सहायता प्राप्‍त हुई है।  

प्रयोक्‍ता मंत्रालय जैसे भारतीय रेलवे तथा वि़द्युत मंत्रालय भी एनएएमपीईटी से जुड़ गए हैं और वाहन नियंत्रण युनिट, ट्रेन संचार नेटवर्क, ऑक्जिलरी कनवर्टर, आईटी पार्कों आदि में न्‍यूट्रल करेंट कंपेंशेसन के लिए स्‍टेटकॉम के विकास हेतु वित्‍तीय सहायता प्रदान की है।

टेक्‍नो पार्क त्रिवेंद्रम में कार्यान्वित की गई 2 X 500 KVA स्‍टेटकॉम परियोजना, जिसे संयुक्‍त रूप से वित्‍तीय सहायता प्रदान की गई है, का एक उदाहरण नीचे दर्शाया गया है।  :

Hall Effect based Current Sensors

एनएएमपीईटी का चरण 1 अगस्‍त 2010 में पूरा किया गया। अन्‍य मंत्रालयों द्वारा प्रायोजित परियोजनाएं जो एनएएमपीईटी कार्यक्रम की समाप्ति के पश्‍चात शुरू की गईं, को अगले चरण के कार्यकलापों के भाग के रूप में संचालित किया गया।

एएसटीईसी

सी-डैक, तिरूवनंतपुरम  में ऑटोमेशन प्रणाली प्रौद्योगिकी केंद्र (एएसटीईसी) ऑटोमेशन सिस्‍टम टेक्‍नोलॉजी सेंटर (एएसटीईसी) कार्यक्रम की शुरूआत डीआईटी द्वारा अप्रैल 2007 में की गई। इसका व्‍यापक विजन डिजाइन लेड ऑटोमेशन डेवलपमेंट के क्षेत्र में योगदान देतु हुए हार्डवेयर विकास पर विशेष रूप से ध्‍यान केंद्रित करते हुए ऑटोमेशन प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में तकनीकी कौशल सुदृढ़ करने हेतु ऑटोमेशन प्रौद्योगिकी में अनुसंधान और विकास करना है। कार्यक्रम का कार्यान्‍वयन नोडल एजेंसी के रूप में सी-डैक तिरूवनंतपुरम द्वारा सहयोगात्‍मक प्रयासों के जरिए किया जा रहा है। इसका उद्देश्‍य प्रक्रिया आटोमेशन के जरिए नवोद्भव विकास को बढ़ावा देना है। यह कार्यक्रम 31.03.2013 को सफलतापूर्वक पूरा किया गया। इस कार्यक्रम के अंतर्गत ऑटोमेशन अनुसंधान के चार स्‍तंभ अर्थात अवधारणा, नियंत्रण, अधिगम और प्रणालियों के क्षेत्र में प्रौद्योगिकी, विकास, अनुसंधान कार्यक्रम शुरू करने के लिए सी-डैक तिरूवनंतपुरम में एक इंबैडेड उत्‍कृष्‍टता केंद्र स्‍थापित किया गया है। नोडल केंद्र में आवश्‍यक अवसंरचना विकास का कार्य पूरा हो गया है। बहुत से बिल्डिंग ब्‍लॉक प्रौद्योगिकी/उत्‍पादों (इंबैडेड कंट्रोलर, एससीएडीए सॉफ्टवेयर, सेंसर नेटवर्क, एक्‍सपर्ट सिस्‍टम ड्रिवेन इंटेलिजेंट डिसिजन ’ प्रणाली, कलमैन फिल्‍टर बेस्‍ड प्रिडिक्टिव कंट्रोलर, इवोल्‍यूशनरी कंप्‍यूटेशन बेस्‍ड सॉफ्ट सेंसर, फ्यूजी लॉजिक प्रोसेस ऑप्टिमाइजेशन सिस्‍टम, डेटा फ्यूजन सिस्‍टम, विशेष प्रकार के सेंसर और मॉडल प्रेडिक्टिव कंट्रोलर) का स्‍वदेशी स्‍तर पर डिजाइन और विकास किया गया है तथा एएसटीईसी कार्यक्रम के अंतर्गत इनका क्षेत्रीय परीक्षण किया गया है।  इन प्रौद्योगिकियों का प्रदर्शन, तुतीकोरिन थर्मल पावर स्‍टेशन (210 मेगावाट प्‍लांट) और केरल जल प्राधिकर, अलूवा में जल उपचार प्‍लांट  प्रक्रिया स्‍वचालन, कंट्रोल एंड ऑप्टिमाइजेशन के लिए किया गया। स्‍वदेशी स्‍तर पर विकसित की गई ये स्‍वचालन प्रौद्योगिकियां विभिन्‍न प्रकार की औद्योगिक प्रक्रियाओं जैसे चीनी, सीमेंट, पेपर, वस्‍त्र आदि के लिए परिनियोजन की दृष्टि से उपयुक्‍त हैं।  कुछ उत्‍पाद, जो प्रौद्योगिकी हस्‍तांतरण के लिए उद्योगों को उपलब्‍ध हैं, के विवरण नीचे दिए गए हैं:

  • मल्‍टी लूप कंट्रोलर (इसमार्ट)- इंडस्ट्रियल सिस्‍टम मॉनिटरिंग ऑटोनोमस रिमोट टर्मिनल एक स्‍टैंड एलोन पावरफुल कंट्रोलर है जो एनालॉग और डिजिटल इनपुट एकत्र करने, उनके संसाधन और पारस्‍परिक रूप से 2/4 लूप में उनके नियंत्रण में सक्षम हैं। इसमें संचार तंत्र जैसे, आईईईई 802.11b (वाई-फाई), उच्‍च गति यूएसबी इंटरफेस, आईईईई 802.3.10/ 100 Mpbs इथरनेट इंटरफेस और कंफीगरेबल RS 232/ RS 485 से सुसज्जित है।

Multi Loop Controller (iSMART)

  • लो पावर कंट्रोलर (आईलॉक)- इंडस्ट्रियल लो पावर कंट्रोलर (आईलॉक) सौर ऊर्जा से चलने वाला एक  स्‍टैंड एलोन मॉड्यूल है जिसे किसी iP65 के इंक्‍लोजर के रूप में लगाया जाता है। आइलॉक किसी दूरस्‍थ स्‍थल की निगरानी को उस समय समर्थ बनाता है जब उस स्‍थान पर विद्युत संयंत्र चलाना अव्‍यवहार्य या अत्‍यधिक खर्चीला होता है। यह एनालॉग इनपुट, डिजीटल इनपुट, आउटपुट एकत्र करने और प्रोग्राम योगय स्‍कैन इंटर्वल में सक्षम हैं। लो पावर मोड में निहित आर्किटेक्‍चर और सहायक उपकरणों के लिए अलग स्विच वाले रेगुलेटर निर्बाध रूप से दूरस्‍थ अनुप्रयोगों के लिए बैटरी की कार्य क्षमता को बढ़ाया जा सकता है। यह वायरलेस संचार अंतरापृष्‍ठ जैसे आईईईई 802.15.4 (जिगबी), आईईईई 802.11b/g (वाई-फाई, पावर स्थितियों में ही) और कंफीगरेबल RS 232/ RS485 से सुसज्जित है। लो पावर कंट्रोलर में छोटी प्रचालन प्रणाली (ओएस) लगी होती है, जिसे नेटवर्किंग क्षमताओं और संसाधन बाधित उपकरणों के साथ लो पावर डिवाइस के लिए डिजाइन किया जाता है।

Low Power Controller (iLoC)

  • कॉमन कम्‍युनिकेशन गेटवे (आईगेट):  आईगेट एक औद्योगिक संचार गेटवे मॉड्यूल है, जो  विभिन्‍न ओपन औद्योगिक प्रोटोकॉल जैसे मोडबस, डीएनपी 3.0  और सी-डैक के स्‍वामित्‍व वाला डीएसीएस प्रोटोकॉल का रख-रखाव करता है। यह हार्डवेयर अंतरापृष्‍ठ जैसे  RS232/RS422/RS485, इथरानेट,यूएसबी, वाई-वाई और जिगबी के जरिए बाहरी दुनिया से संपर्क स्‍थापित करता है।  इसका उद्देश्‍य वर्तमान औद्योगिक व्‍यवस्‍था में अंतरप्रचालनीयता की कमी को दूर करता है। इसका डिजाइन एक ऐसे मिडिलवियर नोड के रूप में कार्य करने के लिए किया गया है, जो सीमा रहित प्रोटोकॉल कंवर्जन के साथ-साथ सभी अंतिम नोडों के बीच प्रबंधन की अनुमति प्रदान करता है और संचार के लिए विभिन्‍न भौतिक अंतरापृष्‍ठ और प्रोटोकॉल नियोजित करने की अनुमति देता है।

Common Communication Gatway (iGate)

  • वायरलेस सेंसर नोड्स (आईवाईज) : औद्योगिक वायरलेस सेंसर एक अल्‍ट्रा लो पावर वायरलेस सेंसर नोड है, जो किसी भी औद्योगिक सेंसर से सिगनल प्राप्‍त करने और संसाधित करने में सक्षम है और निगरानी तथा नियंत्रण के लिए आधार स्‍टेशन युनिट को वायरलेस तरीके से सूचना प्रेषित करता है।  आईवाइज औद्योगिक वातावरण में सेंसर से एनालॉग और डिजिटल सिगनल के रूप में क्षेत्रीय डेटा एकत्र करता है और ऑनबोर्ड 2,4 GHz आईईईई 802.15.4 लो पावर आरएफ ट्रांसरिसिवर के साथ बेस स्‍टेशन को इसे प्रसारित करता है। औद्योगिक वायरलेस सेंसर का उद्देश्‍य लेजर राइटिंग, परिनियोजन की सरलता, अधिक लचीलेपन, बेहतर संरक्षा और सुरक्षा तथा कम रख-रखाव लागत के कारण औद्योगिक ऑटोमेशन के क्षेत्र में वायरलेस उपकरणों के लिए बढ़ रही मांग को पूरा करना है। आईवाईज  में आईपी65 की इंग्रेस सुरक्षा का प्रावधान है, जो कठिन बाह्य वातावरण में प्रचालन को सुकर बनाती है। आईवाईज औद्योगिक वातावरण में  â€“40 to +85 की तापक्रम रेंज में भी उत्‍कृष्‍ट प्रचालन की सुविधा प्रदान करता है।

Wireless Sensor Nodes(iWiSe)

  • वायरलेस बेस स्‍टेशन (आईवेस):  इंडस्ट्रियल वायरलेस बेस स्‍टेशन  एक स्‍टैंड एलोन पैनेल माउंटेबल उपकरण है जो वायरलेस सेंसर नेटवर्क में सेंसर नोड से सेंसर वैल्‍यू का अधिग्रहण और  संसाधन  करता है तथा केंद्रीय निगरानी स्‍टेशन को सूचना का प्रसारण करता है। शक्तिशाली AT91SAM9XE512 ARM9 कंट्रोलर के चारों ओर निर्मित आईवेस  2.4 GHz IEE 802.12.4 आरएफ ट्रांसरिसिवर का इसतेमाल करते हुए वायरलेस नोड से रेडियो पैकेट एकत्र करता है और एससीएडीए नेटवर्क अथवा केंद्रीय निगरानी स्‍टेशन को इथरनेट इंटरफेस का इस्‍तेमाल करते हुए सूचना का प्रसारण करता है अथवा जीएसएम/जीपीआरएस इंटरफेस का इस्‍तेमाल करते हुए किस दूरस्‍थ निगरानी स्‍टेशन को सूचना प्रेषित करता है। आईवेस नेटवर्क में नोडों की समय आधारित सूचना और स्‍थाना उपलब्‍ध कराने के लिए किसी जीपीएस रिसिवर को भी जोड़ता है। आईवेस में आईपी65 की इंग्रेस सुरक्षा निहित है जो कठोर बाह्य वातावरण में प्रचालन को सुकर बनाता है। आईवेस  â€“40 to + 85  डिग्री सेंटीग्रेट की तापक्रम रेंज में प्रचालन के साथ औद्योगिक वातावरण में उत्‍कृष्‍ट प्रचालन की भी सुविधा प्रदान करता है।
  • कलर सेंसिंग सिस्टम (iCoSS): औद्योगिक रंग सेंसर सिस्टम एक हैंड हैल्ड स्टैंडअलोन इकाई है जो विभिन्न रंगों की पहचान करने और उनको मापने में सक्षम है। सेंसर प्रणाली का अलग सेंसर मॉड्यूल संलग्न कर चिंतनशील और अपवर्तक सामग्री के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। पारंपरिक रंग सेसर’s € œmatch//no-match†की उत्पादन स्थि‍ति के विपरीत, इस प्रणाली को परिष्कृत और स्थिर एल्गोरिदम के साथ बनाया गया है जो आरजीबी और सीआईई-एल *ए*बी* मूल्य के आउटपुट प्रदान करती है।

Colour Sensing System (iCoSS)

  • स्काडा/एचएमआई सॉफ्टवेयर (iROSE):   औद्योगिक रेंज का स्काडा सॉफ्टवेयरई, स्केलेबल, लचीला और विस्तार योग्य स्काडा सॉफ्टवेयर की जरूरत को पूरा करता है । यह एक मुक्त और मानकों पर आधारित स्काडा है जो आसान विन्यास और स्थापना क्षमता प्रदान करता है । iROSE निम्नलिखि‍त तीन संकुल का एक सूट है ::
    • iFACE (इंडस्ट्रि‍यल फ्लेग्जि‍बल ऑटोमेशन कंट्रोल इंजिन)

    • iDLog (इंडस्ट्रि‍यल डेटा लॉगर) और

    • IROC (इंडस्ट्रि‍यल रिमाट कंफिगरेशन) ।

      iface आसानी से उपयोग किए जा सकने वाला, पूर्ण विशेषताओं वाला वेब आधारित एचएमआई है जो इंट्रानेट पर पूरा नियंत्रण और दृश्य क्षमताओं को सक्षम बनाता है । iface किसी भी वेब ब्राउजर पर चलता है जो एडोब फ़्लैश प्लेयर v.10 का समर्थन करता है।

      iDLog पूर्व निर्धारित अंतराल पर वास्तविक समय टैग मूल्यों को लॉग करता है। 
      IROC iSMART और iCon, औद्योगिक नियंत्रकों का विन्यास करने के लिए प्रयोग किया जाता है जो सी-डैक (टी) द्वारा विकसित DACS (मालिकाना प्रोटोकॉल) का समर्थन करता है। तीसरे पक्ष के उपकरणों जो Modbus टीसीपी, DNP3 टीसीपी, IEC60870-5-104 का समर्थन करते हैं, का भी विन्यास किया जा सकता है।

    • सिमुलेशन प्लेटफार्म (iSimp): औद्योगिक सिमुलेशन प्लेटफॉर्म - सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में विकास के साथ प्रक्रिया नियंत्रण के लिए उन्नत नियंत्रण एल्गोरिदम के साथ शिक्षण, विकास और प्रयोग के लिए पूरी तरह से नई पहल की गई है । आज, ऑब्जेक्ट ओरिएंटेड मॉडलिंग भाषाओं में विकसित की गई प्रक्रिया मॉडलों का व्यापक रूप से वास्तविक प्रक्रियाओं के अनुकरण और कड़ाई से डिजाइन और उचित नियंत्रण प्रणाली के परीक्षण करने के लिए उपयोग किया जाता है। Todayâ € ™ के आधुनिक संयंत्र स्वचालन और नियंत्रण प्रणाली में सिमुलेशन प्लेटफार्म कुल प्रणाली का एक अभिन्न हिस्सा है। ISimp को लिंकोपिंग विश्वविद्यालय, स्वीडन की तकनीकी जानकारी के साथ इन आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए विकसित किया गया है । यह सुविधा संयंत्र के सामान्य ऑपरेशन के दौरान ऑन लाइन प्रक्रिया व्यवहार को जानने और नियंत्रकों के प्रदर्शन में सुधार करने के लिए प्रदान की जाती है। एक सटीक सिमुलेशन मॉडल ऑपरेटरों को अपनी गलतियों के परिणामों को संयंत्र के प्रकाश में लाए बिना शर्तों  â€˜live’ के तहत प्रशिक्षित करने के लिए अनुमति देता है।
    • रीयल टाइम विशेषज्ञ प्रणाली (iRESS):   इंडस्ट्रि‍यल रियल टाइम एक्सपर्ट सिस्टम एक एकीकृत सॉफ्टवेयर उपकरण है जिसका  ज्ञान आधारित प्रणाली विकसित करने के लिए प्रणाली डेवलपर्स और डोमेन विशेषज्ञों द्वारा इस्तेमाल किया जा सकता है । यह उपकरण नियमों और फ्रेम के एक सेट के रूप में एन्कोडिंग और ’s ज्ञान के द्वारा ज्ञान आधार के निर्माण की अनुमति देता है और अंत: निर्मित बैकवर्ड अथवा फारवर्ड चेनिंग इंटरफेरेंस इंजन का उपयोग करते हुए इनफेरेंस करता है । उपकरण का डिजाइन प्लग-इन मॉड्यूल, के माध्यम से बाहरी स्काडा सिस्टम के साथ इंटरफेस करने के लिए बनाया गया है जो ओपीसी जैसे मानकों का समर्थन करता है । यह स्पष्टीकरण की सुविधाओं का भी समर्थन करता है। IRESS के साथ विकसित अनुप्रयोगों के लिए एक विशेष क्षेत्र में समस्या को हल करने और निर्णय लेने में किया जाता है।

आईटीएस

ITS

भारतीय शहरों के लिए आईटीएस प्रयास भारत को उन्नत यातायात प्रबंधन और नियंत्रण प्रणाली के लिए आवश्यक इलेक्ट्रॉनिकी और आईटी प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में एक प्रमुख खिलाड़ी बनाने के लिए एक सहयोगात्मक अनुसंधान परियोजना के रूप में अक्टूबर, 2009 में शुरू किया गया था। इस परियोजना के हिस्से के रूप में आईटीएस पर उत्कृष्टता का एक एम्बेडेड केंद्र सी-डैक, तिरुवनंतपुरम में बना दिया गया है जो देश में एक राष्ट्रीय संसाधन केंद्र के रूप में अब कार्यात्मक है। इस उद्देश्य को पूरा करने की दिशा में इस परियोजना के माध्यम से आवश्यक बुनियादी ढांचा नोडल केंद्र में बनाया गया है।

इस कार्यक्रम के हिस्से के रूप में सी-डैक, तिरुवनंतपुरम (नोडल एजेंसी) द्वारा आईआईटी (चेन्नई और मुंबई) और आईआईएम, कोलकाता के रूप में अन्य प्रतिभागी एजेंसियों के साथ से आठ उप परियोजनाओं का कार्यान्वयन शुरू किया गया है । अंति‍म उपयोगकर्ताओं के क्षेत्र में आईटीएस प्रौद्योगिकियों के विकास और प्रदर्शन के बाद निम्नलिखित आठ उप परियोजनाओं को पूरा किया गया है:

  • सौर ऊर्जा आधारित वायरलेस ट्रैफिक कंट्रोल सिस्टम (WiTraC) 
  • दूसरी पीढ़ी की एरिया ट्रैफिक कंट्रोल सिस्टम (CoSiCoSt-2G)
  • वास्तविक समय आधारित यातायात गिनती और निगरानी प्रणाली
  • इंटेलिजेंट पार्किंग लॉट प्रबंधन प्रणाली (ई-पार्क)
  • भारतीय शहरों के लिए उन्नत ट्रैवलर सूचना प्रणाली
  • इंटेलिजेंट ट्रांजिट ट्रिप प्लानर और रीयल टाइम ट्रेन रूट सूचना
  • लाल बत्ती उल्लंघन जांच प्रणाली
  •  आरएफआईडी का उपयोग कर एक बुद्धिमान यातायात भीड़ प्रबंधन प्रणाली

WiTraC प्रौद्योगिकी को बीआरटीएस इंदौर में सीडैक (टी) द्वारा लागू किया गया है । इस तकनीक WiTraC के वाणिज्यिक दोहन के लिए इसे आठ उद्योगों को स्थानांतरित कर दिया गया है । ई-पार्क को टेक्नो पार्क, तिरुवनंतपुरम में सीडैक (टी) के नए भवन और पुणे नगर निगम द्वारा उपलब्ध कराए गए हरिभाऊ साने बहुस्तरीय पार्किंग दो स्थलों पर लागू किया गया है। उन्नत यात्री सूचना प्रणाली को चेन्नई में आईटी कॉरिडोर में आईआईटी मद्रास द्वारा लागू किया गया है। लाल बत्ती उल्लंघन जांच प्रणाली का तिरुवनंतपुरम में सीडैक (टी) द्वारा क्षेत्र परीक्षण किया गया है । सी-डैक (टी) के साथ आईआईटी बॉम्बे के द्वारा इंटेलिजेंट ट्रांजिट ट्रिप प्लानर और रीयल टाइम ट्रेन रूट सूचना और वास्तविक समय यातायात गिनती और निगरानी प्रणाली विकसित की है और मुंबई में इसका प्रदर्शन किया गया है । आईटीएस परियोजना में सभी गतिविधियों को 30/06/2014 तक पूरा किया  जाएगा ।

ये आईटीएस प्रौद्योगिकियां अब वाणिज्यिक दोहन के लिए इच्छुक उद्योगों को प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के लिए उपलब्ध हैं।

eAgriEn Project

कृषि एवं पर्यावरण के लिए इलेक्ट्रॉनिक्स (e-AGRIEN) परियोजना को निम्नलिखि‍त उद्देश्यों के साथ सी-डैक, कोलकाता में मार्च, 2010 में शुरू किया गया है:

क) तकनीक प्रदर्शनकारियों और ख) भारतीय कृषि समुदाय के लिए स्वदेशी इलेक्ट्रॉनिकी और आईटी आधारित उत्पाद और सेवाओं के लिए अग्रणी कृषि इलेक्ट्रॉनिक्स के बहु-विषयक क्षेत्रों में उन्नत अनुसंधान के लिए एक एकीकृत सुविधा की स्थापना ।

  • केंद्र के तत्वावधान में विकसित विशेष समाधान पर कृषि उद्यमियों, शोधकर्ताओं और अन्य हितधारकों के लिए आईटी आधारित सेवाएं  और परामर्श प्रदान करना ।
  • उन्नत कृषि तकनीक से जुड़े विषयों पर विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करना।
  • कृषि इलेक्ट्रॉनिकी के क्षेत्र में राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नेटवर्किंग, सहयोग और गठबंधनों को बढ़ावा देना ।

शुरू की निम्न आठ सहयोगी उप परियोजनाएं सी-डैक कोलकाता द्वारा नोडल एजेंसी के रूप में विकास, क्षेत्रीय परीक्षण और कार्यान्वयन के विभिन्न चरणों पर हैं:

  • सी डैक, कोलकाता में eAgriEn अनुसंधान एवं विकास बुनियादी ढांचे की स्थापना ।
  • नीरी, नागपुर के साथ लुगदी और कागज उद्योग से उत्पन्न औद्योगिक अप्रिय सुगंधित संघटक की निगरानी के लिए इलेक्ट्रॉनिक नाक का विकास
  • बिरसा कृषि विश्वविद्यालय, रांची के साथ वेब सक्रिय कृषि सूचना के पहुँच
  • PRADAN, झारखंड के साथ तसर रेशम उत्पादन में डिजिटल इमेज प्रोसेसिंग प्रौद्योगिकियों के अनुप्रयोग
  • सेंसर हब कोलकाता के साथ हैंड हैल्ड ई-नोज का विकास
  • चाय रिसर्च एसोसिएशन, जोरहाट के साथ एक वायरलेस सेंसर नेटवर्क (डब्लूएसएन) का उपयोग करते हुए चाय उत्पादन प्रणाली के लिए एक निर्णय समर्थन प्रणाली की रूपरेखा के लिए उपकरणों का विकास
  • आईआईटी खड़गपुर के साथ खाद्य और कृषि उत्पादों के रैपिड स्वाद विशेषता निर्धारण के लिए झिल्ली इलेक्ट्रोड एर्रे आधारित आदर्श  संवेदन प्रणाली का विकास
  • पीईएसआईटी, बंगलौर के साथ जैव प्रौद्योगिकी अनुप्रयोगों के लिए इलेक्ट्रॉनिक महक
    अधिक जानकारी के लिए: http://eagrien.cdackolkata.in/ पर क्लिक करें ।

कृषि अनुसंधान में इस्तेमाल किए जाने वाले ग्रीनहाउसों के लिए जलवायु नियंत्रण प्रणाली का डिजाइन और विकास

जलवायु संबंधी मापदंडों जैसे तापमान, नमी, प्रकाश, कार्बन डाइऑक्साइड आदि के सटीक नियंत्रण के साथ-साथ नियंत्रित सिंचाई और एक अनुसंधान में फर्टीगेशन के लिए प्रौद्योगिकी - ग्रीनहाउस राष्ट्रीय कृषि खाद्य जैव प्रौद्योगिकी संस्थान के सहयोग से सी-डैक, मोहाली द्वारा विकसित किया गया है। इस प्रौद्योगिकी से  विभिन्न फसल किस्मों पर जलवायु परिवर्तन के प्रभावों का अध्ययन करने में मदद मिली है। गेहूं के विकास के एक पूर्ण चक्र के साथ विकास और क्षेत्रीय परीक्षण सहित परियोजना सफलतापूर्वक पूरी हो गई है। इस परियोजना में प्रदर्शित किए गए उत्साहजनक परिणाम के आधार पर, भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, दिल्ली ने  आठ जलवायु नियंत्रित ग्रीन हाउस की डिजाइन और तैनाती के लिए सी-डैक, मोहाली के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं।

मानव चालक में सतर्कता के स्तर का ऑन-बोर्ड आकलन करने के लिए एक एम्बेडेड प्रणाली का विकास

मानव चालकों में सतर्कता के स्तर का ऑन-बोर्ड मूल्यांकन के लिए एक एम्बेडेड प्रणाली को आईआईटी खड़गपुर द्वारा विकसित किया गया है। एक कार में क्षेत्र परीक्षण के पूरा होने के बाद, प्रोटोटाइप प्रणाली की मुख्य विशेषताओं का प्रदर्शन किया गया है और इस परियोजना को सफलतापूर्वक पूरा कर लिया गया है । दो पेटेंट दायर किए गए हैं और कई शोध पत्रों को प्रस्तुत / प्रकाशित किया गया है।

बिजली कम्पनियों के लिए स्वायत रीयल टाइम मल्‍टी-प्रोटोकॉल गेटवे

इस परियोजना के तहत,चार उप मॉड्यूल के साथ आईईसी प्रोटोकॉल के मालिकाना प्रोटोकॉलों के लिए कन्वर्टर्स के साथ गेटवे ढांचे की तकनीक का डिजाइन और विकास सी-डैक, बंगलौर द्वारा किया गया है और पावर ग्रिड कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड में इसका प्रदर्शन किया गया है । मल्टी प्रोटोकॉल गेटवे के चार मॉड्यूल प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के लिए तैयार हैं।

पावर इलेक्ट्रॉनिक्स प्रौद्योगिकी पर राष्ट्रीय मिशन (एनएएमपीईटी) चरण- II

पांच साल में कार्यान्वित किए जाने वाले जनवरी 2012 में शुरू किए गए एनएएमपीईटी चरण-II कार्यक्रम का समग्र उद्देश्य सहयोगात्‍मक  अनुसंधान परियोजनाओं  के जरिए अनुसंधान एवं विकास और शैक्षणिक संस्‍थानों के साथ प्रौद्योगिकी विकास परियोजनाओं, प्रशिक्षण गतिविधियों और उद्योग के साथ बातचीत की प्रक्रिया को मजबूत बनाने जैसे बहुत से कार्यकलापों का संचालन कर देश में पावर इलेक्ट्रॉनिक्स का आधार मजबूत करने के लिए शुरू की गई है ।

एनएएमपीईटी चरण-II के भाग के रूप में  तीन श्रेणियों की परियोजनाओं अर्थात (i) चरण-। की परियोजनाओं की अनुवर्ती परियोजनाओं के रूप में विकास, उन्नयन और उत्पाद विकास परियोजनाएं जहां आदिरूपों को विकास किया गया और प्रयोगशाला परिस्थितियों में उनका परीक्षण किया गया, (ii) पावर इलेक्ट्रॉनिक्स, स्मार्ट ग्रिड के घटकों, अक्षय ऊर्जा माइक्रो ग्रिड और उनकी कनेक्टिविटी, स्मार्ट नियंत्रकों, उच्च वोल्टेज अनुप्रयोगों और माइक्रो / मिनी हाइडल विद्युत उत्पादन जैसे उभरते हुए क्षेत्रों में उन्नत प्रौद्योगिकी विकास परियोजनाएं, और (iii) शैक्षणिक संस्थानों में खोजपूर्ण अनुसंधान परियोजनाओं का कार्यान्वयन किया जाएगा । प्रशिक्षण गतिविधियों के भाग के रूप में पावर इलेक्ट्रॉनिक्स के विभिन्न क्षेत्रों में तीन लघु अवधि के पाठ्यक्रम पांच साल के लिए हर साल शैक्षणिक संस्थानों में आयोजित किए जाने का प्रस्ताव है।  जागरूकता पैदा करने, इस क्षेत्र में काम करने वाले शैक्षणिक, अनुसंधान एवं विकास संस्थानों के बीच बातचीत के लिए मंच प्रदान करने और विभिन्न हितधारकों के बीच कार्यक्रम के बारे में जानकारी का प्रसार करने के लिए, विशिष्ट विषय के साथ पावर इलेक्ट्रॉनिक्स पर एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन सहित वार्षिक कार्यशाला हर साल आयोजित किए जाने का  प्रस्ताव है। निम्‍नलिखित के लिए नोडल केंद्र के रूप में सी-डैक (टी) में अतिरिक्त बुनियादी सुविधाओं की स्‍थापना  का प्रस्ताव है (i) अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में विकास/स्मार्ट ग्रिड घटकों के लिए आवश्यक टेस्ट/प्रदर्शन सेट-अप,  (ii) उत्पाद इंजीनियरिंग, प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और उद्योग के साथ बातचीत के लिए सुविधाएं । एनएएमपीईटी चरण-।। कार्यक्रम के उद्देश्यों को पूरा करने के लिए अब तक नोडल एजेंसी - सीडैक (टी) और अन्य भाग लेने वाले संस्थानों में निम्नलिखित 11 उप परियोजनाओं को शुरू किया गया है :

(i) परिनियोजन, उन्नयन और उत्पाद विकास

  • पावर इलेक्ट्रॉनिक्स और पावर प्रणाली के लिए सिमुलेशन केंद्र, जो आईआईटी, मुंबई द्वारा कार्यान्वित किया जा रहा है।
  • शैक्षिक संस्थानों में एफएसएस मिनिएचर मॉडल का नियोजन और विकास जो सीडैक (टी) और आईआईएससी, बंगलौर द्वारा कार्यान्वित किया जा रहा है।
  • सीडैक (टी) और आईआईटी बॉम्बे द्वारा पूर्ण स्पेक्ट्रम सिम्युलेटर का उन्नयन ।
  • ग्रिड से जुड़े सौर फोटोवोल्टिक ऊर्जा संयंत्रों (1मेगावाट) के लिए एक भवी स्वदेशी पावर रूपांतरण तकनीक का विकास जो डब्‍ल्‍यूबीआरईडीए, कोलकाता के समर्थन से सी-डैक (टी) द्वारा कार्यान्वित की जा रही है।

(ii) उन्नत प्रौद्योगिकी विकास

  • सॉलिड स्‍टेट क्रोबार के साथ 10 केवी बिजली की आपूर्ति का विकास जिसको सी-डैक (टी) और आईआईएससी, बंगलौर द्वारा कार्यान्वित किया जा रहा है।
  • सिस्‍टम ऑन प्रोग्रामेबल चिप (एसओपीसी) पर आधारित पावर इलेक्ट्रॉनिक नियंत्रक जिसको सी-डैक (टी) द्वारा कार्यान्वित किया जा रहा है ।
  • बीआईटी रांची द्वारा पावर कन्वर्टर और इसके अनुप्रयोग ।

(iii) अन्‍वेषणात्‍मक अनुसंधान

  • तीन चरण वाली स्थायी चुंबकीय मशीनों और उनके कन्वर्टर्स का डिजाइन, विकास और परीक्षण जिसको बीईएसयू, हावड़ा द्वारा कार्यान्वित किया जा रहा है।
  • एसपीवी अनुप्रयोग के लिए डीसी-डीसी कनवर्टर और द्वि-दिशात्मक कनवर्टर का विकास जिसको एनआईटी, त्रिची द्वारा कार्यान्वित किया जा रहा है।
  • प्रोपल्सन अनुप्रयोगों के लिए प्रेरण मोटर की मॉडलिंग डिजाइन और फेब्रीकेशन जिसको आईआईटी, पटना द्वारा कार्यान्वित किया जा रहा है।
  • SiC उपकरणों के गतिशील और स्टेटिक व्यवहार का अध्ययन और कनवर्टर टोपोलॉजी का विकास जिसको सी-डैक (टी), भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एम) और आईआईएससी, बंगलौर द्वारा कार्यान्वित किया जा रहा है।
  • पावर इलेक्ट्रॉनिक स्विचिंग अनुप्रयोगों के लिए गैलियम नाइट्राइड (GaN) उपकरणों की जांच।

(iv) अवसंरचना विकास

  • नोडल केंद्र में अवसंरचना संसाधन जिसको सी-डैक (टी) द्वारा कार्यान्वित किया जा रहा है।

(V) अब तक आयोजित किए गए लघु अवधि के पाठ्यक्रम

  • मिनी/माइक्रो हाइड्रो पावर जनरेशन में पावर इलेक्ट्रॉनिक्स – आईआईटी, रुड़की
  • ग्रिड से जुड़े पावर कंवर्टर्स का डिजाइन और नियंत्रण – सीईटी, तिरुवनंतपुरम
  • पावर कन्वर्टर्स और अनुप्रयोग – बीआईटी, रांची
  • स्थायी चुंबक एसी मशीनों का नियंत्रण- आईआईटी, मद्रास
  • पावर इलेक्ट्रॉनिक प्रणालियां और अनुप्रयोग – – एनआईटी, राउरकेला
  • वितरित बिजली उत्‍पादन में पावर इलेक्ट्रॉनिक्स – एनआईटीके, सूरतखल

(Vi) पावर इलेक्ट्रॉनिक्स प्रौद्योगिकी पर राष्ट्रीय कार्यशाला

  • पावर इलेक्ट्रॉनिक्स प्रौद्योगिकी पर पहली राष्ट्रीय कार्यशाला (एनडब्‍ल्‍यूपीई-2013)
  • पावर इलेक्ट्रॉनिक्स प्रौद्योगिकी पर दूसरी राष्ट्रीय कार्यशाला (एनडब्‍ल्‍यूपीई-2014) – बीआईटीएस, रांची द्वारा

(vii) विद्यार्थी पुरस्कार

एनएएमपीईटी चरण-।। के अंतर्गत पावर इलेक्ट्रॉनिक्स / पावर सिस्टम में अंतिम वर्ष की परियोजना के काम में लगे हुए छात्रों के लिए एक प्रोत्साहन के रूप में, निम्नलिखित सर्वोत्तम परियोजना पुरस्कारों का गठन किया गया है:

  • पोस्ट ग्रेजुएट परियोजना पुरस्कार: सर्वश्रेष्ठ स्नातकोत्तर एमई / एमटेक परियोजना थीसिस के लिए दो पुरस्कार उपलब्ध हैं। प्रत्येक पुरस्कार में एक प्रवीणता प्रमाण पत्र और 50,000/- रुपये का नकद पुरस्कार दिया जाएगा।
  • परा स्नातक परियोजना पुरस्कार: अंडर ग्रेजुएट सबसे अच्छा बीई/ बी.टेक परियोजना थीसिस के लिए दो पुरस्कार उपलब्ध हैं। प्रत्येक पुरस्कार में एक प्रवीणता प्रमाण पत्र और 25,000/- रुपये का नकद पुरस्कार दिया जाएगा।

इस विज्ञापन के तहत उन विद्यार्थियों से आवेदन आमंत्रित किए जाते है जिन्‍होने अक्टूबर 2013 - अगस्त 2014 की अवधि के दौरान अपनी अंतिम परियोजना थीसिस पूरी की और इसको प्रस्तुत किया है । विद्यार्थी पुरस्कारों के बारे में विवरण एनएएमपीईटी की वेबसाइट  (www.nampet.in) पर उपलब्ध हैं ।

28 डीओएफ ह्यूमेन्‍वाइड रोबोट का डिजाइन, विकास और इंजीनियरिंग

स्थानीयकरण, वस्तु, पथ आयोजना और व्यवहार मॉडलिंग की पहचान के क्षेत्रों में हुई प्रगति का प्रदर्शन करके बिट्स, पिलानी द्वारा ह्यूमेनोइड रोबोट का एक प्रोटोटाइप निर्मित किया गया है। परीक्षण और अभ्‍यास किए जा रहे हैं।

नई परियोजनाएं

निम्नलिखित नई परियोजनाओं को हाल ही में शुरू किया गया है:

भारी उद्योगों के लिए विभिन्न माइक्रोवेव आधारित गैजेट्स के विकास पर व्यवहार्यता अध्ययन रिपोर्ट

इस नई शुरू की गई परियोजना में, सी-डैक, कोलकाता और समीर, कोलकाता को व्यवहार्यता अध्ययन करने और एक विस्तृत रिपोर्ट (प्रौद्योगिकी के विवरण, विभिन्न संवेदन तरीकों, तैयार करने के लिए अवधारणा के साक्ष्‍य,  तकनीकी और आर्थिक विश्लेषणों के जरिए अवलोकन, अनुप्रयोग  क्षेत्रों, उद्योगों के साथ चर्चाओं आदि को शामिल करते हुए) तैयार करने के लिए एक पूर्ण परियोजना प्रस्‍ताव के रूप में समर्थन किया गया है, जिसे तीन क्षेत्रों अर्थात  कंपन संवेदक, स्तर सेंसर और डेबरीज़ में जीवन का पता लगाना में परिकल्पित अवधारणा के साक्ष्‍य से सफल परिणाम के बाद कार्यान्वयन के लिए शुरू किया जा सकता है ।

इलेक्ट्रॉनिक व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण का डिजाइन और विकास (ePSD)

इस परियोजना का उद्देश्य एक घड़ी/कंगन (ब्रेसलैट) के रूप में एक छोटी सी, सस्ती और उपयोगकर्ता के अनुकूल व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण का डिजाइन और विकास करना है। प्रोटोटाइप का क्षेत्रीय परीक्षण किया जाएगा और फीडबैक के आधार पर संशोधन किए जाएंगे।

पुलिस नियंत्रण कक्ष, जयपुर में एक इलेक्ट्रॉनिक व्यक्तिगत सुरक्षा प्रणाली (ePSS) का विकास और परिनियोजन

डायल 100 प्रणाली पर आधारित ePSS के लिए बैक इंड प्रणाली के विकास पूरा हो चुका है और ePSS प्रणाली को जयपुर में पुलिस नियंत्रण कक्ष में परिनियोजित और प्रचालनरत किया है । जयपुर पुलिस द्वारा क्षेत्रीय परीक्षण संचालित किए गए हैं। परीक्षणों से प्राप्त फीडबैक को
पुन: शामिल किया जा रहा है । क्षेत्रीय परीक्षण के परिणाम के आधार पर ePSS को अन्य शहरों में भी परिनियोजित करने पर विचार किया जा सकता है।

कोव्यूर चीनी कारखाना, नेल्लोर के लिए ऑटोमेशन सिस्टम

इस परियोजना को एएसटीईसी परियोजना के तहत विकसित स्वचालन प्रौद्योगिकी का उपयोग करते हुए चीनी उद्योग में ऑटोमेशन प्रदर्शित करने के लिए शुरू किया गया है। परियोजना कोव्यूर चीनी कारखाना, नेल्लोर के सहयोग से सी-डैक (टी) द्वारा कार्यान्वित की जा रही है।